बॉटम गे लाइफ स्टोरी में पढ़ें कि एक चिकने लड़के ने कैसे लड़की बन कर 6 मर्दों से गांड मरवाई. उनके साथ उनकी बीवी की तरह रहा.
हैलो फ्रेंड्स, मैं संजय से सजनी बन कर आपको अपनी गांड चुदाई की गे सेक्स कहानी सुना रही थी.
पिछली कहानी
मेरा छठा पति बड़े लंड वाला निकला
में अब तक आपने पढ़ा था कि मुझे अपना छठा पति चौधरी मामा के रूप में मिल गया था. मेरी उससे शादी हो गयी. सुहागरात भी मना ली थी.
अब आगे Bottom Gay Life Story:
मैं नाश्ता बनाने चली गयी. बाक़ी सभी दुकान जा चुके थे.
नाश्ता बनाने के बाद मैंने फ़ोन किया.
मदन जी नाश्ता लेने आये.
मैंने मदन जी को कह दिया कि बाक़ी सबको बता दो कि मैं आज अकेली ही सोऊंगी.
जब कभी मेरा मन चुदाई नहीं करने का होता, मैं अकेली ही सोती हूँ.
ऐसे ही तीन महीने बीत गए.
मैं घर पर ही स्त्री के भेष में रहती, मेरे चूचे पतियों ने चूस चूसकर, दबाकर, मालिश करके और बड़े कर दिए थे.
मुझे बाहर निकलने पर पुरुषों के कपड़े पहने पड़ते, सभी को मेरे बड़े चूचे न दिखें इसलिए मैं ढीली जैकेट पहन कर निकलती.
अभी ठंडी का मौसम था पर गर्मी के दिनों में जैकेट नहीं पहन सकती थी.
मैंने लड़कियों के आवाज़ में बोलना सीख लिया था. मैं रानी मुख़र्जी की भारी आवाज़ वीडियो देखकर नक़ल करती और अपनी आवाज़ रिकॉर्डिंग करके सुनती.
मुझे लड़कों के कपड़े पहनना अच्छा नहीं लगता, मैं लड़की बनकर बाहर घूमना चाहती थी.
मैंने रात के खाने के समय मेरे 6 पतियों को मेरी इच्छा बताई.
सबने कहा कि कोई रास्ता निकालेंगे.
मेरे 6 पतियों ने दुकान में इस बात पर विचार किया.
चौधरी जी बोले- सजनी जब बाहर निकलेगी तो उसका परिचय पहचान कर लोग पूछेंगे. मैं सजनी से लड़की के रूप में कोर्ट में शादी कर लेता हूँ, मेरी कोई बीवी नहीं है. लड़की के नाम से आधार कार्ड बनाना पड़ेगा. मेरी पहली पत्नी की बहन का नाम भी सजनी है, उसके स्कूल के प्रमाण पत्र मेरे पास हैं. उसके स्कूल सर्टिफिकेट और रेंट एग्रीमेंट में सजनी का नाम डालकर, आधार कार्ड बना लूंगा.
इस तरह चौधरी जी ने मुझसे कोर्ट में शादी कर ली.
मैं अब लड़की बनकर बाहर जाने लगी.
मैंने बाल थोड़े बड़ा लिए थे, ब्यूटी पार्लर में जाकर ब्वॉय कट बाल कटाती थी.
इस तरह से मेरी सजनी वाली जिन्दगी मजे में चलने लगी थी.
मेरे छहों पति मुझे बड़ा प्यार करते थे और मैं भी ओने पतियों की बड़ी इज्जत करती थी और मुझे उनका सम्मान करना बहुत भाता था.
फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि हम सब राज उजागर होने की दिक्कत में आ गए.
एक दिन मैं जब हम लोगों की दुकान पर गयी तो बाजू के दुकानदार ने कहा- चौधरी, आपकी बीवी तो बिल्कुल संजय के समान दिखती है.
उसे मालूम था कि पहले संजय सब्जी की दुकान में बैठता था.
उस पर चौधरी जी पहले तो घबरा गए, फिर अचानक ये उनके दिमाग में एक बात आ गई और उन्होंने मुस्कुराकर कहा- मेरी बीवी सजनी, संजय की बहन ही है इसीलिए तो उस जैसी दिखती है.
मैंने ठंडी सांस ली और इस तरह से उस मुसीबत से मुझे निजात मिल गई.
मगर मैंने आगे अपनी सजनी की इमेज को बनाए रखने के लिए कुछ उपाय किए.
