अब तक मां बेटा की चुदाई की कहानी के पहले भाग
जवान सौतेली मां की चूत चुदाई की इच्छा
में आपने पढ़ा था कि मैं अपनी जवान मां की चूचियों को देख कर एकदम गर्म हो गया था. इसलिए मैं अपने कमरे में आ गया और लंड को सहलाते हुए मां की जवानी को सोचने लगा.
तभी मां मेरे कमरे में आ गईं और मैं उन्हें देख कर अपनी लुंगी को सम्भालने लगा था.
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मां हंसकर बोलीं- ऐसा होता है इस उम्र में.
उनकी नजरें मेरी लुंगी के तंबू पर ही जमी थीं. मां बोलीं- अभी सो जाओ हर्षद, ग्यारह बज गए हैं.
मां अपने बेडरूम में चली गईं. उनका कमरा मेरे कमरे से लगा हुआ ही था.
फिर मैं सो गया.
सुबह नौ बजे मैं उठा, तो पिताजी अपने ऑफिस चले गए थे.
मैं नहाने जा रहा था, तभी मां ने किचन से हंसकर आवाज दी- अरे उठ गए हर्षद. रात को नींद लगी आ नहीं!
माँ से मैं नजरें नहीं मिला पा रहा था. फिर भी किसी तरह मैं बोला- हां मां बहुत अच्छी नींद आई.
मैंने उनकी तरफ देखा, तो मैं तो होश ही खो बैठा. मैं उन्हें देखता ही रह गया. मां ने एक पिंक कलर की टाइट सी नाइटी पहनी थी. उसमें से उनकी ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी साफ़ दिख रही थी. उनका एकदम सेक्सी क्लीवेज देखकर मेरे लंड में हलचल होने लगी. मां क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं.
इतने में मां बोलीं- हर्षद कहां खोया है … और ऐसे क्या देख रहा है मुझे!
ये बोलते समय उनकी नजरें मेरी तौलिया पर टिकी थीं. जो मैंने अपनी कमर पर लपेटा हुआ था. लंड खड़े हो जाने से लंड का काफी उभार साफ़ दिख रहा था.
खड़ा लंड देख कर मां हंसकर बोलीं- हर्षद जल्दी जाओ और नहाकर आओ. मैं तुम्हारे लिए नाश्ता और चाय बना देती हूँ.
मैं बाथरूम में चला गया और दरवाजा बंद कर दिया. मैं तौलिया हटा आकार पूरा नंगा हो गया और शॉवर चालू कर दिया.
अभी भी मेरा लंड तना हुआ था. मैंने लंड हाथ में पकड़कर मुठ मारना शुरू किया और मां की चूचियों को याद करते हुए लंड की मुठ मारकर उसे शांत कर दिया.
फिर मैं नहाकर बाहर आया और अपने रूम में चला गया. मैं तैयार होकर हॉल में आकर सोफे पर बैठ गया.
मुझे रेडी देख कर मां नाश्ता लेकर आईं. मुझे नाश्ता की प्लेट देकर वो भी मेरे पास ही बैठ गईं.
उनकी जांघें मेरी जांघों को टच कर रही थीं. उनके बदन की मदहोश करने वाली खुशबू मुझे मस्त कर रही थी. उनका सेक्सी बदन देखकर तो मैं पागल ही हो गया था. उनकी नजरों में कुछ अजीब सी प्यास मुझे दिखने लगी थी.
मैं नाश्ता कर रहा था. मां मेरे कंधे पर हाथ रखकर बोलीं- हर्षद नाश्ता अच्छा नहीं बना क्या? तुम शायद कुछ सोच रहे हो … क्या बात है हर्षद!
मैंने बोला- कुछ नहीं मां … बस ऐसे ही.
मैंने नाश्ता खत्म किया और चाय पीकर मां को बोला- मैं जरा बाहर जाकर आता हूँ. खाने के समय पर आ जाऊंगा.
मां बोलीं- ठीक है आराम से जाना, बाईक ठीक से चलाना और जल्दी वापस आना, मैं इंतजार करूंगी.
