इंडियन गांड चुदाई कहानी मेरी पहली बार गांड मराई की है. मेरी फैंटेसी थी कि किसी अंकल किस्म के आदमी के साथ कुछ सेक्सी करूं. मेरी इच्छा कैसे पूरी हुई?
दोस्तो, मेरा नाम कुणाल साहू है. अभी मेरी उम्र 24 वर्ष है. ये सेक्स कहानी पांच साल पहले की है.
ये इंडियन गांड चुदाई कहानी मेरी फंतासी समझ लीजिए. फंतासी (fantasy) मतलब आपकी एक ऐसी इच्छा, जो आप कल्पना में करना चाहते हैं कि ऐसा मेरे साथ हो, तो मज़ा आ जाए.
जैसे कई लोगों को खुले में सेक्स करने का मन रहता है और कई लोगों को अपने पार्टनर को बांध कर सेक्स करने में मज़ा आता है.
वैसे ही मुझे बड़ी उम्र के लोगों के साथ संबंध बनाने की इच्छा रहती है.
यह बात उस समय की है, जब मैं कॉलेज में पढ़ता था.
उस वक्त मैं 19 साल का था और सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रहा था.
तब कालेज के हॉस्टल की हालत रहने लायक नहीं थी तो हम 2 दोस्तो ने फैसला किया कि बाहर कहीं पीजी या फ्लैट लेकर रहते हैं.
उधर आराम भी रहेगा और आज़ादी भी रहेगी.
हमने कुछ समय तक घर खोजा, तो एक घर पसन्द आ गया. वो एक फ्लैट था. हमने वो घर ले लिया.
घर के मालिक पहले माले में रहते थे और उन्हें नीचे का हिस्सा किराये से देना था.
घर के मालिक पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे और आंटी हाउस वाइफ थीं.
अंकल उसी साल रिटायर हो रहे थे तो उनकी उम्र 60 या 62 की रही होगी और उनकी वाइफ 55 से 60 के बीच की थीं.
उनके दोनों बच्चों की शादी हो चुकी थी और वो दूसरे शहर में रहते थे.
मकान मालिक का स्वभाव बहुत ही अच्छा था पर वो सख्त किस्म के आदमी थे. उनको देखने से ही डर सा लग जाता था.
अंकल 6 फ़ीट लंबे थे, उनका पेट थोड़ा सा बाहर को निकला हुआ था. सफेद काली बड़ी बड़ी मूंछें थीं और गाल पर विलन जैसे गड्डे या धब्बे थे.
अंकल का रंग एकदम गोरा था.
मुझे अंकल का रौबीला चेहरा देख कर अन्दर से कुछ कुछ होने लगता था.
दूसरी तरफ मकान मालकिन का रुझान अध्यात्म और भक्ति की ओर ज्यादा था.
वो सामान्य गृहणी थीं, हमेशा साड़ी पहने हुए रहती थीं.
हम लोग उनके मकान में रहने लगे.
मैं अंकल को छिप-छिप कर देखने लगा.
समय बीतता गया. उनकी लड़की प्रेग्नेंट हुई, तो मकान मालकिन आंटी को कुछ समय के लिए अपनी बेटी के पास जाना पड़ा.
मेरे दोस्त का घर पास के ही शहर में था तो वो अक्सर अपने घर चला जाया करता था.
उस दिन मेरा दोस्त घर गया हुआ था. आंटी भी घर पर नहीं थीं. पूरे मकान में मैं और अंकल ही थे.
उस दिन काफी बारिश होने के कारण मेरा टिफिन नहीं आया और मकान मालिक के यहां भी खाना बनाने वाला नहीं आया.
रात का समय हो गया था.
अंकल मेरे पास आए.
उन्होंने मुझसे पूछा- खाना हो गया?
मैंने जवाब दिया- नहीं आज टिफ़िन नहीं आया है तो मैं मैगी बना लूंगा.