मैंने सजनी के नाम से अपना बैंक अकाउंट खोल दिया. मैंने संजय के अकाउंट से सारा पैसा सजनी के अकॉउंट में डाल दिया.
वह आखरी दिन था जब मैं लड़कों के लिबास में संजय का अकॉउंट बंद करने बैंक गयी थी.
उसके बाद मैंने कभी लड़कों का लिबास नहीं पहना.
एक साल बीत गया.
छह पतियों के लाड़ प्यार और हर पति के साथ अलग अलग दिन यौन क्रीड़ा से मैं बहुत खुश थी.
मेरा बदन भर गया था, मैं और सेक्सी दिखती थी. यौन सुख, अच्छा बैंक बॅलन्स की सन्तुष्टि से मैं और सुंदर लगती थी.
मेरे पति लोग अक्सर पास की दुकान में बैठने वाली संगीता के बारे में चर्चा करते थे, वह कितनी सेक्सी है.
मैंने संगीता से दोस्ती की, उसके साथ सेल्फी फोटो ली.
कुछ उसकी अकेली फोटो भी खींची.
संगीता खुले गले का ब्लाउज पहनती थी, जब वह झुकती, उसके स्तन काफी ज्यादा दिखाई देते थे.
मैंने अपने हर पति के साथ यौन क्रीड़ा के समय पूछा- आपको संगीता जो सब्जी बेचती है, क्या बहुत सेक्सी लगती है?
विक्रम, सुनील, अनिल, मोहन ने स्वीकार किया कि उनको संगीता बहुत सेक्सी लगती है, उसको याद करके उन सभी ने मुठ मारी है.
मगर मदन जी और चौधरी जी ने कहा- संगीता में उनकी कोई रूचि नहीं है.
मैंने तय किया कि वो अपने चार पतियों के साथ संगीता का रोल प्ले करेगी. संगीता का रूप धरकर मजा देगी.
मैंने संगीता से मालूम किया कि वह कहां से साड़ी और खुले गले का ब्लाउज खरीदती है.
फिर मैं वहां से संगीता के समान साड़ी ब्लाउज ले आयी. संगीता के बालों के समान विग खरीद लिया.
संगीता मराठी नौवारी साड़ी धोती के समान पहनती थी.
अगले दिन सुनील की बारी मेरा पति बनकर रात बिताने की थी.
रात के खाने के बाद मैंने सुनील से कहा- मैं बेडरूम में जा रही हूँ. आप आधे घंटे बाद आना.
मैंने बेडरूम में जाकर संगीता के जैसी साड़ी और खुले गले वाला ब्लाउज पहन लिया. मैंने खुद को आईने में देखा, झुकने पर मेरे चूचों का आधा भाग दिख रहा था.
मैंने बड़े बालों वाला विग पहना, संगीता के समान जूड़ा बनाया, बड़ी बिंदी लगायी, गहने पहने.
फिर आईने में देखा, अब मैं पूरी संगीता लग रही थी.
मैंने कमरे की लाइट धीमी की.
मैंने एक टोकरी में कुछ सब्जी रखी और जमीन पर वैसे बैठ गयी, जैसे संगीता बाजार में बैठती है.
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फिर बेडरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ हुई.
मैं थोड़ा आगे झुक गयी, मेरे आधे चूचे दिख रहे थे.
सुनील अन्दर आकर चौंक गया, उसको लगा संगीता ही बैठी है.
मैंने अपना चेहरा उठाकर कहा- सुना है आप मुझे बहुत पसंद करते हैं.
सुनील बोले- हां संगीता, तुमने सही सुना है … आज की रात मैं तुमको इतना आनन्द दूंगा कि तुमको लम्बे समय तक याद रहेगा.
सुनील ने मुझको, संगीता के भेष में हाथ पकड़कर खड़ा किया.
सुनील बोले- तुम संगीता के समान लग रही हो, पर उससे बहुत ज्यादा सेक्सी और सुंदर लग रही हो. मैं क्या आज की रात तुम्हें संगीता के नाम से बुला सकता हूँ?
मैं बोली- आप मुझे आज रात संगीता के नाम से ही बुलाएं, इसमें इस खेल में मजा आएगा.
सुनील को बहुत जोश आ गया. वह मुझे संगीता समझ कर चूमने लगे. मेरे चूचे जोर जोर से दबाने लगे.
उन्होंने मेरी साड़ी, ब्लाउज, साया उतार दिया. मैं अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी.
सुनील बोला- संगीता, मैंने तुम्हें ब्रा पैंटी में देखने का सपना कई बार देखा था, आज वह सपना पूरा हो गया.
