मैंने अपनी बीवी को चुदवाया अपने दोस्त से अपने सामने. वो भी किसी गैर मर्द के लंड का मजा लेना चाहती थी. हम दोनों की फंतासी को कैसे अंजाम मिला?
सभी को मेरा नमस्कार. मैं अनिल आपके लिए अपनी स्टोरी का तीसरा भाग लिख रहा हूं.
दूसरे भाग
पति के सामने यार का लंड चूसा
में आपने जाना था कि मेरी बीवी सुमन ने मेरे दोस्त का लंड मस्त होकर चूसा. उसने उसके लंड का पानी भी पीया.
उसके बाद उसने मेरा भी लंड चूसा और मेरा पानी भी पी गयी जबकि इससे पहले इतने साल में उसने कभी मेरा वीर्यपान नहीं किया था.
अब आगे की बीवी को चुदवाया कहानी :
मेरा काम हो जाने के बाद मैं फिर से सोफ़े पर आकर बैठ गया और पंकज ने सुमन को जाँघों से हटा कर अपनी गोद में बिठा लिया था।
उसका लंड सुमन की चूत के ठीक बीचोंबीच था और दोनों लिप किस कर रहे थे।
तभी सुमन ने अपनी गाँड थोड़ी सी ऊपर उठा ली और पंकज के गले में अपने हाथों को लपेट कर अपनी एक चूची उसके मुँह में दे दी. पंकज अपने लंड की गर्मी से परेशान सा चूची को बेरहमी से दबाने और चूसने लगा.
सुमन ने मेरी तरफ़ घूमकर अनुनयपूर्वक मुझसे कहा- ए जी … आइए ना इधर … अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है मुझसे. लंड घुसाइए आप अपने हाथों से जल्दी अब!
ओह्ह … मेरे पूरे शरीर ने एक झटका खाया और मैं अपनी रण्डी बीवी की बुर में अपने हाथ से ग़ैर मर्द का लंड पकड़ कर घुसाने के लिए आगे बढ़ा.
दरअसल जब मैं सुमन को पंकज से चुदवाने के लिए राज़ी कर रहा था उसी समय उसने कहा था कि मैं जिससे भी चुदवाऊँ लेकिन पहली बार किसी दूसरे का लंड मेरी चूत में आपको ही घुसाना पड़ेगा और मैंने हामी भर दी थी।
मेरी प्यारी बीवी इस वक्त चाहे कितनी भी चुदासी क्यूँ न थी … लेकिन वो अपनी बात अभी भी नहीं भूली थी.
ये सोचकर मैंने काफ़ी गर्व का अनुभव करते हुए पंकज के लंड को पकड़ लिया.
अपने जीवन में पहली बार मैंने किसी दूसरे मर्द का लंड अपने हाथ में पकड़ा था और वो भी अपनी बीवी की चूत में डालने के लिए.
मुझे पंकज का लंड पकड़ने में ही अजीब सी उत्तेजना हो रही थी.
पंकज की ओर देखते हुए मैंने उसे पीठ के बल लेटने को बोला। सुमन ने अपनी गाँड और ऊपर उचका ली और पंकज नीचे लेट गया।
मैंने उसके लंड को थोड़ा सहलाया और सुमन को प्यार से देखते हुए उसे अपनी चूत को लंड के ऊपर लाने को कहा।
सुमन भी वासना के आवेग में जल रही थी. तुरंत ही उछाल मारकर पंकज के ऊपर चढ़ गयी और मुझे आँख मारते हुए अपनी चूत को पंकज के विशाल लंड की सीधाई में लाकर थोड़ा गाँड ऊपर करके स्थिर हो गयी।
तभी मैंने अपनी प्यारी रांड की चूत और गाँड के दोनों छेदों को आख़िरी बार सहलाते हुए पंकज के लंड को सुमन की बुर के छेद में सटाया ही था कि पंकज ने अपनी गाँड ऊपर उछाल कर आधा लंड सुमन की चूत में घुसा दिया।
मेरी बीवी अब मुझे भूलकर बुरी तरह सिसियाते हुए अपनी गाँड को पंकज के लंड पर नचाने लगी ताकि इतना लम्बा और मोटा लंड अपनी चूत में घुसाने में उसे ज़्यादा प्रॉब्लम न हो.
तभी पंकज ने पूरा दम लगा कर अगले एक ही धक्के में अपना पूरा लंड जड़ तक सुमन की पनियायी हुई चूत में घुसा दिया।
सुमन पंकज के इस भीषण लंड प्रहार को नहीं झेल पायी और वो निढाल होकर पंकज की छाती पर पड़ गयी।
वो उस समय भी अपनी मस्त गाँड को घुमाते हुए पंकज के लंड को जकड़ कर अपनी चूत से लंड को रिड़क रही थी.
