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देसी दीदी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि पड़ोस की तलाकशुदा दीदी के कामुक बदन पर मेरा दिल आ गया. मैंने कैसे सेक्सी दीदी को चोदा?
दोस्तो, मेरा नाम अभिजीत (बदला हुआ) है। मैं जालंधर पंजाब का रहने वाला हूँ। मेरी लंबाई 5 फीट और 4 इंच है. मेरा जिस्म एक एथलीट का है। मेरा लन्ड करीब 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है। मैं अभी बीटेक के आखिरी सेमेस्टर में हूँ।
यह कहानी आज से करीब 1 साल पहले की है जो कि मेरी दीदी के साथ मेरे संबंध की है.
वो मेरी रियल सिस्टर नहीं है बल्कि हमारे घर के सामने वाले घर में रहती थी और मैं उसको दीदी कहकर ही बुलाया करता था.
अब मैं आपको दीदी का परिचय दे देता हूं.
वो देखने में बहुत ही सुन्दर है. उनके नैन नक्श बहुत आकर्षक हैं.
दो साल पहले दीदी का तलाक हुआ था. जहां तक मेरे सुनने में आया था, उसके मुताबिक तलाक का कारण था दीदी का रात को किसी लड़के से बात करना.
उनका फिगर एकदम कमाल था. पहले मुझे पता नहीं था कि उनका फिगर कितना है लेकिन बाद में दीदी ने ही मुझे बताया था.
38-34-40 के फिगर में उनकी मोटी भारी भरकम गांड और भारी भारी चूचे खास आकर्षण थे.
कोई भी उनकी गांड और चूचों को देखकर चोदने के लिए पागल हो जाये.
उनका पति बच्चे पैदा नहीं कर सकता था इसलिए दीदी को कोई औलाद नहीं थी. उम्र 34 की थी लेकिन देखकर कोई बता नहीं सकता था कि वो इतनी उम्र की होगी.
मैं अपने सेमेस्टर की छुट्टियों के कारण घर आया हुआ था। वो दीदी अक्सर हमारे घर आया करती थी पर मेरी उनसे इतनी बात नहीं होती थी।
एक दिन जब वो हमारे घर पर आईं तो माँ के साथ बैठ कर कुछ बातें कर रही थी.
उस वक्त मैं भी वहीं था लेकिन मैंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपना कोई सामान ढूंढ रहा था।
जब मुझे सामान न मिला तो माँ से पूछने लगा, तब मेरी नजर दीदी पर गयी थी.
उन्होंने एक टीशर्ट और लोवर डाली हुई थी और टीशर्ट का गला बहुत बड़ा था.
मुझे दीदी के आधे मम्मे तो बाहर ही दिख रहे थे.
अंदर से शायद उन्होंने ब्रा भी नहीं डाली थी क्योंकि गला इतना बड़ा था कि ब्रा की पट्टी आराम से दिख सकती थी.
मुझे चूचे नंगे ही दिखाई दे रहे थे.
मैंने मां से कहा कि मेरा सामान ढूंढ दो तो मां मुझे दीदी के पास बैठने का बोलकर चली गयी.
मैं दीदी के पास बैठा था और मेरी नजर बार बार उनके चूचों पर जा रही थी.
उस वक्त दीदी का ध्यान कहीं और ही था.
फिर शायद दीदी को शक हो गया कि मैं उनके चूचों को घूर रहा हूं.
फिर वो मां को बोलकर चली गयी और शाम को आने का कहकर चली गयी.
मेरा दिमाग खराब हो गया. दीदी के चूचे देखकर मेरे अंदर हवस जाग चुकी थी.
मैंने मन ही मन ठान लिया कि इसके चूचे तो पीने ही हैं एक दिन.
सामान लेने के बाद मैं अंदर गया और दीदी के बारे में सोचकर मुठ मारने लगा.
मुठ मारकर मैंने खुद को शांत किया.
फिर तो रोज मैं दीदी को देखने के चक्कर में लगा रहता.
ऐसे ही उनको देख देखकर मेरी प्यास हर दिन बढ़ती रही और मैं उनको चोदने के प्लान बनाता रहता.
एक दिन मां ने मुझे दीदी को सब्जी देने भेजा.
कई बार ऐसा होता था कि दीदी को हम बनी हुई सब्जी दे दिया करते थे क्योंकि वो तो अकेली ही रहती थी.
