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अब तक आपने मेरी इस हिंदी सेक्स कहानी के पहले भाग
मॉम-डैड का सेक्स और बहन की चुदाई-1
में पढ़ा था कि मेरी बहन मुझसे जानना चाहती थी कि मेरी भाभी का पेट कैसे फूल गया है. वो मुझसे सेक्स कैसे होता है इस बारे में भी जानना चाहती थी.
तो मैंने उसको मॉम डैड का सेक्स दिखा दिया.
अब आगे..
मैं उसे कमरे में ले गया और वहां ले जाकर मैंने उससे बोला- मरवाएगी क्या? अभी पता चल जाता कि हम खिड़की से देख रहे थे तो भारी गड़बड़ी हो जाती.
वो बोली- लेकिन!
मैंने कहा- चुप … अब पढ़ाई पर ध्यान दे, मॉम आकर देखेगी कि तूने कितना काम किया है.
यह कह कर मैं बाथरूम में घुस गया और मुठ मारकर बाहर आ गया. मेरा लंड चुदाई देख कर लोहे की तरह खड़ा था. एक तो चुदाई देखकर चुदास चढ़ गई थी और दूसरा बहन के इतने पास खड़ा था कि आग और ज्यादा भड़क गई थी. इसलिए मुठ मारना जरूरी था.
फिर अगले दिन बहन से बात हुई. उसने तो सवालों की पूरी लिस्ट तैयार कर रखी थी. पहला डैड ने हाथ में काला सा क्या ले रखा था, जिस पर मॉम बैठी थी?
मैंने कहा- वही तो है, उनके मूतने की जगह.
वो बोली- झूठ.. मेरी तो ऐसी नहीं है.
मैंने कहा- आदमियों की अलग होती है और औरतों की अलग होती है. तभी तो आदमी खड़े होकर भी मूत लेते हैं.
वो बोली- अगर ऐसा है तो दिखाई क्यों नहीं देता कपड़ों में से?
मैंने पूछा- मतलब?
उसने कहा- ऐसे सीधे हवा में ऊपर की तरफ कैसे था.. यदि ऐसा ही रहता है तो कपड़ों में से क्यों नहीं दिखाई देता?
मैंने कहा- यही तो इसकी खासियत है. ये केवल सेक्स के टाइम पर ही बाहर आ जाता है, फिर छोटा हो जाता है.
तो उसने कहा- ऐसा तो फिर औरतों के साथ भी होता होगा.
मैंने कहा- नहीं.
उसने कहा- ऐसा क्यों?
मैंने कहा- इसका जवाब मेरे पास नहीं है.
उसने कहा- बताओ न?
मैंने कहा- इसे मुँह से बता नहीं सकते, करके बता सकते हैं.
इस टाइम तो मेरे अन्दर भी लालच आ गया था कि कहीं बहन की चूत सच में देखने को मिल जाए.
वो बोली- मॉम, जब डैड के मूतने वाली जगह पर बैठी थीं, तो उसके बाद उछलने क्यों लगी थीं?
मैंने कहा- उसे ही तो सेक्स कहते हैं.
उसका अगला सवाल भी आ गया- तो वो क्या था.. जब मॉम डैड के मूतने वाली जगह को मुँह में ले रही थीं?
मैंने कहा- वो सेक्स का ही हिस्सा होता है.
तो उसने बोला- मुझे समझ में नहीं आया, तुम क्या बोल रहे हो?
मैंने कहा- इससे ज्यादा मैं और क्या बताऊं?
तो उसने कहा कि मुझे एक बार और देखना है.
मैंने कहा- अब मॉम और डैड से ये तो कह नहीं सकता कि भाई हमें फिर से सेक्स देखना है, आप दोनों एक बार फिर सेक्स करो.
तो वो बोली- तुम ही दिखा दो.
मैंने कहा- पागल है … किसी ने देख लिया तो लेने के देने पड़ जाएंगे. अब बस बहुत हो गया, अब बाद में बात करेंगे.