अपने कपड़े उतार कर सुनील नंगे हो गए.
उन्होंने मुझे उठाकर पलंग पर पटक दिया. मेरी ब्रा पैंटी उतार दी, मैंने पीठ के बल लेटकर अपनी कमर के नीचे तकिया लगा दिया.
पैर अपनी छाती की तरफ करके मैं बोली- आपकी संगीता लम्बे समय से इस रात का इंतजार कर रही थी. अब मुझे और मत तड़फाइए, जल्दी से अपना प्यारा सा लंड मेरी गांड में डाल दीजिए.
सुनील ने एक झटके में अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया और धुआंधार चुदाई करने लगे.
सुनील- संगीता, मजा आ गया.
मैं बोली- मुझे भी.
मैं अपनी गांड उचका उचका कर गांड मराने का मजा लेने लगी.
फिर सुनील ने मुझे पेट के बल लिटा दिया, मेरे ऊपर लेटकर मेरी गांड मारने लगे.
कोई 20 मिनट बाद मैं और सुनील दोनों झड़ गए.
हमने बाथरूम में जाकर अपनी गांड और लंड धोये और पलंग पर लेट गए.
सुनील- संगीता, अभी मेरा मन नहीं भरा है. क्या हम दोनों एक बार और सेक्स करें?
मैंने हां में सर हिलाया.
थोड़ा आराम करने के बाद सुनील मुझे प्यार करने लगे, मेरी चूची दबाने लगे.
सुनील के इशारे पर मैं सरक कर सुनील के लंड के पास आ गयी और उनका आधा खड़ा लंड चूसने लगी.
मैं अपने पतियों की झांट ट्रिमर से काट कर छोटे रखती थी.
पहले उनकी लम्बी झांटें मेरी नाक में घुस जाती थीं और मुझे छींक आ जाती थी.
सुनील का लंड खड़ा हो गया, वह मुझे ड्रेसिंग टेबल के पास ले गए.
मैंने झुककर ड्रेसिंग टेबल पर हाथ रख दिए और अपने पैर फैला दिए.
सुनील खड़े होकर संगीता संगीता बोलकर मेरी गांड मारने लगे.
आईने में हर झटके के साथ मेरी लटकती चूचियों का हिलना साफ दिख रहा था जो सुनील को बहुत मजा दे रही थीं.
आज उनके झटके दूसरे दिनों से ज्यादा तेज थे.
आधा घंटे घमासान चुदाई के बाद सुनील झड़ गए.
मैं इस बीच दो बार झड़ गयी.
फिर सुनील ने मुझे खड़ा किया, मेरे होंठ चूमकर बोले- मजा का गया संगीता, मैं इस रात के सपने बहुत दिनों से देख रहा था.
मैंने कहा- मैं भी तुम्हारे साथ रात बिताने का सपना बहुत दिनों से देख रही थी.
मैंने अगली रातों में संगीता बनकर विक्रम, अनिल और मोहन के साथ यौन क्रीड़ा की.
सभी मुझे संगीता के रूप में देखकर बहुत उत्तेजित और खुश हुए और मेरी जोरदार गांड बजाई.
उसके बाद मैं अपने पतियों की फरमाइश पर कभी कभी संगीता का रूप धर लेती, तो कभी किसी हसीना की.
एक हफ्ते बाद जब मैं अपनी दुकान पर गयी तो मैंने ध्यान दिया कि मेरे पतियों ने संगीता की ताक झांक बंद कर दी थी.
यह देख कर मुझे बड़ी ख़ुशी हुई.
मेरे बेडरूम वाला पलंग बड़ा ही मजबूत है. ड्रेसिंग टेबल पर बड़ा आइना लगा है. उसमें से पलग पर होने वाली चुदाई साफ दिखती है.
चुदाई के समय अपनी ही ब्लू फिल्म आईने में देखना … और ज्यादा उत्तजेना पैदा करता है.
पूरी दीवार, खिड़की, दरवाजे पर दो मोटे परदे एक के पीछे एक टंगे हैं, इससे अन्दर की आवाज़ काफी हद तक बाहर नहीं जाती.
मेरे बेडरूम में एक डेस्कटॉप कंप्यूटर है, जिसमें मैं अपने पतियों के साथ सेक्स के वीडियो देखती हूँ.
उससे चुदाई के नए नए तरीके देखकर, उनके समान सेक्स करने की कोशिश होती है.
सामूहिक चुदाई का वीडियो देखकर, कई बार विक्रम, सुनील, अनिल, मोहन ने मेरी सामूहिक चुदाई का प्रस्ताव रखा.