मैंने ‘हां मां ठीक है!’ कह कर अपने कदम बाहर की ओर बढ़ा दिए. मैंने अपनी बाईक निकाली और निकल पड़ा.
करीब साढ़े बारह बजे मैं घर आया. मेरी बाईक की आवाज सुनते ही मां गेट खोलने आ गईं.
मैंने मां से कहा- अरे मां आपने क्यों तकलीफ की, मैं खुद ही गेट खोल लेता ना!
वो बोलीं- अरे मेरा काम खत्म हो गया था हर्षद और मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी.
मैं अन्दर आया और मां ने गेट बंद कर दिया. हम घर में अन्दर आ गए.
मां बोलीं- तुम फ्रेश होकर आओ, मैं खाना लगाती हूँ.
मैं फ्रेश होकर आया, तब तक मां ने खाना लगा दिया था. फिर हम दोनों ने खाना खाया और मैं अपने रूम में चला गया. उधर मैंने अपने कपड़े उतारे और लुंगी लगा कर पेपर पढ़ने लगा.
मां किचन में अपना कर रही थीं.
कुछ ही देर में मां सब काम खत्म करके मेरे रूम में आ गईं.
मैं उन्हें देख कर बोला- आओ मां. मै समझा था कि आप अपने बेडरूम मे सोने जाओगी.
मां मेरे पास बैठकर बोलीं- अभी मुझे नींद नहीं आ रही.
उनकी नजरों में सेक्सी भाव झलक रहे थे. कल से मुझे उनके बर्ताव में बदलाव दिख रहा था. वो मेरी तरफ आकर्षित हो रही थीं. मुझे भी ये अच्छा लग रहा था.
उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोलीं- हर्षद, अभी अगले हफ्ते तुम अपने ऑफिस जाने लगोगे, तो मेरा क्या होगा … मेरे दिन कैसे कटेंगे. हर्षद तुम एक ही सहारा हो मेरा … जो मेरे दिल की बात समझ सकते हो. अब मैं दिन भर किससे बातें करूंगी हर्षद!
ये कहते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए.
उनकी हालत देखकर मुझे भी रहा नहीं गया और मैं उन्हें अपनी बांहों में भरकर बोला- रो मत मां … सब ठीक हो जाएगा. आपको कुछ दिन तकलीफ होगी … फिर आदत लग जाएगी. वैसे भी काम होने के बाद आप टीवी देखती रहा करो … फिर दो घंटे सो जाया करो.
मां बोलीं- इतना आसान है क्या हर्षद!
मैं उनके आंसू पौंछने लगा. मुझे उनका स्पर्श मदहोश कर रहा था. हम दोनों एक दूसरे के तरफ आकर्षित हो रहे थे.
इतने में मां बोलीं- हर्षद मैं तुम्हें अपना बेटा नहीं बल्कि एक दोस्त मानती हूँ. तुमसे अपनी सभी बातें शेयर करती हूँ. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ हर्षद.
बस ऐसे ही बोलते बोलते मां ने मेरा चेहरा अपने हाथों में पकड़ कर मेरे माथे पर किस किया, फिर गालों पर चूमा और फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
मैं भी इससे मदहोश हो गया था. मैंने भी उन्हें अपनी बांहों में कस लिया. मैं भी उन्हें साथ देने लगा. मैं भी उनके होंठों चूसता रहा.
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हम दोनों एक दूसरे की पीठ पर हाथ घुमा रहे थे. हम दोनों की सांसें बहुत तेज चलने लगी थीं. मेरे दोनों हाथ उनके मुलायम सेक्सी बदन पर फिरने लगे थे. वो भी मेरी कमर, पीठ, जांघों पर हाथ फिरा रही थीं.
इससे मेरा लंड खड़ा होने लगा. मेरी लुंगी में तंबू सा बन गया था. लंड खड़ा हुआ, तो मैंने झट से अपने हाथ मां के बदन से हटा लिए.