अकेले में मैंने सोचा कि क्या ऐसा हो सकता है कि किसी को पता भी नहीं चलेगा और अपना काम भी हो जाएगा. हम दोनों की जरूरत भी पूरी हो जाएगी. हालांकि उसका तो मुझे नहीं पता था. लेकिन तब भी मुझे लगा कि उसके साथ सेफ भी रहेगा.
आज ये सब सोचा तो पहली बार बहन को इस नजरिये से देखा. उसकी काया को घूरा, वो एक एवरेज लड़की थी. जिसके जिस्म का सबसे आकर्षक हिस्सा था उसकी उठी हुई गांड. उसके चुचे बड़े नहीं थे, एक मुट्ठी में आने लायक जितने थे.
फिर एक रात को हम सोये हुए थे मेरे मन में शैतान जाग गया. मेरे बगल में बहन सोई थी. मैंने सोचा एक बार हाथ फिराने में क्या जाता है.ये सोच कर मैंने उसकी तरफ देखा. उसकी कमर मेरी तरफ थी. मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराया, फिर गांड के छेद की तरफ उंगली की. तभी उसने करवट ली, तो मैंने हाथ हटा लिया.
अब वो सीधी हो गई थी. मैंने उसके चूचों पर हाथ फिराया. उसके चूचे इतने बड़े तो थे नहीं थे कि वो ब्रा पहने. मुझे चुचे महसूस होने लगे. इतने में ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
तभी वो पानी पीने के लिए उठ गई और बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने मुँह पर हाथ रखते हुए बोला- बोल मत और किसी को मत बताइयो.. बाद में बताऊंगा वरना मुसीबत हो जाएगी.
मैंने उसे सोने को बोला. वो सो गई मगर मुझे पूरी रात नींद नहीं आई. बस मैं ये सोचता रहा कि अगर इसने बोल दिया तो क्या होगा.
अगले दिन नज़र बचा कर मैं घर से निकल गया कि कहीं कल वाली बात न पूछ ले. मेरी बहन के दिमाग में जो सवाल घुस जाता था, वो जानकर ही दम लेती थी.
सुबह तो मैं बच गया. लेकिन कभी न कभी तो सामना होना ही था. फिर जब मैं उसके सामने आया, तो उसने पूछ लिया- क्या बात है आजकल नजर बहुत चुरा रहे हो … और उस रात की बात भी नहीं बताई?
मैंने बात टालते हुए कहा- जल्दी ही बता दूँगा … अब मुझे पढ़ने दे.
फिर मैं कुछ दिन के बाद एक ब्लू फिल्म की सीडी ले आया. दिन में डैड तो सो रहे थे, मॉम और भाभी डॉक्टर के गए हुए थे. मैंने सोचा कि यही सही मौका है.
मैंने बहन को बुलाया और बोला- चुप रहियो और देखती रहियो … कुछ पूछना हो तो हल्के से पूछियो.
उसने हां कर दी.
मैंने सीडी लगा दी. फिल्म जैसे जैसे आगे बढ़ी, उसके सवाल भी निकलने लगे. जैसे मुँह से मुँह की किस क्यों करते हैं? पूरे कपड़े क्यों उतारे हैं, वो लड़का उसके सीने को क्यों दबा रहा है.
मैंने उसके बाकी सब सवालों के जवाब तो ऐसे ही दे दिए. लेकिन मुख्य सवाल को लेकर मैं सोच में पड़ गया.
वो बोली- लड़के की टांगों के बीच में क्या है?
तो मैंने कहा- लड़के यहीं से मूतते हैं.
उसने कहा- क्या तुम्हारा भी ऐसा है?
मैंने कहा- हां … क्यों?
वो बोली- मुझे देखना है.
एक बार तो मन किया कि लंड खोल दूँ.. लेकिन मन में डर था कि डैड घर में हैं और दूसरा ये कहीं किसी से बोल न दे.
इतने में फिल्म आगे बढ़ी. अब लड़का लड़की की चूत चाट रहा था.
