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नमस्कार दोस्तो,
कैसे हो आप लोग! सभी मित्रों को और गर्म चुत वाली लड़कियों को मेरे खड़े लंड का प्रणाम.
आज आपको अपनी पिछली कहानी
कच्ची कली की कुंवारी बुर का चोदन
से आगे की कहानी सुनाने आया हूँ जो बहुत ही मजेदार है.
हुआ कुछ इस तरह कि मोना और डोली की चुदाई करते करते मुझे पूरा साल हो चुका था. इस बीच मोना अपनी कई सहेलियों को मेरे लंड से चुदवा चुकी थी. एक तरह से मोना मेरे लिए चुत मिलने की दुकान थी.
मैंने उसकी संगत में रह कर अब तक लंड को चुत का नशा चढ़ा दिया था. अब तो यह हालत हो गई थी कि हफ्ते में तीन दिन तक चुत न मिले, तो लंड को बेचैनी होने लगती थी.
मोना एक हफ्ते से मेरे लंड के नीचे नहीं आई थी. उन दिनों मोना कुछ दिन के लिए अपने गांव गयी थी. मेरा लंड चुत में गोता लगाने के लिए बड़ा उतावला था. मोना के न होने से मुझे उसकी कोई सहेली की चुत भी नहीं मिल पा रही थी.
मैंने मोना से फोन से कहा भी था कि किसी आइटम को लंड की सेवा के लिए बोल दे. मगर उसने मुझे फोन करके बताया कि कोई भी आने को राजी नहीं है.
मैं मन मसोस कर लंड को बस हिला रहा था. मन बहलाने ले लिए मेरे पास फिलहाल एक ही साधन था. कामुक्ताज डॉट कॉम की सेक्स कहानी को पढ़ना और लंड की मुठ मार कर माल निकाल देना.
तभी एक घटना हुई. मेरे मकान मालिक की मां का देहांत हो गया. वो अपनी दो बेटियों को लेकर गांव चले गए. घर में शालू और सोनिया ही रह गयी थीं.
उस वक्त शालू और सोनिया जवानी की दहलीज पर ही थीं … लेकिन दोनों ही अपनी उम्र से कहीं ज्यादा मस्त दिखाई देती थीं.
मकान मालिक जाते वक्त मुझसे बोल गयी कि बेटा, शालू और सोनिया के पास वाले रूम में सो जाना, वे दोनों अकेले सोने में डरती हैं … तुम जरा ध्यान रखना … इनके पेपर हैं, नहीं तो इन्हें भी साथ ही ले जाते.
मैंने अनमने मन से हां कह दिया क्योंकि मुझे उन दोनों की तरफ से कोई उम्मीद नहीं थी कि इनकी चुत का कोई जुगाड़ हो पाएगा.
हालांकि मेरी नजर उस वक्त उन दोनों पर नहीं थी. मैं तो पूजा को भोगना चाहता था. पर होनी को कुछ और ही मंजूर था.
मैंने डोली की तरफ देखा तो उसने भी मुँह फिरा लिया. मैंने भी कुछ नहीं कहा और मकान मालिक से हामी भर दी.
रात के समय मैं ऊपर वाली मंजिल पर सोने गया. वे दोनों बैठी पढ़ रही थीं. मैं उनसे पढ़ाई के बारे में पूछने लगा और सोने की बोल कर बराबर वाले रूम में चला गया.
थोड़ी देर बाद दोनों कमरों के बीच वाला दरवाजा खुला, तो शालू चाय का कप लेकर आयी.
वो बोली- लो आप चाय पी लो.
उस वक्त मैं सिर्फ़ फ्रेंची पहने हुए लेटा था और कामुक्ताज डॉट कॉम पर सेक्स कहानी पढ़ रहा था. मेरा लंड खड़ा था, जिसे शायद शालू ने देख लिया था. उसके हाथ थोड़ा कांप रहे थे. मैं भी कामुक्ताज डॉट कॉम की सेक्स कहानी पढ़ कर इतना अधिक वासना में डूबा हुआ था कि मैंने भी अपने लंड को चादर या किसी और चीज से ढांपने की कोशिश नहीं की.
वो एक पल के लंड देखती रही. फिर चली गई … लेकिन जाते जाते वो बीच वाला दरवाजा खुला ही छोड़ कर चली गई. इस बात पर मैंने कोई ध्यान नहीं दिया.
शालू चाय देकर चली गयी थी. कुछ देर बाद उन दोनों ने पढ़ाई बंद की और लाइट बंद करके सो गईं. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी.
