लॉकडाउन की शादी में मिला चूत का तोहफा

रिश्तों में चुदाई की कहानी में पढ़ें कि मैं चाची के मायके गया तो उनकी भाभी मुझे पसंद आ गयी. मेरा लंड उसकी जवानी के लिए मचल उठा.

नमस्कार दोस्तो, मैं हूं आपका राज शर्मा और हिन्दी सेक्स कहानी साइट कामुकताज डॉट कॉम पर आपका हार्दिक स्वागत करता हूं.

मेरी पिछली कहानी थी: छोटी चाची बड़ी चाची की एक साथ चुदाई

ये रिश्तों में चुदाई की कहानी कुछ समय पहले की है जब लॉकडाउन चल रहा था.
उस वक्त जो भी शादियां हो रही थीं उनमें बहुत कम लोग ही शामिल हो रहे थे.

मेरी चाची की भतीजी की शादी फिक्स हुई और घर में काम होने के कारण मुझे चाची के मायके बाइक से जाना पड़ा।

मैं आपको बता दूं कि मैं पहले भी वहां जा चुका था. सब मुझे जानते थे वहां.

अब मैं जैसे ही वहां पहुंचा तो मेरा अच्छा स्वागत हुआ।
दिनभर हम सब काम में बिजी रहे. फिर शाम को सब एक साथ बैठे.

वहां पर चाची के भाई की बीवी सुरभि, जो 23 साल की एक कमसिन जवानी थी, पर मेरी नजर गयी.
उसके तने हुए बूब्स और हल्की बाहर निकली मस्त भरी गांड देखकर तो मेरी नजर जैसे उसके बदन से कहीं और फिर गयी ही नहीं.
पहली बार ही उसको देखने के बाद मेरा लौड़ा उसे चोदने के सपने देखने लगा।

हम सबने खूब मस्ती की और खाना खाने के बाद 12बजे तक बातें कीं।

फिर मैं ऊपर वाले रूम में आ गया और सुरभि के बारे में सोचने लगा।
बार बार उसकी जवानी का रस मुझे ललचा रहा था.
उसके बदन के बारे में सोच सोचकर लंड और मुंह दोनों में पानी आ रहा था.

वो कहते हैं कि किसी चूत को दिल से चाहो तो किस्मत भी लौड़े का साथ जरूर देती है.
मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ. क़िस्मत ने मेरा साथ दिया और लाइट चली गई।

  ऐसी प्यारी भाभी सबको मिले-1

तभी सुरभि और नीलम (दुल्हन) ऊपर आ गईं। वो दोनों एक तरफ खड़ी होकर बतियाने लगीं.

फिर किसी ने नीलम को आवाज लगाई. थोड़ी देर बाद नीलम नीचे चली गई.
अब मैं सुरभि के पास जाकर बातें करने लगा। बातों ही बातों में मैंने उसके साथ बोलचाल बढ़ा ली.

वो भी मुझसे खुलने में संकोच नहीं कर रही थी और होते होते हमने प्यार, मोहब्बत और चाहत से लेकर गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड तक की बातें कर डालीं.

उसके साथ ऐसी कामुक बातें करके मेरा लंड खड़ा हो गया था.

वो कहते हैं दोस्तो कि हवस का भूत जब सिर पर सवार हो जाये तो इन्सान की बुद्धि काम करना बंद कर देती है.

सुरभि की जवानी और उसके बदन की खुशबू ने मुझे ऐसा पागल किया कि मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
गनीमत रही कि उसको मैं पसंद आने लगा था वर्ना उसकी जगह कोई और होती तो मैं वहां से अपनी बेइज्जती करवाकर ही लौटता.

उसका कोमल हाथ छूते ही मेरी वासना की ज्वाला जोर से भड़की और मैंने अपनी जांघों की ओर लाकर उसके हाथ पर अपना तना करारा लंड टच करवा दिया.

झटके से उसने हाथ खींच लिया और बोली- क्या कर रहे हो … शर्म नाम की चीज है या नहीं?
मैंने कहा- सुरभि, अगर मैं कलेजा फाड़कर अपना प्यार दिखा सकता तो अभी दिखा देता. मगर मैं कसम खाकर कहता हूं कि जब से तुमको देखा है मैं दीवाना हो गया हूं. मुझे ऐसे अधूरा मत छोड़ो.