तो बोली- छी: कितना गन्दा है.
मैंने कहा- ऐसा करने पर मज़ा आता है.
वो बोली- तुमने कभी किया है?
मैंने कहा- नहीं.
बोली- तो तुम्हें कैसे पता?
मैंने कहा- सुना है.
चुदाई की फिल्म पूरी हुई, लड़का झड़ा तो फिर से बोली- इसने तो लड़की पर मूत दिया.
मैंने फिर समझाया कि इसने मूता नहीं है, ये उसका वीर्य है, जिससे बच्चे पैदा होते हैं.
बोली- लड़की का कुछ नहीं निकलता?
मैंने- निकलता है ना.. लड़की की मूतने की जगह से भी पानी निकलता है.
अब मॉम के भी आने का टाइम हो रहा था और मेरा लंड तन के खड़ा था. मैंने झट से सीडी निकाली और छिपा कर रखने के बाद बाथरूम में घुस गया. चुदाई की सोच कर मुठ मारी और बाहर आ गया.
बाद में बहन बोली कि जब फिल्म देख रहे थे तो मुझे नीचे कुछ खुजली हो रही थी … जो अभी भी हो रही है. मैं क्या करूँ?
अब करना तो मैं भी चाहता था … लेकिन ये टाइम सही नहीं था. मैंने कहा- तू ऐसा कर … नहा ले, क्या पता पसीने की वजह से खुजली हो रही हो.
ऐसा कुछ दिन चलता रहा. मैं उसे मौक़ा देख कर ब्लू फिल्म दिखाता रहा और गर्म करता रहा. मैं सोच रहा था कि क्या पता कहीं किस्मत खुल जाए.
एक दिन फिल्म देखते हुए बोली- क्या तुम अपनी मूतने की जगह मुझे दिखा सकते हो?
मैंने कहा- पहले तो समझ ले कि ये मूतने की जगह है और इसे लंड बुलाते हैं.
अब मुझे इतना भरोसा तो हो ही गया था कि इसको बता सकूँ कि इसे क्या बोलते हैं. और ये भी जान ले कि कुछ भी फ्री में नहीं मिलता.
उसने कहा- क्या मतलब? मैं पैसे दूं?
मैंने कहा- नहीं… जैसे तू मेरा देखना चाहती है.. वैसे ही मैं तेरी चूत देखना चाहता हूँ.
मैंने बोल तो दिया, लेकिन मेरी फट रही थी.
वो बोली- छोड़ो … बाद में.
मैं चुप हो गया.
वो फिर बोली- अच्छा दिखा दो ना?
मैंने कहा- पहले तू!
उसने कहा- ठीक है कब?
मैंने कहा- कल जब घर पर कोई नहीं होगा.
अगले दिन हम दोनों ब्लू फिल्म देखने लगे और उससे बोला- मेरा देखना है तो अपनी दिखा.
अब की बार वो मान गई लेकिन बाद में बोली- किसी को मत बताना.
जब वो पजामी उतार रही थी तो मैं एकटक उसे ही देख रहा था.
क्या मस्त नजारा था और फिर जब पेंटी उतार रही थी, तब तो हलक ही सूख गया. दोनों टांगों के बीच में एक छोटा का कट.. पिंक कलर का दिखा. तभी वो जल्दी से टांगें चिपकाकर बैठ गई और अपने हाथ से चूत ढक ली.
वो बोली- अब तुम?
मैंने कहा- पहले अच्छी तरह से देख लूँ.
अब उसकी चूत देखकर तो लंड एकदम तनतनाकर खड़ा हो गया. जब मैंने अच्छी तरह से देख लिया तो बोली- अब तो दिखा दो.
मेरा चूत छूने का मन तो था, लेकिन ये सोच कर रह गया कि कहीं बाजी हाथ से न निकल जाए. फिर मैंने सोचा कि देर नहीं करनी चाहिए इसलिए मैंने झट से अपनी निक्कर उतार कर अपना लंड दिखा दिया.