उन्होंने कहा- यहीं आ जाओ, साथ में बनाकर खा लेंगे.
मुझे इसमें भला क्या एतराज़ होता, बल्कि मुझे तो अंकल के साथ अकेले की सोचकर अन्दर से अच्छा लग रहा था.
मैं अंकल के पास चला गया और हम दोनों खाना बनाने लगे.
खाना बनाते वक्त मुझे ऐसा लगा कि अंकल मुझे सामान्य से कुछ ज्यादा छू रहे हैं.
उनका बार बार मेरे हाथ को पकड़ना, पीठ सहलाना, कंधे पकड़ कर साइड करना, पीछे खड़े होकर कमर में हाथ रखकर साइड करना.
ये सब मुझे अच्छा लगने लगा.
मगर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता था कि अंकल ऐसा क्यों कर रहे हैं.
तो मैं चुप रहा और उनकी हरकतों को नजरअंदाज करता रहा.
खाना बनाने के बाद उन्होंने व्हिस्की की बोटल निकाली और दो पैग बनाए और एक गिलास मेरी तरफ सरका दिया.
मैं दारू पीता तो था, मगर अंकल के सामने मुझे कुछ लिहाज याद आने लगा तो मैंने मना कर दिया.
उन्होंने जबरदस्ती हाथ में गिलास देते हुए कहा- मैं अकेले थोड़ी पियूंगा, लो पी लो.
उनकी आवाज़ में अपनापन था, तो मैं मान गया और मैंने गिलास ले लिया.
दारू पीते पीते अंकल बात करने लगे- तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड है क्या?
मैं- नहीं, अभी तो नहीं है!
अंकल- तुम तो बड़े स्मार्ट हो, अभी तक कैसे नहीं बनाई?
दोस्तो, मेरा कद 5 फुट 7 इंच है, वजन 77 किलो, रंग गोरा और दिखने में औसत या औसत से थोड़ा अच्छा हूँ. अंकल ने इसी वजह से मुझसे मेरी स्मार्टनेस को लेकर मुझे उकसाया.
मैं- पता नहीं अंकल, किसी ने मुझे पसंद क्यों नहीं किया, मैं क्या कह सकता हूँ.
अंकल अब मेरे पास आकर बैठ गए और मेरे कंधे पर हाथ रखकर धीरे धीरे सहलाने लगे.
अब तक वो 3 पैग पी चुके थे और मैं दो पैग ले चुका था.
अंकल- ऐसा तो नहीं कि तुम्हें खुद ही लड़कियां पसन्द नहीं आती हों?
मैं- नहीं अंकल, ऐसा कुछ नहीं है. हां शायद मैं लड़कियों से बात करने में थोड़ा कमजोर हूँ.
अब तक मैं अंकल की मंशा समझ गया था और मैंने सोचा कि अब यहां मजा आएगा.
ये कहते हुए उठ कर जाने का नाटक किया कि मुझे कुछ काम है.
उन्होंने कहा- खाना तो खा लो, बना हुआ रखा है.
मैंने मन ही मन खुश तो था मगर मैंने असमंजस में आने का ड्रामा किया.
इतने में उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और जोर से खींच कर मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया.
उनके शरीर में बहुत ताकत थी. मैं उन्हें रोक ही नहीं पाया. बस सीधे उनकी गोदी में जा गिरा.
उन्होंने मुझे जकड़ लिया और कान में धीरे से कहा- मैं जो कर रहा हूँ, वो चुपचाप करवा ले और मज़े ले ले. वरना कल तेरा सामान बाहर फेंक दूंगा और चोरी के इल्ज़ाम में जेल की हवा अलग.
मैंने डरने का ड्रामा किया और उनसे मिन्नतें करने लगा- प्लीज अंकल ऐसा मत करिए.
उन्होंने कहा- मैं खुद तुझे नहीं भगाना चाहता हूँ, बस आज रात को अपने अंकल को प्यार करने दे. वैसे भी तेरी कुंवारी गांड के सामने सारी चुत फीकी हैं.