ये कुछ वैसा ही था जैसे कि पहले ग्रामीण घरों में औरतें मथनी को हांडी में घुसा कर दही मथती थी.
उसी तरह पंकज के लंड की मथनी पर सुमन अपनी चूत की हांडी रख कर उसे धीरे धीरे मथते हुए मथनी को अपनी हांडी में पूरा अंदर तक घुसाने का काम कर रही थी.
सुमन की सदाबहार, अब तक एकलंडा चूत रूपी गर्म हांडी अपने नए यार का अपने भीतर स्वागत करते हुए उसके लिए उचित वातावरण तैयार करने के लिए लगातार पानी छोड़ रही थी।
मेरी बीवी की चूत से निकलने वाला रस अब पंकज के आँडों के नीचे तक जाकर बिस्तर तक को गीला कर रहा था।
तभी सुमन ने वासना में डूबी उन्मुक्त आवाज़ में पंकज से कहा- चोदो अब मुझे ज़ोर से … मेरी इस साली फुद्दी की आज चिंता नहीं है मुझे … आज तो इसे फाड़ दो!
सुमन के इस प्रकार चुनौती देते ही पंकज ने नीचे से अपने लंड का पुरज़ोर शॉट मारना शुरू कर दिया और पूरे कमरे में चुदाई की मधुर मद्धिम आवाज़ गूंजनी शुरू हो गयी।
मैंने देखा कि अब सुमन भी लयबद्ध तरीक़े से अपनी चूत को ऊपर से पंकज के लंड पर ताल में ताल मिलाते हुए चुदाई करवा रही थी।
तभी पंकज ने उसकी दोनों चूचियों को दोनो हाथों से जकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से सुमन की चूत चोदने लगा.
इसके जवाब में मेरी राँड बीवी ने अपने घुटनों के बल पर होकर अपनी चूचियों को पूरा नीचे पंकज की छाती में दबा दिया और उसके दोनों हाथों को दोनों तरफ़ फैला कर पंकज की हथेलियों को अपनी हथेलियों में जकड़ लिया.
फिर दोनों हथेलियों पर एवं घुटनों पर संतुलन साधकर अपनी कमर के ठीक नीचे से अपनी गाँड उचका कर हवा में ठीक लंड की सीध में स्थिर हो गयी, जिससे कि पंकज को अपना लंड स्पीड से पेलने में ज़्यादा मेहनत न लगे।
मैं पीछे से मंत्रमुग्ध होकर अपनी बीवी की अब तक छिपी अंतर्वासना को आँखें फाड़ कर देख रहा था और सुमन की गाँड ऐसे फैली हुई थी जैसे कमल की पंखुडियाँ खिलकर अलग हो जाती हैं.
सुमन की गाँड का छेद तेज़ी से फैल और सिकुड़ रहा था और चूत पर पंकज का लंड दनादन भीषण प्रहार कर रहा था।
चूत और लंड के इस भीषण संग्राम में दोनों अपना पूरा ज़ोर लगाए हुए थे और चुदाई की मधुर थाप से कमरा गूंज रहा था।
उधर मेरी मनोदशा से बिल्कुल बेपरवाह मेरी बीवी अपनी गाँड को हवा में उठाए लंड की ज़ोरदार पिलाई का भरपूर आनंद उठाते हुए पंकज को ज़ोर ज़ोर से ललकार रही थी- और ज़ोर से पेलो मेरी बुर को … और ज़ोर से … साले गाँड में दम नहीं है क्या … दो मिनट में ही फट रही है साले … चोद मुझे और ज़ोर से पेल लंड … और ज़ोर से … आह्ह और जोर से … चोद ना साले … और चोद।
सुमन बोल रही थी- आह्ह … मैंने तो जिस दिन तुम्हारा लंड पहली बार देखा था उसी दिन ठान लिया था कि एक ना एक दिन ऐसे लंड से एक बार ज़रूर चुदवाऊँगी अपनी बुर को … आह्ह्ह …स्स्स .. ओह्ह … चोद ना यार … आह्हह … क्या लौड़ा है तेरा … घुसा दे पूरा … आह्ह!
उधर पंकज भी पूरा दम लगाकर अपने लंड से पूरी स्पीड में सुमन की चुदाई कर रहा था और बकने लगा- आह्ह्ह … साली रण्डी … तू मेरी रण्डी है … देख तेरे पति के सामने तुझे पेल रहा हूँ … भोसड़ी की … साली राँड … मादरचोद … अपने पति को छोड़ कर मेरे लंड की सवारी कर रही है … मेरे लंड की रानी … आज तेरी चूत फाड़ दूँगा … बहनचोद।
सुमन भी कहाँ पीछे रहने वाली थी. वो भी सीत्कारें भरते हुए चिल्ला रही थी- तो चोद ना साले … तू मादरचोद है साला … मेरी बुर को फाड़ कर दिखा … नहीं तो मैं तेरी गाँड मार दूँगी बहनचोद साले … और ज़ोर से दम लगा कर लंड पेल मेरी बुर में!