वो घूर घूर कर मेरे खड़े लंड को देख रही थी. मैंने बोल दिया- ऐसे घूर कर क्या देखती है.. अगर छूना है तो छू ले.
उसने मना कर दिया.
मैंने मन ही मन में कहा कि आज तो नहीं.. पर कभी न कभी तो छुएगी ही.
कुछ देर ऐसे ही बैठ कर ब्लू फिल्म देखी फिर कपड़े ऊपर किये और मुठ मारने चल दिए. लेकिन जब भी फिल्म देखते तो बहन कहती कि फिल्म देखते हुए उसे नीचे खुजली होती है.
एक दिन मैंने सोच लिया कि आज उसकी चूत छूकर ही रहूँगा. बस यही सोच कर मैं एक नई सीडी लाया और सबके जाने का इन्तज़ार करने लगा.
जैसे ही सब गए, मैंने बहन के साथ फिल्म देखना शुरू कर दी. अब जब उसने बोला कि मुझे फिर से खुजली हो रही है.
तो आज मैंने कहा- दिखा … मैं देख लेता हूँ कि तुझे खुजली होती क्यों है?
उसने मना कर दिया.
मैंने कहा- मैं तो तुझे पहले भी देख चुका हूँ. अब क्या शर्म?
तब भी वो मना करने लगी.
मैंने कहा- चल ठीक है.. कोई बात नहीं अपने हाथ से खुजली कर ले.
अब मुझे तो पता था कि क्या हो रहा है. लेकिन उसे क्या पता कि चूत की चींटियां कैसे मारी जाती हैं.
जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने बोला कि खुजली कम नहीं हो रही है.
मैंने कहा- ला मैं कर देता हूँ, क्या पता कम हो जाए.
इस बात पर वो मान गई, लेकिन सिर्फ ऊपर से करवाने के लिए मानी.. यानि कपड़ों के ऊपर से.
मैंने एक हाथ अपने लंड कर रखा और एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा. चूत पर हाथ लगते ही उसे मज़ा आने लगा. बस अच्छा सा मौका देख मैंने हाथ अन्दर डाल दिया. उसकी रोकने की हालत थी ही नहीं … मैं बस चूत के ऊपर का दाना सहलाता रहा और वो झड़ गई.
वो मस्ती में आंखें बंद करे हुए अपनी जांघें जोर से दबाए हुए और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ पकड़ते हुए बैठ गई थी. मैंने अपना हाथ छुड़ाया और हाथ बाहर निकाल कर उसे ऐसे ही छोड़ कर टीवी बंद करके बाथरूम में घुस गया और जम कर मुठ मारी.
जब मैं बाहर आया तो बहन सो गई थी.
जब पहली बार कोई झड़ता है, तो कमजोरी सी तो लगती ही है. ऐसा उसके साथ भी हुआ था.
बाद में जब हमें अकेले में टाइम मिला तो उसने पूछा- मुझे क्या हुआ था?
मैंने बताया उसे कि तू मजे लेते हुए झड़ गई थी.
वो मुझे देखती रही.
फिर मैंने पूछा कि जब मैं खुजा रहा था तब तुझे मज़ा आया कि नहीं?
तो उसने बोला कि बहुत मज़ा आया. हम फिर से कब करेंगे?
मैंने बोल दिया- जल्दबाज़ी ठीक नहीं … और गलती से भी किसी को न बता देना कि हमने ऐसा किया है. और ना ही ये बताना कि तुझे इन सबके बारे में पता है.
उसने हामी भर दी.
फिर जुगाड़ लगा कर मैंने बहन को अपने साथ सोने के लिए राजी कर लिया. पहले वो कभी कभी ही मेरे बाजू में सोती थी. अब जहां मैं सोता हूँ, उसे वहां सोने के लिए घरवालों को मना लिया. ये सब मेरे लिए भाभी ने भी देर रात तक पढ़ाई की बात कह कर आसान बना दिया.
