पुरानी चाहत की चूत लॉकडाउन में चोदने मिली-1

यह सेक्सी इरोटिक लव स्टोरी एक ऐसी लड़की के साथ सेक्स की है जिसे मैं 20 साल पहले मिला था. वो मेरी दूर की रिश्तेदार थी. उसने मुझे फेसबुक पर ढूँढ कर सम्पर्क किया.

नमस्कार दोस्तो, मैं आपका अपना दोस्त विवेक, आज आपके साथ अपनी जिंदगी में हुई एक हसीन घटना को साझा कर रहा हूं.

यह मेरा विश्वास है कि आपको यह Sexy Erotic Love Story जरूर पसंद आएगी.
साथ ही आपको ऐसा लगेगा कि ये घटना जीवन के किसी ना किसी पहलू से मेल खाती हुई ही है.

मैं सबसे पहले अपने बारे में बता देता हूं. मैं एक 42 वर्षीय मिडल क्लास व्यक्ति हूं और पंजाब का रहने वाला हूं.
मेरा कद 5 फीट 7 इंच है और मेरे लंड का साइज 6.5 इंच है.
दिखने में मैं सामान्य हूँ, ना मोटा … ना ही ज्यादा पतला. रंग साफ है और आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हूं.

आज जो कहानी मैं आपके साथ शेयर करने जा रहा हूं, वह मेरी जिंदगी में घटी हुई एक असल घटना है.

यह सेक्सी इरोटिक लव स्टोरी सन 2020 के मार्च महीने की है.

एक दिन मैं वैसे ही बैठा फेसबुक चला रहा था क्योंकि उस समय लॉकडाउन लगा हुआ था. काम तो कोई वैसे ही नहीं चल रहा था.
मैं घर पर बिल्कुल फ्री ही बैठा था.

तभी मुझे एक लड़की का मैसेज आया, जिसने पहले मुझसे मेरा नाम कंफर्म किया और बताया कि वह कैसे मुझसे लगभग 20 वर्ष पहले मिली थी.

उससे बातें करने पर मुझे याद आया कि वह सही बोल रही थी और हम किसी पारिवारिक समारोह में मिले थे क्योंकि वह हमारी किसी दूर की रिश्तेदार की ही बेटी थी.

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चैट में ही उसने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर मांगा जो मैंने उसे दे दिया.
तभी उसने मेरे फोन पर कॉल की और हमारी बातें शुरू हो गईं.

बातों बातों में उसने मुझे बताया कि उसकी शादी के कुछ समय बाद ही उसका तलाक हो गया था और वह तब से लेकर अब तक अकेली ही रह रही है. अपने जीवन-यापन के लिए वो उसी शहर में एक प्राइवेट नौकरी कर रही है.

उस समय फोन काटने के बाद वह सारी यादें मेरे दिमाग में घूमने लग गईं कि वह एक खूबसूरत और चुलबुली लड़की थी जिसका नाम अंजलि (परिवर्तित नाम) है.

उसे पहली नजर पर देखते ही मैं उस पर लट्टू हो गया था. मैं उसे शादी का प्रस्ताव देने की सोच ही रहा था कि उसने मुझे बताया कि उसकी मंगनी हो चुकी है.
लेकिन उससे मिलने की कसक मेरे दिल में दबी ही रह गई, जिसको पूरा करने के लिए ही भगवान ने शायद यह मौका दिया था.

अगले दिन सुबह लगभग 10:30 बजे उसका फिर से फोन आया.
इस बार उसने मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की.

मैंने लॉकडाउन के बाद उससे मिलने का वायदा किया.
अब मुझे बेसब्री से लॉक डाउन के खुलने का इंतजार था.

और जैसे ही लॉकडाउन खुला, उसके अगले दिन ही मैं उससे उसके बताए हुए पते पर मिलने पहुंच गया.
उसको इतने सालों बाद देखने के बाद मैंने पाया कि उसकी खूबसूरती पर वक्त का बहुत कम असर नजर आ रहा था.

वो अभी उतनी ही हसीन और खूबसूरत नजर आ रही थी जितनी जवानी के दिनों में थी.

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उसका वही कातिल फिगर जो लगभग 34-32-36 का उस वक्त था, उसने अभी भी मेंटेन करके रखा हुआ था.

मैंने चुप्पी को तोड़ते हुए बातचीत का सिलसिला शुरू किया- अंजलि जी, आपको इतने वर्षों के बाद मिलने पर मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है. आप अभी भी उतनी ही खूबसूरत और हॉट हैं, जितनी आज से 20-22 साल पहले हुआ करती थीं. परंतु आपको इस हाल में देखना भी अच्छा नहीं लग रहा.