थोड़ी देर बाद आहट हुई, जिसे सुन कर मेरा ध्यान उस तरफ गया. मैंने देखा तो सामने शालू खड़ी थी.
वो बोली- मुझे अकेले डर लग रहा है … क्या मैं आपके पास सो जाऊं?
मैं चड्डी में हाथ डाल कर अपने लंड को सहला रहा था, जब वो अन्दर घुसी थी. मेरे दिमाग में सिर्फ चुत चल रही थी. मैं मोना या डोली की चुत की जरूरत महसूस कर रहा था. मेरे लंड को कई दिनों से चुत का स्वाद नहीं मिला था.
जब वो अन्दर आई, तो मैंने उसकी तरफ देखा. उस वक्त वो सिर्फ एक लम्बी टी-शर्ट में थी, जो उसके घुटनों से थोड़ा सा ऊपर तक थी.
आज पहली बार मैंने उसके मम्मों की तरफ ध्यान से देखा था, जो मुझे आज बहुत मस्त लग रहे थे. हालांकि उसने अन्दर ब्रा पहनी थी.
मैंने चड्डी से हाथ निकाला और उससे अपने बिस्तर पर आकर लेट जाने के लिए कह दिया.
वो आकर मेरे बराबर में लेट गयी.
फिर बोली- नाईट बल्ब जला दो, मुझे डर लगेगा.
इस पर मैंने साहस दिखाते हुए उसे अपने पास खींच कर अपने सीने से चिपटा लिया. मैं बोला- मेरे रहते हुए डर किस बात का?
उसने कुछ नहीं कहा. साथ ही उसने कोई विरोध भी नहीं किया … बल्कि मेरे कंधे पर सर रख कर लेट गयी.
अब उसके चुचे मेरी साइड से दब रहे थे, जिस कारण मेरा लंड फिर खड़ा हो गया. मैंने उसकी कमर और पेट को सहलाना शुरू कर दिया. वो कुछ नहीं बोली और मेरे सीने पर हाथ रख कर और चिपक गई.
मैं उसे सहलाने लगा. धीरे से मैंने उसके कान में गर्म सांस छोड़ी, तो मुझे उसकी भी गर्म सांसें महसूस होने लगीं.
उसे सहलाते सहलाते मैं उसकी टी-शर्ट को ऊपर की तरफ खींच रहा था, जिसका वो कोई विरोध नहीं कर रही थी. वो एकदम शांत लेटी थी. शायद आंखें बंद करके मजा ले रही थी. धीरे धीरे मैंने उसकी टी-शर्ट पूरी ऊपर सरका दी और उसके पेट और जांघों को सहलाने लगा. उसकी तेज होती सांसों को मैं अपनी छाती पर साफ़ महसूस कर रहा था.
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसका हाथ उस पर रख दिया. पहले तो उसका हाथ थोड़ा सा कांपा, लेकिन उसने अपना हाथ हटाया नहीं. अब मैंने करवट ले कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके होंठों को चूसने लगा. वो भी पूरा सहयोग कर रही थी और मेरी कमर को सहला रही थी.
मैं उसकी गर्दन को किस करता हुआ नीचे की तरफ आने लगा, लेकिन उसकी गर्दन से नीचे उसकी टी-शर्ट ने रास्ता रोक लिया, जिसे निकालना जरूरी हो गया. मैंने उसकी टी-शर्ट का किनारा पकड़ा, तो उसने बांह उठा दी और खुद ही निकाल दी.
अब वो मेरे साथ केवल ब्रा पेंटी में थी. तभी मैंने नाईट बल्ब को ऑन कर दिया बल्ब की लाल रोशनी में उसका जिस्म अंगारे की तरह लग रहा था. वो एकटक मेरे लंड को देख रही थी.
मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी और उसे लिटा कर उसके मासूम से 30″ साइज के मम्मों को चूसना और सहलाना शुरू कर दिया. उसके मुँह से तेज सिसकारियां निकलने लगीं. मैंने बारी बारी से उसके दोनों निप्पलों को चूसा और सहलाया. साथ ही दूसरे हाथ से उसकी चुत को पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा.
अचानक मैंने उसकी पैंटी भी नीचे सरका दी और उसकी चुत को सहलाने लगा. अब उसकी मादक सिसकारियों से रूम का तापमान बढ़ गया और साथ ही मेरे लंड का तूफान भी अपने चरम पर आ गया.