ये कहकर मैंने उसकी कमर में हाथ डाल लिया और उसने शर्माकर गर्दन एक साइड में कर ली.
उसकी सांसें तेजी से चलने लगी थीं. डर उसे भी था लेकिन मन ही मन इच्छा उसकी भी थी.

मैंने उसको और कसकर अपनी ओर खींचा औऱ उसके चूचे मेरे सीने पर आ लगे.

वो बोली- कोई देख लेगा, मुसीबत हो जायेगी.
उसके गाल को प्यार से चूमते हुए मैंने कहा- हाय मेरी जान … इतनी सी बात के लिए इतनी परेशान क्यों होती हो?
ये कहकर मैंने उसका हाथ खींचा और उसको अंदर रूम में ले गया.

लाइट गयी हुई थी और किसी को कुछ नहीं दिख रहा था. उसको अंदर लाकर मैंने फोन की टॉर्च से बेड देखते हुए उसे बेड पर लिटाया और फिर दरवाजा अंदर से बंद करके आ गया.

मैंने फोन एक तरफ फेंका और उसके ऊपर टूट पड़ा. अंधेरे में उसके बदन को टटोलते हुए मेरे हाथों की मदद से मेरे होंठों ने उसके होंठों की मंजिल को पा लिया और हम दोनों एक दूसरे बेतहाशा चूमने लगे.

धीरे धीरे वो भी साथ देने लगी।
अब मैंने धीरे से उसका ब्लाउज खोल दिया और ऊपर से बूब्स दबाने लगा।

कुछ देर बाद मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया. मैंने हाथ मारा तो उसकी चूत पर हाथ गया और पैंटी हाथ लगी.

चूत को रगड़ कर देखा तो गीली हो चुकी थी. मतलब साफ था कि चूत अब चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार थी.

मैंने जल्दी से पैंट खोली और अंडरवियर में आ गया.
ऊपर से मैं पहले से ही बनियान में था.

अब मैं उसके बूब्स चूसने लगा.
वो सिसकारियां भरने लगी और उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया और लंड को सहलाने लगी।

अब मैंने उसे बिस्तर पर बैठा दिया और खड़े होकर उसके मुंह को छूते हुए लंड को उसके गालों पर टच किया और फिर लंड मुंह में डाल दिया.
वो गपागप गपागप लॉलीपोप के जैसे मेरे लंड को चूसने लगी।

अब मैं भी धीरे धीरे उसके मुंह में झटके मारने लगा और उसकी चूचियों को मसलने लगा।
वो मस्त होकर लंड चूसने लगी।

अब मैंने लंड निकाल लिया और दोनों पूरे नंगे हो गए।
हम 69 की पोजीशन में आ गए.

अब मुझसे रहा न जा रहा था और मैंने फोन उठाकर टॉर्च मारी और उसकी चूत को देखने लगा.
उसकी चूत बिल्कुल चिकनी गुलाबी थी.

बाद में उसने बताया कि आज ही उसने नीलम के साथ बाल साफ़ किए थे।
अब मैंने उसकी मखमली गुलाबी चूत में जीभ डाल दी और चूसने लगा.
वो भी लंड को गपागप गपागप चूस रही थी।

अब हम दोनों ही गर्म हो चुके थे.
मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया।
अपने लौड़े को मैंने चूत में सेट किया और एक झटके में पूरा घुसा दिया।

उसके मुंह से एकदम से निकला- आहह … मर गई मम्मी … ईईई … ऊईई … निकाल लो बाहर …. आह्ह … आईई … निकालो प्लीज।

मगर मैं तो चुदाई के लिए पागल था. अब बाहर निकालने को तो सवाल ही नहीं था.

मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से चिपका दिया और जोर से झटका लगाया।
वो तड़प उठी.

मैंने धीरे धीरे झटके मारने शुरू किए और उसकी चूचियों को मसलने लगा।

थोड़ी देर बाद उसकी सिसकारियां निकलने लगीं. अब मैंने अपने लौड़े की रफ्तार बढ़ा दी और तेज़ी से अंदर-बाहर करने लगा।

अब वो भी बहुत चुदासी हो गई थी और आह्ह … आह्ह … की कामुक और दर्द भरी सिसकारियों के साथ लंड लेने लगी।

उसकी चूत टाइट थी जिससे मुझे पता चल रहा था कि वो ज्यादा नहीं चुदी थी।
शायद उसके पति का लंड ज्यादा लम्बा मोटा नहीं होगा. वरना इतने दिन में तो चूत काफी खुल जाती है.
वैसे भी नई नई शादी में तो रोज चुदाई होती रहती है.