ये कह कर अंकल जोर-जोर से हंसने लगे. फिर मुझे गोदी में बिठाए हुए ही मेरे सीने को मसलने लगे.
मुझे अजीब सा मजा आ रहा था.
अंकल मेरी जांघ को दबा रहे थे, बदन को सहला रहे थे.
उनका लंड तन चुका था और मेरी गांड के ऊपर चुभ रहा था.
उनके लंड की चुभन मुझे एक अलौकिक सुख दे रही थी.
तभी उन्होंने अपना एक हाथ मेरी शर्ट में घुसाया और मेरे बूब्स को दबाने लगे. अचानक से हुए इस हमले के कारण मैं सकपका गया और उठने लगा.
तभी उन्होंने एक हाथ से मेरे बाल पकड़े और फिर से खींच लिया.
मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनकी तरफ देखने लगा.
अंकल ने मुझे सोफे के नीचे अपने सामने घुटने के बल बैठा दिया.
अंकल ने मेरे बाल सहलाए और कहा- प्यार से कर न मेरी जान … तुझे बहुत मजा आएगा.
मैं अन्दर ही अन्दर अपनी फंतासी को पूरा होता हुआ देख रहा था और उनके सामने घबराने का नाटक कर रहा था.
हालांकि ये मेरा पहली बार था, तो मुझे कुछ डर भी लग रहा था.
उन्होंने अपना पैंट खोल दिया और 8 इंच का काला लंड बाहर निकाल कर बोले- ले चूस इसे … साले अगर ढंग से नहीं चूसा या दांत लगाया, तो मार खाएगा.
अंकल ने मुझे बालों से पकड़ कर लंड के पास ले लिया. मुझे उनके उनके लंड से अजीब सी गंध आ रही थी.
इतने में ही उन्होंने मेरे चेहरे को अपने गर्म लंड से पूरा रगड़ दिया.
अंकल गुर्रा कर बोले- मुँह खोल भोसड़ी के!
मैंने मुँह खोला और उन्होंने अपने एक हाथ से लंड पकड़ कर मेरे मुँह के अन्दर कर दिया.
मैं अंकल के लंड को यूं ही थोड़ा थोड़ा चूसने लगा. उन्हें इस तरह से लंड चुसवाने में खास मज़ा नहीं आ रहा था. तभी मेरा दांत उनके लंड में लग गया.
अब एक तो उन्हें मज़ा नहीं आ रहा था और ऊपर से दांत लगा तो वो आग बबूला हो गए.
अंकल ने मेरे बाल पकड़े और गाली दी- मादरचोद दांत लगाने को मना किया था न!
मैं कुछ नहीं बोला.
फिर वो प्यार से बोले- बहनचोद, ढंग से चूस न … कभी वीडियो में नहीं देखा कि कैसे चूसते हैं.
मैं डर के मारे बोला- हां देखा है.
वो बोले- तो वैसे ही चूस न … ये क्या कर रहा है!
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अब मुझे अच्छे से लंड चूसना था वरना और खेल बिगड़ जाता.
मैंने पोर्न वीडियोज की तरह पहले लंड को जीभ से चाट कर गीला किया तो अंकल को मजा आने लगा.
उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और आंड की तरफ लेकर गए.
मैंने अंकल के आंड भी अच्छे से चाट कर गीले किए.
फिर एक आंड मुँह में लेकर चूसने लगा. अब अंकल को मज़ा आने लगा था. मुझे भी मजा आने लगा था.
अब मैं वापस लंड पर आया और सुपारा नीचे करके चाटने लगा, तो अंकल के मुँह से आह आह की आवाज़ आने लगी.
मैंने अंकल के लंड को मुँह में ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगा.
अंकल सातवें आसमान में थे. उन्हें लंड चुसवाने में तेज़ी चाहिए थी तो वो मेरे बाल पकड़ कर धक्के लगाने लगे.
