बीवी की चुदाई पड़ोसी से होती देखने की ख्वाहिश- 1

मैंने अपनी बीबी की चुदाई दूसरे मर्द से करायी. उसकी अपनी इच्छा थी कि वो मेरे दोस्त और हमारे पुराने पड़ोसी के लंड से चुदी करवाए. वो मैंने कैसे पूरी की?

नमस्कार दोस्तो, ये मेरी स्वयं की कहानी है जिसमें मेरी बीवी की रजामंदी भी शामिल है.

मैं अनिल अपनी कहानी को अपने और अपनी बीवी के शब्दों में पेश कर रहा हूं. आपसे सहयोग की उम्मीद रखता हूं और आशा करता हूं कि कहानी आपको पसंद आयेगी.

अगले दिन मेरा जन्मदिन था और इस जन्मदिन को खास बनाने की तैयारी पिछले कई दिनों से पक्की थी.
पिछले कई दिनों से मेरी बीवी सुमन इसकी तैयारी में लगी थी.

उसने अपने लिए नयी सेक्सी ब्रा और पैंटी, हाई हील सैंडल, नयी ड्रेस वगैरह आदि की खूब खरीदारी की थी.
और एक दिन पहले ही सैलून जाकर पूरे बॉडी की वैक्सिंग करवा के पूरी बॉडी को मस्त चिकना करके आयी थी.

जब मैं अपनी बीबी की चुदाई अपने यार से होने की तैयारी करते हुए देखता; तो मुझे काफी मजा आ रहा था और तकरीबन दिन भर मेरा लन्ड खड़ा ही रहता था.

कई दिनों से सुमन पंकज के साथ बिल्कुल खुल गई थी.
और जब भी पंकज का मन करे वो अब सुमन को डायरेक्ट ही फोन पर वीडियो कॉल करके उसे पूरी नंगी करवा देता था.
वह खुद भी अपना लंड निकाल कर अश्लील बातें करते हुए दोनों एक दूसरे को मजा देते थे.

सुमन की सारी झिझक खत्म हो गई थी और अब तो वो पंकज के कहने से पहले ही दरवाजा बंद करके बिना मेरी परवाह किए अपने 34सी साइज के चूचे खोलकर पंकज को दिखाना शुरू कर देती थी.

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जब वो चूचे दिखाते हुए गर्म हो जाती तो फिर अपने वाइब्रेटर से खुद को शांत करती थी.
क्योंकि मैंने तो एक सप्ताह पहले से ही उसे चोदना बंद किया हुआ था.

शुरू में पहले एक दो दिन उसने कोशिश भी की कि मेरे से आकर भी चुदे.
लेकिन मैंने साफ मना कर दिया था कि अब तो सीधा पंकज ही चोदेगा तुम्हें पहले. तब तक उसी का लंड देखकर अपने से ही मजे लो.

गदराई हुई अपनी जवानी को दिखाते हुए जब पूरी गर्म हो जाती और अपने पति के सामने दूसरे पराये मर्द को दिखाते हुए अश्लील बातें करती तो चुदने के लिए मचल जाती थी.

फिर अपनी चुदास को लिये वो मेरी नजरों में देखकर चुदाई की भीख मांगती थी.
मगर मैं उसको प्यासी ही छोड़ देता था.

मन तो मेरा भी कमजोर पड़ जाता था लेकिन फिर सोचता कि कहीं वो ऐन टाइम पर पलटी न मार जाये.

संस्कारी औरतों को प्यासी रखना पड़ता है ताकि जब कोई पराया मर्द उसे चोदने आये तो वो अपने वादे से मुकरे नहीं.
उसी के चक्कर में मैं खुद एक सप्ताह से मुठ मारकर अपने लंड को तोड़ रहा था.

उस दिन घर से एयरपोर्ट के लिए निकलने से पहले सुमन काफी उत्साहित थी और उसने उसी उत्साह में मुझे अपनी गांड मारने दी.
मैंने उसके आगे वाले छेद में लंड घुसाने के लिए तो साफ मना कर दिया था.

मैंने उसको कहा था कि अब ये चूत पहले पंकज ही चोदेगा.
अब चूंकि आप पंकज के बारे में जानने के लिए उत्सुक हो रहे होंगे तो उसका परिचय करवाना भी जरूरी हो जाता है.