मां बोलीं- क्या हुआ हर्षद!
मैं बोला- मां हम दोनों ये सब गलत कर रहे हैं. तुम मेरी मां हो. ये सब करना पाप है.
ये कह कर मैं खड़ा हो गया.
तभी मेरी लुंगी में तंबू बना देखकर मां बोलीं- अगर ये सब पाप है, तो ये ऐसा क्यों हो गया?
उन्होंने वैसे ही तंबू को पकड़ कर मेरा लंड हिला दिया. मेरी तो फट रही थी. मां के पकड़ने से मेरा लंड तो और जोश में आने लगा था.
मेरे पास इसका कुछ जवाब नहीं था. मैं बोला- पता नहीं, कल से ऐसा क्यों होने लगा है.
मां बोलीं- तुम एक मर्द हो और मैं एक औरत हूँ. इसलिए सेक्स भावनाएं जागृत होती हैं. तुम अब बड़े हो गए हो. देखो तुम्हारा लंड कितना बड़ा और लंबा हो गया है.
ये कहकर मां खड़ी हो गईं और मुझसे लिपट गईं. उन्होंने मुझे अपनी बांहों में कसके जकड़ लिया था. उनके दोनों कड़क मम्मे मेरे सीने पर दब गए थे. उनकी गर्दन मेरे कंधे पर थी.
मैं भी अपने आप पर काबू नहीं रख पाया. मेरे भी हाथ उनकी पीठ और कमर को सहलाने लगे थे. मेरा लंड भी उनकी जांघों के बीच जाकर चुत से टकरा रहा था.
मां रोने लगी थीं और उनके आंसू बहकर मेरे कंधे को गीला कर रहे थे. ये महसूस करते ही मैं एकदम से होश मैं आया और अलग हो गया.
मैंने पूछा- मां आप क्यों रो रही हो?
मां- नहीं हर्षद, मैंने बरसों से इन आसुँओं को बहुत रोके रखा है … जी भर के रो लेने दे मुझे … मैं बहुत प्यासी हूँ हर्षद. मैं किसी मेरा दुःख कैसे बताऊं … अगर मेरी मां या बहन होती, तो उन्हें बता सकती थी. सब कुछ है मेरे पास … लेकिन मेरे जिस्म की प्यास को मैं कैसे बुझाऊं. दिन तो तुम लोगों के साथ निकाल लेती हूँ. लेकिन रात जल्दी नहीं कटती.
वो आगे बोली- मैं क्या करूं हर्षद … तुम ही बताओ. मैं तो पराये मर्द के बारे में सोच भी नहीं सकती. अपने घर की इज्जत का सवाल है … और मैं अपने घर की इज्जत पर कोई दाग नहीं लगने दूंगी हर्षद. एक तुम ही मेरी मदद कर सकते हो हर्षद.
मैं बोला- मां अगर तुम यही चाहती हो, तो मैं तैयार हूँ. मैं तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहता हूँ.
ये सुनकर मां मुझे लिपटकर बोलीं- आय लव यू हर्षद.
मैंने भी मां को बांहों में भर लिया और कहा- आय लव यू मां.
मां बोलीं- हर्षद जब हम दोनों अकेले हों, तो तुम मुझे सिर्फ अदिति कहकर ही बुलाओगे.
ये कह कर वो मुझे किस करने लगीं. मेरा लंड उनकी चुत पर ऊपर से ही रगड़ रहा था.
अब मां बोलीं- चलो अब देर न करो … जल्दी मेरी प्यास बुझा दो. अब नहीं रहा जाता हर्षद.
मैं भी बहुत जोश में था. मैंने मां को उनकी कमर के नीचे हाथ डालकर उठाया और उनके बेडरूम में ले गया. मैंने मां को बेड पर लिटा दिया. मैं भी अपनी बनियान और लुंगी निकालकर उनके ऊपर चढ़ गया और किस करने लगा.
उन्होंने भी मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगीं. मां अपनी जीभ मेरे मुँह में डालकर मुझे चूसे रही थीं. मैं भी अपनी जीभ उनके मुँह में डाल रहा था.
