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सभी इंडियन कॉलेज गर्ल, भाभी को और आन्टी को अरमान का खड़े लंड का नमस्कार!
दोस्तो, मेरा नाम अरमान है, उम्र 24 साल है, कद भी ठीक-ठाक ही है।
मैं इंदौर का रहने वाला हूँ।
मेरी कमजोरी शादीशुदा और भरी-पूरी आंटियां और भाभियाँ हैं। जब भी कोई बड़ी गांड और चूचे वाली दिखती है.. तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
मैं एक दुकान पर कंप्यूटर का काम करता हूँ, अक्सर कंप्यूटर के काम से मुझे लोगों के घर जाना पड़ता है।
एक दिन मैं अपना काम कर रहा था कि तभी मेरे बॉस ने मुझे बुलाया..
तो मैं सर्विस रूम से बॉस के केबिन में गया..
वहाँ दो महिलाएं बैठी थीं, दिखने में तो दोनों बला की खूबसूरत थीं।
दोनों ने स्लीवलैस ब्लाउज पहना हुआ था।
ब्लाउज के पीछे का भाग रिबिन नुमा डोरी से बंधा हुआ था।
उन दोनों का रंग ज्यादा गोरा तो नहीं था.. लेकिन सांवली भी नहीं थीं।
उनके बाल खुले हुए.. धूप का चश्मा बालों में फंसाया हुआ था।
दोनों की खूबसूरती गजब की जंच रही थी।
तभी मेरे बॉस ने कहा- तुमको इन मैडम के घर जा कर इनका कंप्यूटर देखना है।
मैंने देखा वो दोनों मुझे गौर से देख रही थीं।
बॉस ने कहा- तुम अपना फ़ोन नम्बर इनको दे दो.. ये तुमको फ़ोन करके बुला लेंगी।
मैंने अपना मोबाइल नम्बर उनको दे दिया। उन्होंने उस वक्त एक प्रिन्टर भी खरीदा था.. तो बॉस ने कहा- अरमान ये सामान इनकी कार में रखवा दो।
मैं बजाए किसी स्टाफ को बुलाने के, खुद ही रखने चल दिया।
वो दोनों मेरे आगे-आगे चलने लगीं।
पीछे चलने से उनका बदन सही से तो अब दिख रहा था।
उनकी लम्बाई मुझसे कुछ ज्यादा थी.. सच में क्या मस्त माल थीं दोनों।
उनकी बड़ी-बड़ी मटकती गांड ऐसे मटक रही थीं जैसे दो तरबूज हिल रहे हों।
मैंने अपने ऊपर बहुत कंट्रोल किया हुआ था।
दोनों आपस में कान में फ़ुसफ़ुसा कर बात करते हुए खिलखिला रही थीं।
कार के पास पहुँच कर एक ने कार का गेट खोला फिर कार की डिक्की खोली।
मैंने डिक्की में सामान रख दिया।
सामान रख कर मैंने उन्हें देखा वो दोनों मुझे खड़ी हो कर देख रही थीं।
अब मैंने भी पहली बार उनको सामने से देखा।
उन दोनों का फ़िगर बड़ा ही जालिम किस्म का था।
दोनों के ब्लाउज बहुत बड़े गले के थे.. और उनकी चूचियां भी मेरी उम्मीद से काफ़ी बड़ी थीं।
एक तरह से पूरी की पूरी नुमायां हो रही थीं.. बस थोड़ी सी ब्लाउज से छुपा रखी थीं।
मेरी नजर तो उन्हीं में फंस कर रह गई थी।
उन दोनों ने भी ये देख लिया था।
तभी एक ने पूछा- तुम ‘सब’ काम कर लेते हो?
मैंने एकदम से सकपका कर कहा- हाँ.. मैं सब कर लेता हूँ।
दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं।
फ़िर एक ने कहा- कल सनडे है तो तुम कल आ जाना।
मैंने मना किया- मैं सन्डे को काम नहीं करता।
तो एक तपाक से बोली- ज्यादा पैसे मिलेंगे.. तब भी नहीं?
मेरे मन में तो मोर नाच रहे थे.. तो मैंने ‘हाँ’ कर दी।
दूसरे दिन का समय भी तय हो गया।
अगले दिन मेरी सुबह जल्दी नींद खुल गई।
सुबह के सारे काम निपटा कर मैं मैडम के घर की ओर अपनी बाइक लेकर चल पड़ा।
मैडम का घर शहर की महंगी कॉलोनी में था और मेरे घर से दूर भी था।
उनके घर तक जाने में मुझे 45 मिनट लग गए।
घर पर पहुँच कर देखा तो घर देखता ही रह गया, वह तो किसी आलीशान बंगले जैसा लग रहा था।
मैंने घर के बाहर खड़े चौकीदार को पता दिखा कर पूछा- ये पता सही है?