मैं दीदी के लिए सब्जी लेकर जाने लगा और मेरे मन में यही खयाल चल रहा था कि काश उसको चोदने का मौका मिल जाये.
जब मैं घर पहुंचा तो देखा कि वो सफाई कर रही थी.
मुझे देखकर वो बोलीं कि सब्जी को जाकर रसोई में रख दो और कुछ देर सोफे पर बैठ जाओ. मैं पौंछा लगा दूं. फर्श सूखने के बाद चले जाना.
उनके कहे अनुसार मैंने सब्जी को किचन में रखा और मैं चुपचाप जाकर सोफे पर बैठ गया.
वो मेरे सामने ही झुक कर पौंछा लगा रही थी. जी भरकर मैंने दीदी के चूचों के दर्शन किये.
फिर वो दूसरी ओर घूमकर पौंछा लगाने लगी. अब मुझे दीदी की बड़ी सी गांड भी दिखाई दे रही थी.
मुझसे रुका न गया और मैं वहीं बैठा हुआ धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा.
अब मन कर रहा था कि चाहे कुछ भी हो जाये एक बार तो दीदी की गांड को नंगी करके देख ही ले.
दोस्तो, पता नहीं मेरे अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गयी कि मेरे मन ने कहा कि जाकर उसकी लोवर उतार दे.
मैं भी हवस के जोश में जाकर दीदी के पीछे खड़ा हो गया. फिर जैसे ही वो खड़ी हुई तो मैंने दीदी की लोवर उतार दी.
उनकी मोटी और बड़ी सी गांड मेरे सामने नंगी हो गयी.
नीचे से दीदी ने पैंटी पहनी थी जो उनके मोटे मोटे गोरे चूतड़ों में फंसी हुई थी.
दीदी एकदम से सहम गयी मगर अगले ही पल वो पलटकर मुस्कराने लगी.
मेरी तरफ मुड़कर वो मुस्कराते हुए बोली- मुझे पता था कि तू ऐसा कुछ जरूर करेगा.
मैं डर गया और दीदी से माफी मांगने लगा- सॉरी दीदी, गलती से हो गया. मुझे माफ कर दो.
दीदी हंसते हुए बोली- नहीं रे पागल, सॉरी क्यूं? ये तो मैं पहले से ही जानती थी. उस दिन जब तू अपने घर में मुझे घूर रहा था मैं तो तभी समझ गयी थी कि तेरा लंड मेरी मुनिया की फिराक में है. उसके बाद भी मैंने कई बार तुझे छत पर मेरी चूचियों को घूरते हुए नोटिस किया था. मगर मैंने तुझे जताया नहीं कि मैं सब समझ रही हूं.
मैं- तो फिर ऐसी बात थी तो आपने मुझसे पहले क्यों नहीं कहा?
दीदी- मुझे भरोसा नहीं था. अगर मैं पहले बोलती तो शायद तू मना कर देता. इसलिए मैंने तेरा ही इंतजार किया. आज मैं घर पर बिल्कुल अकेली थी तो इसीलिए मैंने आंटी को सब्जी देने के लिए कहा.
मैं तो हैरान था कि दीदी खुद ही मेरे चक्कर में थी.
फिर हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कराने लगे और दोनों के होंठ आपस में मिल गये.
दीदी को मैंने बांहों में भर लिया और जोर से किस करने लगा.
होंठों को किस करते हुए ही मेरा हाथ उनके मम्मों पर चला गया.
अब दीदी भी गर्म होने लगी थी. उनका सारा काम अभी ऐसे ही पड़ा हुआ था.
कुछ देर होंठ चुसवाने के बाद वो बोली- मेरा सारा काम बाकी है. अभी तू जा, बाद में फ्री होकर आना.
मैं बोला- दीदी, मेरा खड़ा हो गया है. एक बार पानी निकलवा दो इसका. बहुत दिनों से आपके बारे में सोचकर हाथ से ही काम चला रहा था. अब तो इसका इंतजार खत्म करवा दो?
वो बोली- सब्र करो. सब्र का फल मीठा होता है.
मैंने कहा- सब्र नहीं होगा दीदी अब.
इतना बोलकर मैंने दीदी को नीचे अपने घुटनों में झुका लिया और वो दबाव देने पर बैठ गयीं.
फिर मैंने अपनी लोवर उतार कर दीदी के सामने लंड खुला छोड़ दिया.