आह क्या बताऊं … ये मेरे लिए अजीब अनुभव था … मुझे बहुत मजा आ रहा था.
फिर मैंने अपने हाथ उनके कड़क मम्मों पर रख दिए और अब मैं मां के मम्मों को मसलने लगा था. मां मादक सिसकारियां भरने लगी थीं.
कुछ देर की चूमाचाटी के बाद मां बोलीं- आह हर्षद मेरी नाइटी, ब्रा, पैंटी निकाल कर नंगी कर दो मुझे.
मैं भी यही चाहता था.
मैंने उनकी नाइटी निकाल दी. फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी. वाह क्या मदमस्त जिस्म था मेरी जवान सौतेली मां का … मैं नशीली निगाहों से उनका मस्त जिस्म देखने लगा.
मां के कड़क उभरे हुए मम्मे, पतली कमर और मुलायम जांघें … और उन दोनों चिकनी टांगों के बीच छुपी हुई गुलाबी चुत एकदम साफ थी. शायद मां ने सुबह ही अपनी चुत की झांटें साफ की थीं.
मैं तो मां की चुत देख कर अपने होश खो बैठा था और बस देखे जा रहा था.
तभी मां चुत उठाते हुए बोलीं- हर्षद सिर्फ देखते रहोगे क्या? चलो जल्दी से अपना जांघिया निकालो न!
मैं बोला- नहीं अदिति … तुम ही उतार दो.
मां उठीं और उन्होंने मेरा जांघिया नीचे खींच दिया. मेरा आधा सोया हुआ लंड झट से आजाद हो गया और फुदकने लगा.
उन्होंने मेरे लंड को निहारते हुए मेरी जांघिया पैरों से निकाल दी. अब मैं बिस्तर पर घुटनों के बल बैठा था. मां ने अपने दोनों हाथों में मेरा लंड ले लिया और उसे सहलाने लगीं.
मेरा पूरा बदन रोमांचित और गरम होने लगा. मेरा साढ़े सात इंच लम्बा और मोटा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था.
मां लंड हाथ से सहलाते हुए बोलीं- हर्षद तेरा लंड कितना लंबा और मोटा है. ये तो मेरी तो चुत फाड़ देगा … तेरे पिताजी का तो पांच इंच ही लंबा है और पतला सा है. हमारी शादी के बाद छह महीने तक ही मुझे चुदाई का मजा मिल सका. फिर तेरे पिताजी का तो दो मिनट में हो जाने लगा था … और मैं वैसे ही प्यासी सो जाती थी. अब मेरी प्यास तो ये तुम्हारा ये तगड़ा लंड ही बुझाएगा हर्षद.
ये कहते हुए उन्होंने मेरे लंड के सुपारे पर अपनी जीभ गोल गोल घुमा दी. इससे मेरे तो पूरे बदन में जैसे करंट सा दौड़ गया था.
मैंने मां को बेड पर लिटाया और 69 की पोजीशन बनाते हुए मैं उनके ऊपर आ गया. मां की टांगों को फैलाकर मैंने उनकी गुलाबी चुत पर किस किया. मां के मुँह से एक मीठी आह निकल गयी. वो भी मेरे लंड पकड़ कर मुँह लेने की कोशिश करने लगीं … मगर बड़ा लंड होने के कारण मां के मुँह में लंड नहीं जा पा रहा था.
मां मेरे लंड का सुपारा चूसने लगीं. मुझे भी जोश भरने लगा था. मैंने कोशिश करके अपना लंड उनके मुँह में दे दिया. अब वो लंड मस्ती से चूसने लगी थीं.
मेरी कामुक मां की चुत चुदने के लिए फड़क रही थी और मैं मां बेटा की चुदाई की कहानी का पूरा रस अगले भाग में लिखूंगा. आपके मेल मुझे उत्साहित करेंगे.
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मां बेटा की चुदाई कहानी का अगला भाग: बेटे ने मां को चोदा कहानी