अब मैं जोर जोर से झटके मारने लगा और उसकी सिसकारियां तेज़ हो गईं. अब कमरे में चुदाई की आवाजें होने लगीं।

कुछ देर चोदने के बाद अब मैंने उसे घोड़ी बनाया और अपना लौड़ा पीछे से डाल दिया.
उसकी कमर पकड़कर मैं जोश में उसको चोदने लगा. वो भी जवाब में गांड को आगे पीछे करने लगी।

अब मैंने लंड को अंदर तक पेलना शुरू कर दिया. दोनों ही पसीने से भीग गए थे।
दोनों ही चुदाई का मज़ा लेने लगे थे.
वो बोली- आह्ह … राज तुम तो मस्त चोदते हो।
मैंने कहा- हां जानू … तेरी चूत भी बहुत मस्त है।

वो बोली- तुम्हारे लौड़े में जादू है. शादी के बाद पहली बार चुदने में ऐसा मजा ले रही हूं. असली मर्द क्या होता है ये आज पता चल रहा है मुझे. आह्ह … चोदो न … और जोर से … आह्ह … चूत फड़वाने का मजा भी आज मिला है मुझे.

उसकी ये कामुक बातें सुन सुनकर अब मैं और तेज़ तेज़ झटके मारने लगा।

फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और दोनों टांगों को चौड़ा किया और लंड घुसा दिया.

इतना अंदर तक लंड घुसा दिया कि लौड़ा उसकी बच्चेदानी तक जाने लगा. उसकी सिसकारियां कराहटों में बदल गईं.

मैं भी तेजी से झटके मारने लगा। उधर डर ये भी था कि कहीं कोई आ धमके और चुदाई की आवाजें सुन ले.

कुछ धक्कों के बाद अब उसकी आवाज धीमी होने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

अब लंड और जल्दी जल्दी अंदर बाहर होने लगा क्योंकि चूत के पानी से चिकनाहट बहुत ज्यादा बढ़ गयी थी।

फचच .. फच्च … फच्च … करके मैं उसे जोर से चोदने लगा. उसने अपनी टांगें मेरी कमर पर लपेट दीं और तेज़ी से लंड लेने लगी।

अब मैं फुल स्पीड में था. थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चूत में अपना गरमागर्म वीर्य भर दिया और उसके ऊपर लेट गया।

थोड़ी देर बाद हम अलग-अलग हो कर लेट गए।
पांच मिनट तक हमने बातें कीं और फिर वो जाने के लिए कहने लगी.

मेरे मन में लालच आ गया कि बाद में पता नहीं फिर कभी इसकी चूत मारने का मौका मिले या नहीं इसलिए मैंने फिर से उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

वो जाने के लिए कहने लगी लेकिन मैंने उसकी चूत को फिर से सहलाना शुरू कर दिया.
दो मिनट बाद उसने अपनी टांगों खुद ही खोलकर मेरी गांड पर लपेट लीं और मेरे होंठों को जोर जोर से पीने लगी.

मैंने कहा- कोई आ गया तो?
वो बोली- आने दो … अब तो एक बार कर ही दो. मैं चुदना चाहती हूं जमकर!

मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा और हम दोनों एक-दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे।
फिर उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया और तेज़ तेज़ लंड को अंदर तक गले में लेने लगी.

थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी एक टांग उठा दी और लंड को चूत में डाल दिया.
मैं तेज़ तेज़ झटकों से उसे चोदने लगा।

कुछ देर बाद फिर से दोनों सेक्स के मजे में डूब गये थे.
मैं भी झटके पर झटके लगाये जा रहा था. अब दोनों ही सिसकारियां निकालने लगे थे।

अब मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी कमर पकड़कर चोदने लगा.
उसकी गोल गांड को थपथपाते हुए बूब्स दबाने लगा और चोदने लगा।
वो भी मस्त होकर चुदाई का मज़ा लेने लगी थी।

उसके थोड़ी देर बाद उसको मैंने बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया।
मैं दोबारा से चोदने लगा. अब दोनों ही पसीने से लथपथ हो गये थे लेकिन फिर भी चुदाई करने में लगे हुए थे क्योंकि पहली बार चूत और लंड का मिलन हुआ था.
ऐसे में जितना मजा लिया जाये उतना कम लगता है.