मेरा तना हुआ लंड ठीक दीदी की नाक के सामने था.
दीदी मेरी ओर देखकर मुस्कराई और लंड पर एक प्यारी सी किस कर दी.
मैं तो तड़प गया.
मैंने दीदी के होंठों पर लंड रगड़ा और चूसने का इशारा करने लगा.
दीदी पहले तो थोड़ी हिचकी लेकिन फिर एकदम से लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी.
आनंद के मारे मेरी आंखें बंद हो गयीं.
मैंने दीदी के सिर को पकड़ लिया और मस्ती में लंड को चुसवाने लगा.
वो बिलकुल एक रंडी की तरह ही लन्ड चूस रही थी।
10 मिनट तक दीदी ने मेरा लन्ड चूसा और मेरे लन्ड ने अपना लावा दीदी के मुँह में ही निकाल दिया।
दीदी एक स्माइल के साथ सारा पानी पी गयी और मेरी तरफ देखकर कहने लगी- अपना काम तो करवा लिया, अब मेरा कौन करेगा?
मैंने कहा- दीदी आपने ही तो कहा था कि बाद में करेंगे.
ये बोलकर मैं हंसने लगा.
वो मुस्कराई और बोली- अब शेरनी के मुंह खून लग गया है, अब इसको अपना खाना तुरंत चाहिए.
इतना बोलकर वो उठी और अपनी लोअर उतारकर सोफे पर लेट गयी.
दीदी की खुली चूत मुझे रह रहकर आमंत्रित कर रही थी कि आ और मुझे चोद ले.
मैं भी इसी पल के इंतजार में था.
हालांकि मेरा लंड अभी सो चुका था लेकिन मन कर रहा था कि चोद लूं.
मैं दीदी के पास गया और तुरंत अपना मुँह उनकी गुलाबी चूत पर लगा दिया।
सच में दोस्तो, दीदी की चूत का स्वाद अलग ही था।
चूंकि वो काम में लगी हुई थी इसलिए चूत में पसीने और कामरस का मिला जुला स्वाद आ रहा था.
धीरे धीरे करके मैं दीदी की चूत और गांड, दोनों छेदों को ही चाट रहा था. बारी बारी से अपनी जीभ उनके दोनों छेदों में डाल रहा था.
दीदी की सांसें बहुत तेजी से चल रही थीं.
उनके मुंह से आह्ह … ओह्ह … और करो … उम्म … अम्म … आह्ह … जैसी कामुक आवाजें निकल रही थीं जिनसे मेरा जोश और ज्यादा बढ़ रहा था.
मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा होने लगा था.
फिर मैंने दीदी के पेट को चूमा और मेरी नजर चूचियों पर गयी. अभी तक मैंने चूची तो देखी ही नहीं थी.
मैंने दीदी की टीशर्ट उठा दी और उनकी नंगी चूची मेरे सामने थीं.
दीदी ने नीचे से ब्रा भी नहीं पहनी थी.
मैं दीदी की चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा. चूची क्या पपीते थे पूरे.
ऐसी मोटी चूची मैंने केवल पोर्न फिल्मों में देखी थी.
मैं जोर जोर से उनकी चूचियों को दबाते हुए पी रहा था.
अब मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था और उसमें दर्द हो रहा था.
मैं बोला- अब डाल दूं क्या?
वो बोली- क्या डालना है?
मैंने कहा- इतनी भोली भी न बनो दीदी, आपकी चूत में लंड डालने की बात कर रहा हूं.
वो बोली- मैंने तो तुझे तब भी मना नहीं किया था जब तूने मेरी लोअर नीचे खींची थी.
मैं भी ये सुनते ही तुरंत पोजीशन में आ गया.
मैंने अपना लंड उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियों पर लगाया और ऊपर नीचे करने लगा.
दीदी सिसकारने लगी और मैं दीदी के स्तनों को किस करने लगा.
वे तड़प कर बोली- आह्ह … डाल दे अब … जल्दी कर।
मैंने भी देर नहीं की और फिर एक झटके के साथ दीदी की चूत में लंड को उतार दिया.
लंड डालने के बाद मैंने धीरे धीरे झटके देने शुरू किये. मैं दीदी की चुदाई करने लगा.
उनके मुंह से पहले हल्की दर्द भरी आवाजें आती रहीं लेकिन फिर बाद में दर्द की जगह आनंद ने ले ली.