फिर क्या था … सबके सोने के बाद हम बातें करते रहे क्योंकि मॉम तो भाभी के साथ सोती थीं और मैं बहन के साथ सोने लगा था. कई बार रात को मैंने उसकी चूत सहलाई और उसने मेरा लंड हिलाया.
अब आगे बढ़ने की बारी थी, लेकिन कैसे बढ़ूँ, ये समझ नहीं आ रहा था.
लेकिन कहते है न कि जिस चीज़ की चाह रखो और पाने की कोशिश करो तो वो मिल ही जाती है.
बिल्कुल ऐसा ही मेरे साथ हुआ. भाभी की डिलीवरी होनी थी तो उनको हॉस्पिटल में एडमिट कराया. मॉम रात में भाभी के पास रूकने लगी थीं और घर पर मैं और बहन अकेले ही रहते थे.
बस फिर क्या था, मैं उसे चुदाई के लिए मनाने लगा. वो दर्द से डरती थी, वैसे मैंने उसे सब बता रखा था, लेकिन कोई भी नया काम करते वक़्त सबको डर लगता ही है.
मैंने उसे समझाया और मना लिया.
फिर जब रात हुई, मॉम हॉस्पिटल गईं, कुछ देर बाद खाना खाकर जब हम दोनों सोने के लिए गए तो मेरे अन्दर एक बेचैनी सी थी. एक उत्साह भी था और डर भी था.
फिर चूमा चाटी का दौर शुरू हुआ. मैंने पहले उसे खूब गर्म किया, फिर उसकी चूत चाटना शुरू किया तो चूत में से पानी निकलने लगा. इसके बाद मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी चूत पर सैट किया.
तो वो बोली- अगर दर्द हुआ तो?
मैंने कहा- हाथ से कर लेंगे … अन्दर किसी और दिन कर लेंगे.
वो राजी हो गई.
अब मैंने लंड अन्दर करना शुरू किया पहले पहल तो लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था. तो मैंने हाथ से चूत को थोड़ा सा खोला और लंड को पकड़ कर अन्दर करने लगा.
इतने में ही बहन के मुँह पर दर्द शिकन आने लगी. अभी लंड का केवल आगे का ही हिस्सा अन्दर गया था, लेकिन वो दर्द से छटपटाने लगी, मुँह से चीखने वाली हो गई थी कि मैंने मुँह पर एक कपड़ा रख दिया.
मैं उसके ऊपर से बिल्कुल नहीं हिला लंड घुसाए पड़ा रहा.
वो कहने लगी- मुझे बहुत दर्द हो रहा है. प्लीज बाहर निकालो.. मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा.
मैं उसे दर्द नहीं देना चाहता था. मैंने उसे समझाया लेकिन उसने कुछ नहीं सुना तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया. लेकिन लंड को चूत की जो गर्मी मिली, उस अहसास को मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता कि कितना मज़ा आया. ऐसा मज़ा न मुठ मारकर आता है, न ही चुसवाने में आता है.
बस इसके बाद तो अब वो कुछ भी करना नहीं चाहती थी. मुझे अपने हाथ से ही मुठ मारकर शांत होना पड़ा. आज मैंने उसके सामने ही लंड हिला कर पानी निकाला था. वो मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी.
मैंने अपनी वासना को शांत करने के बाद उससे बात की, तो बोली- मुझे इतना दर्द हो रहा था और तुम और अन्दर किये जा रहे थे. मैं मर रही थी, तुम मजे ले रहे थे.
मैंने उसे चुप कराया और कहा- अगर मुझे मजे लेने होते तो पूरा अन्दर करता, न कि बीच में रुक जाता और दर्द केवल झिल्ली के मारे हो रहा था, क्योंकि तू कुँवारी है. अगर एक बार लंड पूरा अन्दर चला गया तो फिर कभी दर्द नहीं होगा.
पर वो नहीं मानी तो मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया. लेकिन कभी किसी और दिन करने के लिए मना लिया.