पर मुझसे लम्बे मोटे लंड को और अन्दर ले पाना हो ही नहीं पा रहा था.
अंकल ने झुंझला कर मुझे सोफे में सर नीचे और पैर ऊपर करके लेटा दिया और मेरे गले को हल्का सा लटका दिया.
अब वो खुद खड़े हो गए, जिससे उनका लंड मेरे मुँह के सामने आ गया. उन्होंने मेरे मुँह में अपना लंड डाला और मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर धक्के लगाने लगे.
शुरू में अंकल पूरा लंड अन्दर नहीं डाल रहे थे तो ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.
मगर जैसे ही अंकल स्पीड में आए, उनका लंड भी पूरा जाने लगा और मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी.
कुछ देर में उन्होंने मेरी तरफ ध्यान देना बंद कर दिया और सिर्फ मेरा मुँह चोदने लगे.
मैं गूं गूं करता रहा.
चरम सीमा में आने के बाद उन्होंने पूरा लंड अन्दर डाल दिया और झड़ने लगे.
मेरी सांस बंद थी और उनका वीर्य बाहर नहीं आ सकता था तो जबरदस्ती मुझे गटकना पड़ा.
मैंने उन्हें पीछे धक्का दिया और एक जोर की सांस ली.
मुझे ऐसा लग रहा था कि बस अब मुँह नहीं हटाता तो मेरी जान निकल जाती.
वो भी थोड़ा थक गए और पास में आकर बैठ गए.
मेरे मुँह से उनका वीर्य और मेरा थूक टपक रहा था.
उन्होंने मुझे मुँह धोकर आने को बोला.
मैं मुँह धोकर आकर बैठ गया.
मुझे लगा कि अंकल झड़ गए हैं. अब इनका लंड दुबारा खड़ा नहीं होगा … और कुछ नहीं होना बाकी है.
पर अंकल के दिमाग में कुछ और ही था.
अंकल फिर से दारू पीने लगे थे और सिगरेट सुलाए हुए धुंआ उड़ा रहे थे.
मैंने उनकी तरफ देखा तो उन्होंने इशारे से बुलाया और एक पैग पीने के लिए कहा. मैंने अपने लिए पैग बनाया और पीने लगा.
अंकल ने मेरा हाथ अपने लंड पर रखवा दिया और मुझसे लंड सहलाने के लिए कहा.
मैं उनका लंड सहलाने लगा और चूसने लगा.
कुछ देर के बाद अंकल मेरे गाल सहलाने लगे. अब उनकी आंखों में अजीब सी वासना दिख रही थी. वो अपने होंठों को मेरे होंठों के पास लाने लगे तो मैं पीछे को होने लगा.
तभी उन्होंने एक हाथ मेरे सर के पीछे रखा और मेरे सर को स्थिर कर मेरे होंठों को चूमने लगे.
शुरू में मुझे समझ में नहीं आया. पर फिर मैं धीरे धीरे उनका साथ देने लगा.
वो चूमते हुए मेरे शरीर को सहला रहे थे, उनका हाथ मेरी पीठ सहलाते हुए गांड पर पहुंच गया. वो मेरे चूतड़ों को किसी आटे की तरह दबाने लगे.
एक तरफ मेरी गांड मसली जा रही थी और दूसरी तरफ मेरे होंठों को अंकल खाए जा रहे थे. मुझे बेहद सनसनी हो रही थी.
वो पूरे मदहोश हो चुके थे और जोरों से मेरे होंठों को चूमने में लगे थे बल्कि अब तो अंकल काटने भी लगे थे.
मुझे दर्द होने लगा था, पर वो चूसे जा रहे थे.
उनका लंड वापस खड़ा हो चुका था और मेरे लंड को दबा रहा था.
अंकल ने मुझे चूमते हुए ही मेरी पैंट निकाल दी.
इस बार मैंने कोई हरकत नहीं की, शायद मुझे अच्छा लग रहा था.