लंड को तेजी से लेते हुए उसी सित्कारें और गालियां बंद नहीं हो रही थीं- आह्ह्ह … ओ मां … मर गयी … और ज़ोर से चोद ना साले … गाँड में दम नहीं है तो बोला क्यूं बहनचोद … मेरे पति को छोड़ साले … उनकी रण्डी बीवी को दम लगा कर चोद … नहीं तो तेरी गाँड मारूँगी साले!
उधर पंकज भी अब धक्के मारते मारते थक सा गया था.
वो बोला- साली तू सच में मस्त रण्डी है यार … तेरी चूत में जो आग लगी है वो मैं ही शांत करूँगा बहनचोद … बोल तू किसकी रण्डी है … बोल अह्ह्हह … साली राँड बोल!
सुमन ने उसी लहजे में सिसियाते हुए बोला- अह्ह्हह … सीईई … हाँ साले … तेरी रण्डी हूँ मैं … अभी तेरी ही रांड हूं … अह्ह्हह चोद अपनी रण्डी को दम लगा कर।
मेरी बीवी के इस छिनाल रूप को देखकर मेरे लंड का तो बुरा हाल था उस समय।
तभी पंकज ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और सुमन को इशारे से घोड़ी बनने को बोला।
कहते ही मेरी छिनाल बीवी तुरंत ही जल्दी से अपने हाथों और घुटनों के बल घोड़ी बन गयी और अपनी चूत को बाहर पीछे की तरफ़ निकाल कर पंकज के लंड पर रगड़ने लगी।
पंकज ने अपने लंड को सुमन की चूत के मुँह पर लगा कर एक ही शॉट में अपना लंड जड़ तक पेल दिया और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा।
सुमन भी अपनी गाँड पीछे धकेल धकेलकर उसके हर शॉट का भरपूर जवाब दे रही थी।
कुछ देर ऐसे ही चुदने के बाद सुमन ने अपनी पोजीशन बदल ली और पीठ के बल दोनों टाँगों को अपने हाथों से ऊपर उठा कर अपनी चूत पंकज के लंड के आगे परोस दी.
वो बोली- आ जाओ यार … अब मुझे चोदो इसी पोजिशन में!
बस फिर क्या था … पंकज ने भी उसकी एक टांग अपने हाथों से पकड़ कर उसकी चूत के रस में सने हुए मूसल लंड को घुसा कर सुमन की चुदाई करनी शुरू कर दी.
ग़ज़ब का स्टेमिना था दोनों का.
दोनों इतनी देर से एक दूसरे को चोद रहे थे लेकिन दोनों में से कोई अभी तक झड़ने को तैयार नहीं था।
सुमन अपने पूरे छिनालपन के साथ सिसियाते हुए पंकज को गाली दे रही थी.
आज अपने सभी संस्कार उसने अपनी चूत में घुसेड़ लिये थे और वो रंडियों की तरह व्यवहार करते हुए चुद रही थी. उस पोजीशन में चुदाई करवाते हुए एक दो बार मेरी और उसकी नज़रें एकाध बार टकराईं.
फिर भी उसने छिनाल लुक देते हुए मेरी तरफ़ से नज़रें फेर लीं और अपनी चूत की आग को शांत करने में जुटी रही।
पंकज- अह्ह्ह … साली तुम बड़ी मस्त माल हो सुमन … उहह्ह् … आज तुम्हारी चूत इस तरह फाडूंगा कि तुम अपने पति के लंड को हमेशा के लिए भूल जाओगी. तुम अब से मेरी रांड बनकर ही रहोगी … ले मादरचोद … और फैला अपनी चूत को … अभी तो तेरी चूत मारने के बाद तेरी गांड भी मारूंगा साली.
सुमन भी उसी तरह चुनौती के स्वर में गुर्राई- साले भड़वे … मैं रण्डी तो हूँ ही साले … तभी तो तेरे लंड से चुदवा रही हूँ … चोद मुझे साले … चोद मेरी बुर को पहले साले .. गाँड भी मरवा लूँगी तुझसे …. अह्ह्ह … अह्ह्ह … चोदता रह तू. तेरे लंड को खा लूंगी मैं चूतिये।
अब सुमन ने अपनी गाँड उठा कर पंकज के लंड को पूरा अपनी चूत में जकड़ लिया और भीषण आवाज़ में गुर्राई- अह्ह्ह पंकज … सीईइइ … इस्स … झड़ने वाली हूँ मैं … फिर से उसी तरह धक्के मारो मेरी बुर में …. इस्स … ओह्ह … आईई … आह्ह … चोद दे।
सुमन सीत्कारें मार रही थी और उसकी चूत से निकलने वाली इस प्रचंड अग्नि में पंकज भी जलते हुए सुमन के होंठों को चूसते हुए ज़ोर से धक्के लगाते हुए झड़ने लगा।
उन दोनों के जिस्मों में झटके लगने लगे और जैसे दोनों स्वर्ग के सुख को पा गये.