फिर उसके साथ मैंने ओरल सेक्स किया ताकि कहीं वो सेक्स के नाम से ही ना डर जाए. कुछ और दिन कोशिश की क्रीम लगा कर, तेल लगा कर… लेकिन उसके दर्द के आगे मैं हार जाता था क्योंकि मैं उसे चोट नहीं पहुंचाना चाहता था.
इस तरह कई महीने बीत गए. हम सेक्स में अलग अलग खेल खेलते, लेकिन सेक्स में ज्यादा से ज्यादा मैं अपना लंड उसकी चूत पर रख कर रगड़ता था, अन्दर नहीं डालता था.. बस चूत में उंगली कर लेता था और वो भी अपने हाथ से मेरा लंड सहला लेती और मुठ मार देती थी.
हम अपने आपको ऐसे ही चूस कर या उंगली करके संतुष्ट कर लेते थे.
एक दिन जब वो साईकल चला रही थी तो एक जगह अपनी साईकल भिड़ा दी और उसे साईकल के पाइप से नीचे लग गई. उसने बताया कि खून भी निकला. कई दिनों तक उसने हाथ भी नहीं लगाने दिया. शायद इस दुर्घटना से उसकी चूत की झिल्ली टूट गई थी. कुछ दिन बाद हम दोनों ने जैसे पहले करते थे, शुरू कर दिया.
फिर वो दिन आया, जिस दिन मैंने पहली बार अपनी बहन की चूत मारी.
उस दिन शाम को मॉम और डैड शादी में जा रहे थे और हम दोनों नहीं जा रहे थे क्योंकि शादी कहीं दूर थी और घर में केवल एक ही स्कूटर था. सब को साथ जाने में दिक्कत थी. अब मॉम और डैड गए और फिर हम शुरू हो गए. मैंने पहले बहन को किस किया, फिर गर्दन पर किस किया.
जब भी मैं उसे पीछे से गर्दन पर किस करता था, तो वो बहुत उत्तेजित हो जाती थी और मुझे भी मज़ा आता था.
आज मैं वैसे ही कर रहा. पीछे से गर्दन चूम रहा था और उसके चुचे दबा रहा था. बाद में मैं एक हाथ से उसकी चूत को मसलने लगा था. फिर आगे आकर उसके चुचे चूमने लगा, चूत में उंगली करने लगा. वो भी मेरा लंड सहलाने लगी.
बाद में मैं उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरा लंड चूसने लगी. इस वक्त हम दोनों 69 के पोज में आ गए थे. पता नहीं उसे क्या हुआ, उसने कहा कि आज फिर से एक बार फिर अन्दर करके देखते हैं.
मैंने कहा- रहने दे यार … तुझे फिर दर्द होगा और मैं तेरा दर्द नहीं देख पाऊंगा और सारा मूड खराब हो जाएगा.
मैंने उसकी बात नहीं मानी. हमने बस वैसे ही किया, जैसे करते थे और दोनों झड़ गए.
उसके बाद उसने फिर से कहा- एक बार अन्दर करने में क्या जाता है.
मेरे मना करने पर उसने बोला- सिर्फ तुम सीधे लेट जाओ बाकी मुझ पर छोड़ दो.
मैं लेट गया, वो खड़ी हुई और दोनों तरफ टांगें करके उसने अपनी चूत को सीधा लंड के ऊपर सैट किया और नीचे बैठने लगी, जिससे उसे भी दर्द होने लगा और मुझे भी … क्योंकि लंड सूख चुका था.
मैंने कहा- एक बार लंड को चूस ले, जिससे वो गीला हो जाएगा. तब फिर से कोशिश करियो.
उसने वैसे ही किया. लंड चूस कर फिर से बैठने लगी. अब की बार लंड आसानी से उसकी चूत के अन्दर जाने लगा. लेकिन जैसे जैसे लंड अन्दर जा रहा था, उसे दर्द होने लगा. मुझे इतना मज़ा कभी भी नहीं आया था. चूत के अन्दर की गर्मी जब मुझे लंड पर महसूस होने लगी, उसकी फीलिंग को शब्दों से बयान नहीं कर सकता. मुझे उसकी चूत में जाता हुआ लंड इंच ब इंच महसूस हो रहा था.