उन्होंने मेरी शर्ट उतार कर मुझे पूरा नंगा कर दिया.
मैं अपने दोनों हाथों से लंड छुपा रहा था.
उन्होंने मुझे पास की दीवार पर टिकाया और मेरे दोनों हाथों को अपने एक हाथ से पकड़ कर ऊपर कर दिया.
फिर एक हाथ से मेरे आधे खड़े लंड और आंड को पकड़ कर दबा दिया.
मैं दर्द से चिल्ला दिया- आह!
वो कुटिल हंसी हंसने लगे.
अंकल- थोड़ा और सहन कर भोसड़ी के … अभी इतनी जल्दी आह उह मत कर … तेरे इस सफेद मखमली बदन को थोड़ा कष्ट तो सहना पड़ेगा.
ऐसा कहने के बाद उन्होंने अपने सारे कपड़े एक एक करके निकाल दिए. उनका शरीर थोड़ा गठीला जरूर था, पर पूरे शरीर में बाल थे, पेट बाहर निकला हुआ था. उनकी छाती भी थोड़ी लटक गई थी.
मैं लम्बाई में उनसे छोटा था और मेरा शरीर गुदगुदा था. वो मेरी बाहर निकली हुई चमड़ी को जोर जोर से दबा रहे थे और किसी भूखे गिद्ध की तरह देख रहे थे.
उन्होंने मुझे एक चक्कर गोल घुमा कर पूरे बदन की नुमाइश की और आखिरी में गांड पर जोर की चपत लगा दी.
उनका पूरा हाथ मेरी गांड पर छप गया.
वो मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर लेकर गए और मुझे बिस्तर पर धकेल कर गिरा दिया.
फिर मुझे वो वहशियों की तरह चूमने लगे. मेरे दोनों बूब्स को जोर जोर से दबा कर चूसा और काट भी दिया. बाल खींच कर मेरे होंठों को चूस रहे थे, मेरे होंठों से हल्का खून आने लगा.
ये सब मैंने कल्पना की थी कि कोई अंकल मुझे रौंदते हुए मसल दे. मैं दर्द सहन करता हुआ अपनी फंतासी को पूरा होता देखने लगा.
अंकल मुझे उल्टा लेटा कर मेरी पीठ चूसने लगे और गांड की तरफ आने लगे. उन्होंने मेरी गांड के छेद को खोला और ऊपर से चाटने लगे.
फिर अंकल ने मेरी गांड चूमते हुए एक उंगली गांड में डाल दी, मैं चिहुँक उठा.
थोड़ी देर गांड में उंगली रखने के बाद धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगे.
मैं गांड ढीली छोड़ने लगा तो उंगली थोड़ी आसानी से अन्दर बाहर होने लगी.
उन्होंने मेरे मुँह में अपना लंड डाला और कहा- अच्छे से गीला कर, जितना सूखा हुआ होगा, उतना ज्यादा दर्द होगा.
थोड़ी देर लंड चुसवाने के बाद अंकल ने मुझे बिस्तर में उल्टा लेटा दिया.
मैंने उन्हें झटककर दूर किया और कहा- प्लीज, आपका बहुत मोटा है.
फिर वो बोले- कुछ नहीं होगा आराम से करूँगा.
मैंने फिर से मना किया कि प्लीज छोड़ दो अंकल मैं वापस से आपका लंड चूस दूंगा.
इतना सुन उनका चेहरा खिल गया और वो बोले- हां अब या न पटरी पर. मेरे लंड को चूस देगा … हांआ … और भोसड़ी के गांड में कौन लेगा?
मैंने कुछ नहीं कहा.
वो बोले- तुझे प्यार की भाषा समझ ही नहीं आती मादरचोद.
ये कह कर अंकल ने एक जोर तमाचा वापस मेरी गांड में जड़ दिया.
इस बार इतने जोर का झापड़ पड़ा था कि मुझे चक्कर सा आ गया.