मैं राजी नहीं हुई क्योंकि 6 लोगों के एक साथ चुदाई से मुझे डर लगता था और चौधरी जी का इतना बड़ा और मोटा लंड देखकर बाक़ी पांच पतियों को कुंठा भी हो सकती थी.
मेरे बेडरूम में मैं अपनी अलमारी में अपने पतियों के लाए सेक्सी कपड़े रखती थी, वो सब अलग अलग खानों में रखती थी.
जिस पति के साथ रात बितानी होती, उसके लाए सेक्सी कपड़े पहनकर तैयार होती. जिस पति के साथ रात बितानी होती, उसके पास उस दिन मेरे बेडरूम की चाबी होती.
मैं पहले जाकर उसके पसंद के कपड़े पहनकर तैयार हो जाती. उस दिन का पति बाद में चाबी से दरवाजा से खोलकर अन्दर आ जाता था.
चौधरी जी को बी डी एस एम वीडियो बहुत पसंद हैं जिसमें चुदने वाले लड़के को गले में पट्टा डालकर उसमे रस्सी बांधकर कुत्ता बनाकर घुमाया जाता और पीटा जाता.
आंख पर पट्टी बांधकर लंड चुसाया जाता और पीटते हुए उसकी गांड मारी जाती, बाद में मूत्र पिलाया जाता है.
जिस दिन चौधरी जी की बारी होती. वो कभी कभी उनकी बी डी एस एम की इच्छा होती, वह मुझे बता देते.
मैं गले में पट्टा, जिस पर रस्सी बंधी होती, पहनकर, सिर्फ ब्रा पैंटी में आंख पर पट्टी बांधकर, घुटने के बल एक तकिये पर खड़ी चौधरी जी के आने का इंतजार करती.
थोड़ी देर बाद चौधरी जी अन्दर आते. अलमारी से बेंत उठाते, जिसके पीटने वाले सिरे पर बेल्ट का टुकड़ा झूलता.
वो उसे हाथ में लेकर मेरी पीठ और चूतड़ों पर मारते और मुँह खोलने को कहते.
फिर अपना आधा खड़ा लंड मेरे मुँह में डाल देते. मैं उनका लंड चूसने लगती, फिर वह मेरा मुँह चोदते. मेरी आंख की पट्टी निकाल कर हटा देते, मुझे जमीन पर कुत्ते की तरह चलाते, मेरे चूतड़ों पर छड़ी मारते.
छड़ी पर बेल्ट लगा होने से पीटने पर दर्द तो होता, पर बदन पर निशान नहीं पड़ते.
मुझे पिटने में मजा आने लगा था.
वो मुझे पलंग के किनारे घोड़ी के समान खड़ी कर देते.
चौधरी जी खुद जमीन पर खड़े होकर मेरी कमर पकड़कर मेरी गांड मारने लगते.
उनके दमदार लंड के धक्कों से मैं हिल जाती. मुझे लगता कि मैं सचमुच घोड़ी हूँ और मेरा घोड़ा मुझे चोद रहा है.
चौधरी जी मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारते, तो दर्द के साथ मुझे काफी मजा आता.
चुदाई के बाद मैं बाथरूम में जाकर चश्मा लगाकर बैठ जाती.
चौधरी जी मुझे मूत्र स्नान कराते. मैं कुछ मूत्र पी भी लेती.
फिर हम दोनों साथ मैं स्नान करते. फिर सो जाते.
सुबह जब मैं जागती, तो चौधरी जी का खड़ा लंड चूस चूस कर उनके प्रसाद रूपी वीर्य को पी जाती.
फिर मैं नहाकर नाश्ता बनाने चली जाती.
मेरे पहले पति मदन जी थे. उन्हें गांड मारने से ज्यादा मजा मुझे चूमने चाटने, स्तन पीने में आता था.
फिर हम लोग 69 पोजीशन में आकर एक दूसरे का लंड चूसते और वीर्य पी जाते.
मदन जी कभी कभी ही मेरी गांड मारते. मदन जी की मेरे साथ रात बिताने की बारी, चौधरी जी के बाद वाले दिन आती.
ऐसा मैंने इंतजाम कर दिया था.
इसका कारण था कि मदन जी बहुत अच्छी मालिश करना जानते थे.
हमारा नियम था कि जिस रात जिस पति की मेरे साथ सम्भोग की बारी होती, वह घर आकर सबके लिए दुकान पर खाना ले जाता.
इससे उस पति को दिन में भी मेरे साथ अकेले समय बिताने का समय मिलता.
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