अंजलि- पहले तो आप मुझे अंजलि जी कहना बंद कीजिए और दूसरी बात ये कि अब इन हालातों की मुझे आदत सी हो गई है. रही बात मेंटेन करने की, तो नौकरी के बाद खाली समय में करना ही क्या होता है … इसीलिए योगा और मेडिटेशन करती हूं, जिससे मैं अपने आपको फिट रखती हूं.

चाय पानी की औपचारिकता के बाद हमारी बातें आगे बढ़ना शुरू हुईं.

अंजलि के साथ हुई बातचीत को मैं अपनी और उसकी जुबानी लिख रहा हूं.

अंजलि- आप अपने परिवार के बारे में बताइए … कौन-कौन हैं आपके परिवार में?
मैं- मेरे परिवार में मैं, मेरी पत्नी और मेरे दो बच्चे हैं.

अंजलि- अब आप बताइए कि आपका और हमारा क्या रिश्ता है … क्योंकि मुझे तो यह पता है कि हम दूर के रिश्तेदार हैं. परंतु क्या रिश्ता है यह मुझे नहीं पता.

इससे पहले कि वह कोई और बात करती, मैं बोला- अंजलि जी, हमारा रिश्ता कोई भी हो, लेकिन भाई बहन वाला कोई रिश्ता नहीं है और आज से हम दोस्त हैं.

वह मेरी बात का मतलब तो समझ ही गई थी क्योंकि भगवान ने लड़कियों को सामने वाले की नजरों और बातों का मतलब पता करने की एक अलग सी शक्ति दे रखी है.

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मेरी बात पर उसने हंस कर कहा- हां, मुझे भी लगता है कि हमारा रिश्ता भाई बहन वाला नहीं था. आगे भी मुझे पुराना रिश्ता कायम रखने में कोई दिलचस्पी नहीं है.

मैंने कहा- दोस्ती का रिश्ता तो पुराना ही है!
वो बोली- हां वो तो है और आगे भी रहेगा.

फिर इस बात का सिलसिला शुरू हो गया कि मैंने उसे उस समय आगे क्यों नहीं दोस्त बनाया था.

मैंने कहा- यार, उस दिन मैं तुमसे कुछ कहने ही वाला था मगर उसी समय तुमने मुझे अपनी शादी की बात पक्की होने की बात कह दी थी और मैं चुप रह गया था.

ये सुनकर उसकी आंखों में आंसू से आ गए.

मैंने पूछा- आंसू क्यों?
उसने कहा- मैं नसीब को लेकर कुछ सोचने लगी थी कि जब नसीब में सुख नहीं लिखा होता है तब ऐसा ही होता है.

मैंने कहा- हां, ये बात तो सही है. तब भी एक बात कहना चाहूँगा कि हम किसी बात को जब शिद्दत से चाहने लगते हैं तो ये कायनात भी उस चाहत को पूरा करने के लिए मौके और अवसर बना देती है.

हम दोनों की इस तरह की बातों से एक बात साफ़ हो गई थी कि हम दोनों ही अपनी पुरानी चाहत को फिर से जिन्दा करने के लिए सोचने लगे थे.

उसने बातों बातों में मुझे यह भी बताया था कि वह लगभग अट्ठारह साल से अकेली रह रही है और उसके भी कुछ अरमान हैं. इसीलिए उसने यह सोच लिया कि अब वो भी अपनी दबी हुई हसरत को शायद पूरा करने की कोशिश करे.

हम दोनों की झिझक और शर्म की वजह से पहली मुलाकात में मैं सिर्फ उसका हाथ पकड़ सका और जाते हुए उसे गले लगा कर वापस निकल पड़ा क्योंकि इससे ज्यादा कुछ करने या कहने की हिम्मत नहीं बनी.

परंतु उसने मुझको दोबारा आने के लिए काफी आग्रह किया कि आप अब मेरे पास आते रहना.
चूंकि वह अपने घर में अकेली रहती थी, इसलिए वहां पर आना कोई खास दिक्कत का काम नहीं था.

मेरे और अंजलि के संबंध कहां तक बने उसे मैंने कितनी बार और कहां-कहां चोदा, अब वह भी मैं बता रहा हूँ.

दो दिन के बाद सुबह 10:00 बजे फिर उसका फोन आया, उसने मुझसे कहा- मेरी स्कूटी खराब हो गई है. क्या आप मेरे साथ बाजार चल सकते हैं?
मैंने कहा- हां, तुम दोपहर तक इंतजार करो. कुछ काम निपटा कर मैं दोपहर के बाद तुमको, जहां तुम जाना चाहती हो, ले जाऊंगा.