मैं संभलता, तब उन्होंने मुझे उल्टा लेटा कर अपना लंड मेरी गांड में अड़ा दिया और सुपारे से मेरी गांड को सहलाने लगे.
थोड़ी देर लंड से गांड सहलाने के बाद अंकल मेरी गांड के छेद में धीरे धीरे रास्ता बनाने लगे और हल्का हल्का धक्का लगाने लगे.
जब काफी कोशिश के बाद लंड अन्दर नहीं जा पाया तो अंकल ने थोड़ा जोर का धक्का लगा दिया. जिससे उनका लंड का टोपा अन्दर चला गया.
मैं दर्द से बिलबिला उठा.
मेरी आंखों के सामने अंधेरा से छाने लगा.
छटपटाने की वजह से लंड बाहर आ गया.
उन्होंने मुझे तसल्ली दी कि एक बार ही दर्द होगा, थोड़ा सह ले.
मुझसे सहा भी नहीं जा रहा था और अंकल का लंड लिए बिना रहा भी नहीं जा रहा था.
मैं उठ कर अलग होने लगा तो उन्होंने फ़ुर्ती से मुझे पकड़ा और मेरी गांड पर 5-6 झापड़ जड़ दिए.
मैं सुध-बुध खो चुका था, मुझे पता ही नहीं चल रहा था कि क्या हो रहा है.
उन्होंने मुझे बिस्तर पर लेटाया और हाथ पैर बांध दिए.
उन्होंने अपनी चड्डी उठायी, जिसमें से उनके मूत की बदबू आ रही थी. वो उन्होंने मेरे मुँह में ठूंस दी ताकि मैं चिल्ला न सकूँ.
मेरे पैरों को भी उन्होंने ऐसा बांधा जिससे मेरी गांड खुल जाए. फिर उन्होंने कोई क्रीम मेरी गांड में लगाई, जिससे कुछ देर में मुझे पता ही नहीं चल रहा था कि मेरी गांड में क्या हो रहा है. मेरी गांड सुन्न हो गई थी.
अंकल वापस से अपना लंड डालने लगे.
मुझे हल्का दर्द होने लगा था पर मुँह में चड्डी की वजह से आवाज़ नहीं आ रही थी.
थोड़ी देर घुसाने की कोशिश के बाद जब लंड अन्दर नहीं गया, तो मेरे कान के पास आकर बोले- तुम बहुत प्यारे हो मुझे माफ़ कर दो.
बस ये कह कर अंकल ने एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया.
मैं थोड़ी देर के लिए बेहोश हो गया. जब होश आया तो अंकल मेरे बाल खींचते हुए धक्के लगा रहे थे और बस अपनी मस्ती में मेरी गांड चोदे जा रहे थे.
करीब 15 से 20 मिनट बाद लगातार चोदने के बाद मेरी गांड के अन्दर गर्म गर्म महसूस हुआ.
उसके साथ ही अंकल के धक्के लगने भी बंद हो गए.
अंकल तेज़ी से सांस लेते हुए मेरे ऊपर लेट गए.
हम दोनों वैसे ही सो गए.
मेरी कुंवारी गांड फट चुकी थी. मगर न जाने क्यों मुझे अन्दर से बेहद ख़ुशी हो रही थी.
इसके बाद तो अंकल से मेरा टांका फिट हो गया.
अंकल ने मेरे दोस्त की गांड भी मारी और अब हम तीनों लोग मिल कर फ्लैट में अपनी रातें रंगीन करने लगे थे.
अंकल ने हम दोनों के लिए एक लौंडिया भी सैट कर दी थी. वो हमारे लिए खाना भी बनाती थी और हम दोनों से चुत गांड भी चुदवाती थी.
सच में अंकल बहुत प्यारे थे. आपको मेरी इंडियन गांड चुदाई कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करें.
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देवर ने बेरहमी से अपनी जवान भाभी की चुदाई की