मैं सरक कर उसकी चुत पर अपने होंठों को ले गया. अपनी जीभ से जैसे ही उसकी चुत के दाने की छुआ, तो वो तड़प सी गयी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और कमर उछालने लगी. उसकी चुत से भी एकदम से तरल रस का रिसाव होने लगा.
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चुत से लंड को रगड़ने लगा. उसकी चुत के गीले हो जाने से उसकी फांकें फड़कने लगीं और वो मेरे लंड से चुत को लड़ाने लगी. इस समय उसकी चुत लंड अन्दर लेने के लिए मचल रही थी. मगर मुझे लग रहा था कि इसकी चुत कमसिन हो सकती है … यदि जल्दीबाजी की तो मामला बिगड़ सकता है.
फिर मैंने सही समय देख कर उसकी चुत पर अपने लंड को सैट किया और हल्का सा दवाब बनाया. जैसे ही मेरा लंड का टोपा उसकी चुत में घुसा, वो रोने और कसमसाने लगी. मैं रुक गया और उसकी एक चुची को मुँह में लेकर चूसने लगा.
एक मिनट बाद मैंने एक और धक्का दिया. इस बार मेरा लंड आधा अन्दर चला गया. वो दर्द से फिर तड़फ़ी, लेकिन मैं इस बार नहीं रुका और लंड पर दवाब बनाता चला गया.
कुछ ही पलों में मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया. वो बेहद तड़फ रही थी … मगर मेरे लगातार उसके दूध चूसने से उसका दर्द मजा भी दे रहा था. शालू ने भी बड़ी हिम्मत के साथ लंड को झेल लिया. मैं कुछ देर के लिए रुका और उसके होंठों को चूसने लगा. साथ ही मैं चूचियों को भी मसलने लगा, उसके निप्पलों को भी मींजने लगा. जिससे उसकी चुत को थोड़ी राहत मिली.
फिर मैंने धीरे धीरे अपने लंड को हरकत में लाना शुरू किया. थोड़ी देर बाद वो भी नीचे से अपनी कमर उचकाने लगी. मैं समझ गया कि वो अब लंड अन्दर बाहर करवाने के लिए राजी हो गई. वो मेरी कमर को नोंचने लगी. बस मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और चुदाई का तूफानी खेल आरंभ हो गया.
कुछ ही पलों बाद शालू मेरे लंड के हर वार का जबाब गांड उठाते हुए ऐसे दे रही थी. जैसे वो पक्की चुदाई की खिलाड़ी हो.
उसके इस अंदाज को देख कर कहीं से नहीं लग रहा था कि वो कमसिन चुत वाली है. हमारे इस खेल से बेखबर दूसरे रूम में सोनिया सोई हुई थी.
इधर हमारी चुदाई का तूफान पूरे जोर पर था. मैं अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर शालू की चुत में अन्दर तक डालने और निकालने लगा. उसकी चुत किसी गर्म भट्टी की तरह तप रही थी. मुझे उसको चोदने में बहुत मजा आ रहा था. ऐसा मजा तो मुझे डोली या मोना को चोदने में भी नहीं आया था.
सच में क्या मस्त कसी हुई चुत थी उसकी.
तभी वो तड़फ़ कर मुझसे लिपट गयी. उसकी चुत के ज्वालामुखी ने अपना लावा उगल दिया था. अब उसकी चुत बहुत ज्यादा चिकनी हो गयी थी, जिससे मेरा लंड बड़ी आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था. मैंने अपनी स्पीड और भी तेज कर दी और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगा. पर मेरी मंजिल अभी बहुत दूर थी. मैं वैसे भी बहुत देर में झड़ता हूँ.
मैं लगातार उसकी चुत की कुटाई कर रहा था, जिस से वो एक बार फिर जोश में आ गयी और मेरी ताल से ताल मिलाने लगी.
दस मिनट की तूफानी चुदाई के बाद उसका ज्वालामुखी फिर से लावा उगल कर शांत हो गया और तभी मेरे लंड ने भी अपना जहर उसकी चुत में उगल दिया.
काफी देर तक हम दोनों शांत पड़े रहे. एक घंटे बाद हम दोनों ने एक बार फिर से चुदाई का खेल खेला. उस रात वो सारी रात नंगी लेटी रही. सुबह पांच बजे वो अपने कमरे में चली गई.
मकान मालिक के आने तक चार दिन हमारी चुदाई चलती रही. अगली सेक्स कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि मैंने पूजा की चुत का प्याला कैसे चखा.
आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी … बताइएगा जरूर.