दोपहर को उसके घर के पास जाकर मैंने उसको कॉल किया- अंजलि बाहर आ जाओ. हम बाजार चलते हैं.

वह 5 मिनट के बाद मेरे साथ गाड़ी में आकर बैठ गई.
वो आज कुछ ज्यादा ही सज-धज कर और मॉडर्न कपड़े पहन कर आई थी.

मैंने एक बार फिर से उसकी तारीफ़ की.
वो खुश हो गई.

फिर बाजार में आकर उसने अपना कुछ काम किया और आधे घंटे बाद हम वापस उसके घर आ गए.

उसने मुझको चाय पीकर जाने का कहा.
मैं भी यही चाहता था कि वो किसी बहाने से भी मुझको अपने साथ घर में लेकर जाए.

घर में जाते ही चाय से पहले उसने मुझसे कहा- जैसे आप दोस्ती में मेरे एक बार बुलाने पर ही आ गए, मुझे ऐसे ही एक साथी की तलाश थी, जो मेरे गाहे-बगाहे बुलाने पर मेरी मदद के लिए आ जाए.

उसके बाद चाय पीते वक्त वह कुछ संजीदा हो गई और कहने लगी- मेरा भी बहुत दिल करता है कि कोई मेरे साथ प्यार करे … और मेरे साथ रहे.
मैं उसकी बातों का मतलब समझ रहा था क्योंकि वह काफी समय से अकेली रह रही थी और बहुत प्यासी थी.
परंतु नारी सुलभ लज्जा के कारण वह कह नहीं पा रही.

अब मैंने सोचा कि अगर मैं ऐसे ही मौके का इंतजार करता रहा तो यह बात आगे नहीं बढ़ेगी.
इसीलिए चाय का कप रखने के बाद मैंने उसे अपने आगोश में ले लिया और उसके रसीले होंठ चूसना शुरू कर दिए.

शुरू शुरू में वह मना करती रही और ऊपरी दिखावा करती रही कि मैं उसके साथ कुछ उसकी इच्छा के विरुद्ध कर रहा हूं, पर अन्दर से वह भी यही चाहती थी.

मैंने धीरे धीरे उसका टॉप और जींस निकाल दिए और अब वह सिर्फ ब्रा और पैंटी में रह गई.

उसने शर्म से बेड पर पड़ी चादर अपने ऊपर ले ली.

मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर में उसके साथ लेट गया.

अंजलि यह कहती रही कि आप गलत कर रहे हो लेकिन वह मुझे रोक भी नहीं रही थी.

मैंने प्यार से उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी और उसके कोमल और गोरे गोरे चूचे सहलाने और मुँह से चुभलाने शुरू कर दिए.

इससे वह धीरे-धीरे गर्म होनी शुरू हो गई और उसका विरोध कम होना शुरू हो गया.

मैंने काफी देर तक उसके चूचों को मसला और चूसा.
धीरे धीरे मैं उसके पेट की तरफ बढ़ा. पेट पर चूमते हुए मैंने उसकी गोरी गोरी टांगों और उनके बीच प्यारी सी चूत को काफी देर तक सहलाया, जिससे उसकी थोड़े थोड़े बालों वाली चूत में से लगातार पानी बहना शुरू हो गया.

अब तक मेरा भी लंड फटने को हो गया था, इसलिए मैंने उसकी टांगों को खोला और अपना लंड उसकी चूत पर घिसना शुरू कर दिया.

मैं उसकी चूत के रस से लंड को भिगोकर उसके अन्दर डालने ही वाला था कि उसने मुझको ऐसा करने से मना कर दिया.

मन तो उसका भी बहुत कर रहा था लेकिन वह डर भी रही थी कि क्या वह सही कर रही है या नहीं.

लेकिन यहां तक पहुंच कर रुकना अब मेरे लिए संभव नहीं था और मैंने बिना उसकी परवाह किए लंड उसकी चूत पर रख कर एक धक्का दे मारा.

मेरा लगभग आधा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया जिससे उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं और वह मुझको धक्का मारने लगी.

ये बात मेरे लिए एक अजीब सी बात थी कि वो मुझे अपने साथ सेक्स करने से मना करने लगी थी.
ऐसा क्यों हुआ था … वो सब मैं आपको सेक्सी इरोटिक लव स्टोरी के अगले हिस्से में लिखूंगा. तब तक आप मुझे अपने मेल जरूर लिखें.

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