तो उसने पता देख कर ‘हाँ’ में उत्तर दिया और मुझसे काम पूछा।
मैंने कहा- मैं कंप्यूटर के काम से आया हूँ।
तो उसने अपने गेट के पास एक छोटे से कमरे से टेलीफ़ोन पर बात की। फ़िर मुझसे कहा- आपको मैडम स्विमिंग पूल की तरफ़ बुला रही हैं।
उसने मुझे उस ओर जाने का रास्ता बताया।
मैं चलते-चलते बंगले के पीछे वाले हिस्से की तरफ़ पहुँच गया। मैंने दूर से देखा कि दो लड़कियाँ पूल में नहा रही हैं।
तभी एक ने मुझे देख लिया और आवाज दी ‘कम ऑन..’
मैं वहाँ उनके पास पहुँचा और देखा कि वो वही दोनों महिलाएं हैं.. जो कल शॉप पर मुझसे घर आने का बोल कर गई थीं।
पर आज तो दोनों बिल्कुल नए अवतार में थीं।
दोनों यहाँ पूल में ‘टू-पीस’ बिकनी में नहा रही थीं।
मेरे मन में तो कल से ही खिचड़ी पक रही थी।
मैं उन्हें पूल में तैरते हुए देखने लगा।
दोनों साथ में तैर रही थीं और मुस्कुरा रही थीं।
बिकनी भी क्या थी.. बस नाम के लिए छोटे-छोटे ढक्कन से थे। उनका पूरा गदराया हुआ बदन दिख रहा था। ऐसी बिकनियाँ तो बस फ़ोटो में या विदेशी फिल्मों में ही देखने को मिलती हैं।
तभी एक ने मुझे पास में रखी हुई कुर्सी पर बैठने का इशारा किया।
अभी दोनों पूल में पीठ ऊपर आकाश की तरफ़ करके तैर रही थीं.. इसलिए दोनों की हृष्ट-पुष्ट जांघें और बड़े-बड़े चूतड़ दिख रहे थे।
दोनों तिरछी नज़रों से मुझे देख रही थीं।
तभी उनमें से एक पूल से बाहर आने लगी।
पूल पर लगी सीढ़ियों से जैसे ही पानी से बाहर आई.. मैं अपना मुँह खोल कर आश्चर्य से उसके बड़े-बड़े बोबे ही देखने में लग गया। उसके बोबों के ऊपर तो बस समझो निप्पल भर ढके हुए थे.. बाकी का सिनेमा खुला हुआ था।
इधर मैं उसके बोबे देख रहा था.. उधर मेरा लौड़ा तनना शुरू हो गया था।
दूसरी वाली उस वक्त मुझे देख रही थी।
तभी बाहर आकर पहली वाली पटाखा मेरे पास में रखी हुई आराम कुर्सी पर आकर बैठ गई और तौलिए से अपना बदन पोंछने लगी।
मैं अब भी नज़रें चुरा कर उसके बड़े-बड़े बोबे ही देख रहा था.. बिकनी में जरा सा तो कपड़ा था, जो बड़ी मुश्किल से बड़े-बड़े चूचों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रहा था।
उसके 75% बोबे तो दिख ही रहे थे।
तभी उसने मेरी तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया और अपना नाम बताया। उसने अपना नाम अनीता बताया और कहा- प्यार से लोग मुझे अन्नू कहते हैं।
उसकी आँखों में एक शरारत झलक रही थी।
मैंने भी अपना हाथ आगे बढ़ाया और उससे हाथ मिलाया।
उसका हाथ बहुत मुलायम था।
तभी उसने कहा- आप तौलिए से मेरी पीछे का गीला बदन पोंछ देंगे प्लीज़।
मैंने कहा- क्यों नहीं।
वह खड़ी हुई और मेरे सामने पीठ करके खड़ी हो गई।
वह मुझसे कद में लम्बी थी और एक गदराए हुए जिस्म की मालकिन भी।
मैं उसके कोमल शरीर को बड़े गौर से देख रहा था।
मेरा सोता हुआ शेर भी अब अंगड़ाई लेने लगा था। मैं तो जैसे दूसरी दुनिया में पहुँच गया था।
फ़िर मैंने तौलिया लिया और उसके पीछे के गीले बदन को पोंछने में लग गया।
मैंने गर्दन से चालू किया.. फ़िर दोनों कन्धे.. कमर पर घूमने लगा।
कुछ पल बाद मैं रुक गया।
मेरा हाथ रुकता देख उसने कहा- क्या हुआ.. नीचे तक करो ना।
फ़िर मैंने देर ना की.. और उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से पोंछने लगा। उसे बड़ा मजा आ रहा था।
मैं नीचे झुका और उसकि चिकनी जाँघों को तौलिए से पोंछने लगा।
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जब मैं ये सब कर रहा था.. तभी दूसरी वाली.. जो पूल में नहा रही थी, उसने एक इशारे जैसी आवाज की।
उन दोनों में आँखों ही आँखों में इशारा हो चुका था। मैं उसके पैरों को पोंछ रहा था तभी दूसरी वाली भी पानी से निकल आई और मेरे पास आकर कहने लगी।
‘अरे अब क्या एक ही की सेवा करोगे क्या?’
दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं।
मैं अचानक खड़ा हुआ और देखा कि उस दूसरी वाली के बोबे तो और भी बड़े हैं।
उसका फ़िगर 38-32-38 का था.. क्या गजब के जिस्म की मालकिन थी।
दोनों के चिकने बदन से पानी बूंद-बूंद टपक रहा था।
मैंने अपने आपको सम्हाला और फ़िर मैंने कहा- क्यों नहीं.. आप की भी सेवा करूँगा.. मौका तो दीजिए।
अब मैं भी खुल कर उनकी बातों का जवाब देने लग गया था।
मेरा शेर भी अब अन्डरवियर के अन्दर दहाड़ने लगा था।
दूसरी वाली ने मेरे शेर को जींस के ऊपर से अंगड़ाई लेते हुए देख लिया था, उसने अपना परिचय देते हुए अपना नाम बताया- मेरा नाम डॉली है।
वो मुझे अपना काम याद दिलाने लगी। मैं भी अपने काम पर लग गया और उसके बदन को तौलिए से पोंछने लगा डॉली भी कद में मुझसे लम्बी थी।
मैं उन दोनों के कान से थोड़ा नीचे आ रहा था।
डॉली को मैंने सामने वाली तरफ़ से रगड़ना चालू किया। पहले गर्दन फ़िर कन्धे.. लेकिन इस बार तो सामने दो खरबूज़े बीच में आ गए थे।
अब तक मैं उन दोनों की नियत समझ चुका था।
मैंने धीरे-धीरे उन हुस्न के दोनों गोल-मटोल चन्द्रमाओं को पोंछने में लग गया। फ़िर मैंने धीरे से उनके बीच की गहरी खाई को भी तौलिए से साफ़ किया।
तभी डॉली ने कहा- जरा अपने दूसरे हाथ को भी काम पर लगाओ।
तभी मैंने दूसरे हाथ से दोनों खरबूजों को थोड़ा दूर-दूर किया।
पहली बार मैंने अपने हाथों से उन्हें छुआ था.. आह्ह.. बड़े सख्त थे दोनों.. और बड़े भी थे।
बड़ी मुश्किल से मेरे हाथ में आ रहे थे।
दोनों को थोड़ा दूर-दूर करके मैंने उनके बीच की गहरी खाई को भी साफ़ किया।
फ़िर कमर.. जांघें.. फ़िर पैर और अब मैं खड़ा हो गया।
मैंने कहा- कैसी लगी मेरी सेवा?
वे दोनों जवाब में मेरे सामने आराम कुर्सी पर बैठ गईं और एक कहने लगी- काफ़ी समझदार हो तुम.. और शायद अनुभवी भी लगते हो।
अनुभवी तो मैं था ही सही.. क्योंकि मेरी एक गर्लफ़्रेंड जो थी और उसके साथ किया हुआ सेक्स का भी अनुभव था.. जो शायद आज काम आने वाला था।
मैं भी उनके सामने एक कुर्सी पर बैठ गया और उनसे कहने लगा- आपका कंप्यूटर यहीं ठीक किया जाए.. या अन्दर चल के करूँ?
तभी डॉली बोली- अच्छा.. क्या तुम कहीं भी कुछ भी सही कर सकते हो?
मैंने कहा- हाँ..
फ़िर अन्नू जो काफ़ी देर से मेरी जींस की पैन्ट पर उभरे हुए हिस्से को देख रही थी।
वो बोली- अरे जरा आराम से बैठो.. तुम्हारी पैन्ट में कुछ है क्या.. दिक्कत न हो तो उसे बाहर निकाल दो।
मैंने कहा- नहीं.. मैं ठीक हूँ।
वो एकदम से उठी और मेरे शेर को ऊपर से ही छूने लगी। मेरा तो कंट्रोल अब जवाब देने लग गया था।
तभी डॉली भी उठी और वो भी उसी जगह पर हाथ फ़िराने लगी।
डॉली कहने लगी- अरे ये तो इसके काम करने का औजार है।
उन दोनों का ये रूप देख कर मैं एकदम से गनगना गया।
उन दोनों के साथ चुदाई का सीन कैसा हुआ वो आप सभी को अगले भाग में लिखूंगा।
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कहानी जारी है।
कहानी का अगला भाग: पुलिस वाली की चूत का चक्कर-2