मेरे लौड़े के हर झटके से उसकी सिसकारी तेज़ होने लगी और मैं भी फुल स्पीड से चोदने लगा.
अब वो अकड़ने लगी थी और आह्हह … आह्ह … की आवाज के साथ उसकी चूत ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया.

मेरे लौड़े की रफ्तार तेज होने लगी. अब गीला लंड फच्च … फच्च … का शोर मचाने लगा। अब मैं लंड को पूरा अंदर तक ले जाने लगा और उसकी चूचियों को मसलने लगा।

कुछ देर के गहरे धक्कों के बाद मैंने भी अपने लौड़े से वीर्य निकाल दिया और उसकी चूत में लन्ड घुसा कर उसके ऊपर ही लेट गया।
हम दोनों ही थक चुके थे.

वो दो मिनट बाद जल्दी से उठी और मैंने टॉर्च जलाकर कपड़े पहनने में उसकी मदद की.
मैंने भी अपनी पैंट पहनी और वो चुपके से निकल गयी.

उसके बाद मैं भी बेड पर गिर गया और मुझे गिरते ही नींद आ गयी.

सुबह जब मेरी नींद खुली तो 4:30 बजे का समय हो रहा था. मैं उठा और नीचे गया.
सुरभि भी उठ गयी थी क्योंकि वह घर की बहू थी.
मुझे देखकर उसने स्माइल दी.

फिर उसकी नजर मेरे लौड़े की ओर गयी.
मैंने ऊपर आने का इशारा किया तो उसने यहां वहां देखा और पाया कि सब सो रहे हैं.

मैं ऊपर आ गया और दो मिनट बाद ही वो भी आ पहुंची.

आते ही उसने मेरी पैंट खोल ली और मैंने उसके मुंह में लंड दे दिया. वो लंड को पकड़ कर चूसने लगी।

थोड़ी देर बाद मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर झुका दिया और उसकी चूचियों को साड़ी के ऊपर से मसलने लगा.

उसकी साड़ी उठाकर मैंने पीछे से उसकी चूत में लन्ड घुसा दिया।
वो आह्ह … के साथ लंड को ले गयी और मैं झटके दे देकर उसे चोदने लगा.
उसकी गांड को थामकर मैं जोर के धक्के मार रहा था.

उसको साड़ी समेत चोदने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था मुझे. ब्लाउज में फंसी उसकी चूचियां मुझे दबाने में ज्यादा आनंद आया. मैं पूरी रफ्तार से लंड को पेल रहा था.
वो तेज तेज सिसकारियां ले रही थी.

मजा आ गया दोस्तो, जवान शादीशुदा लड़की की चूत चोदने का सुख मिल रहा था.
ऐसे में मजा तब और बढ़ जाता है जब सामने वाली ब्याहता भी चुदाई की प्यासी हो.

सुरभि की चूत लंड की काफी प्यासी निकली. उसकी प्यास बुझाते हुए मुझे भी खुशी हो रही थी. धीरे धीरे सुबह का उजाला बढ़ने लगा था और अब मैंने जल्दी जल्दी लंड अंदर बाहर करना शुरू किया.

कुछ देर चोदने के बाद अब दोनों के शरीर अकड़ने लगे थे और हमने एक साथ पानी छोड़ दिया.
मैं उसके ऊपर लिपट गया और लंड को पूरा घुसा दिया.
उसने भी जैसे चूत को सिकोड़ कर मेरे वीर्य की एक एक बूंद निचोड़ ली.

फिर सुरभि ने मेरे लंड को चूस कर साफ़ कर दिया और अपने कपड़े पहने।

जल्दी से वो वहां से निकल गयी. मुझे भी चूत मारने के बाद सुबह की अलग ही ताजगी महसूस हो रही थी.

उसके बाद वो चली गयी और उसने रात को फिर से मिलने का वादा किया. वहां शादी में फिर और क्या क्या हुआ वो सब मैं आपको अपनी आने वाली कहानियों में बताता रहूंगा.

आपको मेरी ये रिश्तों में चुदाई की कहानी कैसी लगी आप इसके बारे में अपनी राय जरूर मुझ तक पहुंचायें. मैं आपके रेस्पोन्स के आधार पर अगली कहानी जल्द से जल्द लिखने की कोशिश करूंगा.

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