दोनों झड़ने के बाद कुछ देर उसी अवस्था में एक दूसरे को चूमते चूसते हुए ऐसे कुत्ते और कुतिया की तरह हाँफ रहे थे जैसे मीलों की दौड़ लगा कर आए हैं दोनों!
फिर सुमन जैसे शिकायत सी करते हुए उसके कान में बोली- यार, तुमने तो थका दिया और माल भी भीतर गिरा दिया … कहीं रह गया तो मैं ही परेशान होऊँगी … हटो अब!
पंकज मुस्कराते और हाँफते हुए सुमन के ऊपर से हटा तो एक अलग ही नजारा सामने था.
सुमन की चूत पंकज के लंड के भीषण प्रहारों से लाल हो गयी थी और झाँट भरी चूत से बहकर पंकज का वीर्य सुमन की गाँड के रास्ते नीचे बिस्तर तक धीरे धीरे टपक रहा था।
सुमन ने उसी अवस्था में अपनी दोनों बाँहें फैला कर जैसे कुछ याद सा करते हुए मुझे अपनी तरफ़ बुलाया।
मैं तो इसी इंतज़ार में था ही … तुरंत ही आगे बढ़कर अपनी ताज़ा रगड़ रगड़कर चुदी हुई बीवी की चूत में मैंने अपना लंड घुसा दिया.
वो मेरी कमर को कस कर पकड़ते हुए मेरे सीने में मुंह छिपाकर चुदवाने लगी. सुमन की चूत पंकज के वीर्य से भरी हुई थी और काफ़ी रसदार और अंदर से फिसलनभरी हो गयी थी.
दरअसल ये भी मेरी एक फंतासी थी कि जब कोई दूसरा आदमी मेरी बीवी को चोदकर अपना माल उसकी चूत में गिराकर हटे … तब उसी वीर्य से भरी चूत में अपना लंड घुसा कर मैं भी अपनी बीवी की चुदाई करूं.
ये बात मैंने पहले ही कभी सुमन को भी बताई थी और इस वक़्त वो पूरे पत्नी वाले समर्पण भाव से मुझसे चुदवाकर मेरी फैंटेसी की पूर्ति करके अपना कर्तव्यपालन कर रही थी.
पंकज खड़ा होकर अपने लंड को साफ़ करके कपड़े पहन रहा था। मैं तो पहले से ही इतना उत्तेजित था कि तुरंत ही अपनी बीवी की चूत में झड़ गया और उसे चूमकर उसके ऊपर से उठ गया।
सुमन कुछ देर तो वैसे ही नंगी अपनी चुदी हुई चुत को, जिसमें से दो दो मर्दों का वीर्य एक साथ रिस रहा था, फैलाए हुए पड़ी रही और मैं उसे इसी तरह रंडियो की माफ़िक़ देखकर तृप्त होता रहा।
पंकज बाथरूम में फ्रेश होने चला गया था और मैं अपनी ताज़ा तरिन रण्डी बनी बीवी की चूत से बहते वीर्य को देखकर और उसके संतुष्ट चेहरे को देखकर उसके बदन को सहला रहा था।
सुमन को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि जन्मों से भूखे किसी व्यक्ति को मन पसंद मलाईदार भोजन छिकाकर खिला दिया गया हो और उसकी अंतरात्मा तक भोजन से तृप्त हो गयी हो।
दोस्तो, ये कहानी सच्ची है और मेरी अपनी बीवी की कहानी है।
गोपनीयता की दृष्टि से मैंने हम सबके सिर्फ़ नाम बदल दिये हैं मगर इस कहानी का लिखा हुआ एक एक शब्द ऐसे ही घटित हुआ था.
अगली बार मैं इसके आगे की कहानी कि कैसे अपनी बीवी को चुदवाया लिखूंगा क्योंकि पंकज अभी यहीं था.
वो आज रात ही नहीं बल्कि उसके अगले दिन भी रुकने वाला था.
उन दो दिनों में क्या क्या हुआ था वो सब मैं आपको बताना चाहता हूं.
इसलिए आपसे विनम्र निवेदन है कि अपना मेरी बीवी को चुदवाया कहानी पर फीडबैक मुझ तक जरूर पहुंचायें क्योंकि कहानी आप तक पहुंचाने में काफी मेहनत लगती है. मुझे आपके सुझावों का इंतजार रहेगा.