दीदी मस्ती में चुदवाने लगी और मैं भी जोश में चोदने लगा.
पांच-सात मिनट की चुदाई के बाद दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया. मेरा पूरा लंड गीला हो गया और अंदर सब कुछ गर्म हो गया.
मैं बोला- आपका निकल गया. अब आप ऊपर आ जाओ मेरे.
वो उठी और आकर मेरे लंड पर बैठ गयी.
लंड को चूत में लेकर दीदी ने अपनी गांड को आगे पीछे करना शुरू किया.
दोस्तो, मैं तो पागल हो गया. लड़की जब चुदाई करती है तो बहुत मजा आता है.
मैं दीदी को ऊपर बिठाकर चोदता जा रहा था.
कुछ देर के बाद फिर मेरा पानी भी निकलने को हो गया. मैं बोला- दीदी, मेरा होने वाला है.
वो बोली- बस दो मिनट रोक ले, मेरा भी होने वाला है.
दीदी ने अपनी स्पीड तेज कर दी.
उनके चूतड़ जोर जोर से मेरी जांघों पर टकरा रहे थे. चूतड़ों के टकराने से पट पट की आवाज हो रही थी.
दीदी पागलों की तरह मेरे लंड पर कूद रही थी और चुदने के मजे में जैसे खो गयी थी.
दो मिनट बाद ही दीदी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया.
उनके चूतरस की गर्मी पाकर मेरा लंड भी काबू न रख सका और मैंने भी दीदी की चूत में पानी छो़ड दिया.
वो मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गयी और तेज सांसें लेने लगी.
मुझे भी चूत में वीर्य निकाल कर बहुत शांति मिली.
उसके बाद मैं उठकर कपड़े डालने लगा.
दीदी बोली- क्या हुआ?
मैं बोला- जा रहा हूं. मां क्या सोचेगी, इतनी देर से कहां था?
वो बोली- मत जाओ ना प्लीज!
मैं बोला- मां आ जायेगी.
वो बोली- ठीक है, बहुत मजा आया तुम्हारे साथ. अगर मुझे पता होता कि तुम इतने स्ट्रॉन्ग हो और इतनी मस्त चुदाई करते हो तो मैं तुम्हें पहले ही पटा लेती.
हंसते हुए मैं बोला- रहने दो, अगर मैं शुरूआत नहीं करता तो तुम आज भी कुछ नहीं करने वाली थी.
फिर मैं कपड़े पहनने लगा और दीदी को एक लम्बा सा किस करके जाने लगा.
दीदी नंगी ही उठकर रूम के दरवाजे तक आई और कहने लगी- आते रहना मेरे पास!
फिर मैं दीदी को बाय बोलकर आ गया.
घर आकर मां पूछने लगी कि कहां इतनी देर लगा दी.
मैंने कह दिया की दीदी पौंछा लगा रही थी और फर्श गंदा होने से बचाने के लिए उन्होंने कुछ देर मुझे बिठा लिया.
मैं अपने रूम में आ गया. मेरा बदन भी थक कर टूट रहा था.
मैं दीदी की चुदाई के बारे में सोचते सोचते सो गया.
उसके बाद तो दीदी को मैंने बहुत बार चोदा.
जब भी मेरा मन करता था तो मैं दीदी को चुदाई के लिए उकसा देता था. वो भी मजा लेकर चुदवाती थी.
कभी कभी तो हम छत पर खुले में चुदाई का मजा लेते थे. मगर ध्यान रखते थे कि कोई देख न रहा हो.
तो दोस्तो, मेरी दीदी की चुदाई की ये कहानी आपको कैसी लगी? आप मुझे अपनी प्रतिक्रियाएं जरूर भेजें. वैसे तो मैं रोज इंडियन सेक्स स्टोरी पढ़ता हूं लेकिन आज हिम्मत करके मैंने अपनी भी स्टोरी आपको बताई.
अगर आपको और भी ऐसी ही कहानियां पढ़नी हों, तो मुझे मेल कीजिए. मैं जल्द ही अपनी दीदी के अलावा अगली चुदाई की कहानी भी पोस्ट करूँगा.
अगली कहानी में मैं बताऊंगा कि उस दिन दीदी और माँ क्या बातें कर रहे थे और उसका मुझको कैसे फायदा हुआ।
तो दोस्तो, अभी के लिए आपके अभि की तरफ से अलविदा।