अब रुक पाना मेरे बस में नहीं था, लेकिन जब मैंने देखा कि उसे दर्द हो रहा है, तो मैंने सिर्फ इतना कहा- अगर दर्द हो रहा है तो यहीं रुक जा.
मन तो नहीं कर रहा था लेकिन उसका दर्द नहीं देख सकता था.
तभी उसने कहा- नहीं, कोई बात नहीं, मुझे उतना दर्द नहीं हो रहा.
मैंने कहा- ऐसे ही रुक जा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.
थोड़ी देर रुक कर वो फिर से नीचे होने लगी. धीरे धीरे करते करते लंड अन्दर करने लगी. बस पूरा अन्दर होने ही वाला था कि वो रुक गई.
उसने कहा- बस, अब और अन्दर नहीं जा रहा!
बस ज़रा सा ही रह गया था लेकिन मैंने ज़बरदस्ती नहीं की और उससे कहा कि धीरे धीरे ऊपर नीचे हो.
जब वो ऐसा करने लगी तो उसे थोड़ा दर्द होने लगा.
मैंने कहा- ऐसा कर तू नीचे आ जा … मैं ऊपर आके करता हूँ.
वो मान गई और धीरे से खड़ी हुई. जब लंड चूत से बाहर आया तो पक से आवाज आई. फिर मैंने उसे नीचे लेटाया और उसकी चूत चाटने लगा. मैंने सोचा कि अगर थोड़ा मज़ा आने लगेगा तो वो भी साथ देगी.
फिर मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और धीरे से चूत के अन्दर डालने लगा. थोड़ा दर्द तो हुआ उसे, लेकिन जो अहसास उस समय मुझे हो रहा था मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता.
जैसे जैसे लंड चूत में जाता जा रहा था, वैसे वैसे उसकी गर्मी महसूस हो रही थी और मज़ा तो सातवें आसमान पर था. ज़िन्दगी में इतना मज़ा कभी नहीं आया.
कुछ देर तो ऐसे ही रुक कर बस चूत में लंड अन्दर जाने का मज़ा लेता रहा, उसके बाद मैंने धीरे धीरे धक्के मारना शुरू किए. मज़ा तो इतना जो लाइफ में कभी महसूस नहीं किया था. फिर धक्के धीरे धीरे तेज़ होने लगे.
अब उसे भी मज़ा आने लगा. उसने अपनी टांगों से मेरी कमर को पकड़ रखा था. मैं धक्के लगाता हुआ कभी गर्दन पर चूमता, कभी होंठ चूमता.
जब वो झड़ने को हुई तो उसने अपने आप ही मेरे सर को बालों से पकड़ लिया और लिप टू लिप किस करने लगी. उसने अपनी टांगें इतनी जोर से कस ली थीं कि मानो मुझे अपने अन्दर ही समा लेना चाहती हो.
कुछ देर बहुत ज़ोर शोर से किस हुई. अब वो झड़ जाने के कारण थक गई थी. मैंने भी ज़ोर से धक्के लगाये और जल्दी छूट गया.. लेकिन छूटने से पहले मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया था.
अब हम दोनों इतने थक गए थे कि कपड़े भी नहीं पहनना चाहते थे. ना चाहते हुए भी कपड़े पहने और एक दूसरे से किस करते हुए सो गए.
पता नहीं मैं कितनी देर सोया, लेकिन जैसे ही लगा कि शायद मॉम डैड आ गए हैं, तो मैं बहन से थोड़ा दूर होकर सो गया.
यह थी मेरी सेक्स कहानी, जब मैंने अपनी सगी बहन को पहली बार चोदा. लेकिन ये आखिरी बार नहीं था.
आगे क्या हुआ, वो मैं आपको बाद में बताऊंगा. अभी के लिए इतना ही.
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