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पंकज की उम्र करीब 37 साल थी और वो 5 फीट दस इंच लंबा मर्द था. पंकज एक समय हमारा पड़ोसी था. हम दोनों के घरों का पीछे का हिस्सा कॉमन था.

हम दोनों ही एक दूसरे की बीवियों को पीछे से जब कोई नहीं होता था तो ताड़ते रहते थे.
मेरी सुमन तो सेक्स की देवी थी ही. वहीं उसकी बीवी मल्लिका की उठी हुई गांड को जब मैं देखता था तो मन करता था कि एकदम से जाकर उसकी गांड में लन्ड घुसाकर रगड़कर चोद दूं।

सुमन से अक्सर पंकज और उसकी बीवी बात किया करते थे.
और उन दिनों मैं जब कभी पंकज का नाम लेकर सुमन को चोदता था तो उस समय वो काफी उत्तेजित होकर खूब पानी छोड़ती थी.

बाद में हमारा उस शहर से ट्रांसफर हो गया और हम दूसरे शहर शिफ्ट हो गए.
जब सुमन हॉट वाइफ बनने और दूसरे मर्दों से मेरे सामने चुदाई कराने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई तो मैंने उससे एक सवाल पूछा.

मैंने पूछा कि किसके साथ पहली बार चुदने से तुम्हें सबसे ज्यादा मजा आयेगा?
तो उसने सबसे पहले पंकज का नाम लिया और फिर मेरे एक दूसरे मित्र सुशील का नाम लिया.

उसका झुकाव पंकज की तरफ देखकर मैंने सीधे पंकज को ही फोन किया.
पहले उससे नॉर्मल बातें कीं, हाल चाल पूछा और बाद में सीधा मैं मुद्दे पर आ गया.

मैंने पंकज से सीधे ही पूछ लिया- मेरी बीवी सुमन तुम्हें कैसी लगती है?
पहले मेरे इस प्रश्न पर वो हैरान हो गया.

तब मैंने उसे बताया कि मुझे सब पता है कि वो कैसे सुमन को हमेशा ही चोदने की फिराक में रहता था और मेरी नज़र बचाकर सुमन से इशारे में ही बात करता रहता था.

मैंने उसे यह भी बताया कि सुमन ने ही किसी गैर मर्द से अपनी पहली चुदाई के लिए उसका ही नाम बोला है. और अगर पंकज राज़ी ना हो तब उसने सुशील से चुदाई करने का कहा है.

पंकज को मेरी बातों पर विश्वास हो गया.
उसने भी फिर कह दिया कि वो भी हमेशा ही सुमन की चूत लेना चाहता था. एक बार छत के कमरे की खिड़की से उसने अपना लंड भी सुमन को दिखाया था.

अपनी पतिव्रता पत्नी के इस राज को सुनकर मुझे भी हैरानी हुई.
मुझे काफी मजा आया.

बाद में मैंने सुमन को बताया कि पंकज ने खिड़की से लंड दिखाने वाली बात मुझे बता दी है.
वो बोली- मैं तो ऐसे ही बाहर देख रही थी. उसने खुद से ही अपना लंड निकाल कर दिखा दिया था. मैं तुरंत वहां से हट गयी थी.

फिर हमारी बातें होती रहीं और अंत में सुमन ने अपने मुंह से ही बोल दिया कि पंकज का लंड मेरे लंड से बड़ा है.
शायद उस दिन से ही मेरी बीवी सुमन पंकज के लंड के लिये प्यासी हो गयी थी.

खैर बात लंबी हो गई, इसलिए सीधे मुद्दे पर आते हुए कहानी को आगे बढ़ाता हूं अब.

तो प्लान के मुताबिक हमने होटल की बुकिंग पहले से ही कर ली थी.
और पंकज (बदला हुआ नाम) को प्लेस की जानकारी देकर हम दोनों भी घर में कुछ काम का बहाना बनाकर अहमदाबाद की फ्लाइट पकड़ने के लिए निकल गए.

घर से निकले तो उस समय भी वो पूरी उत्कंठा और सेक्स के आवेग में थी.

खैर एक घंटे में ही हम अहमदाबाद पहुंच गए.

और जैसे ही हमने लैंड किया, सुमन से रहा नहीं गया.
एयरपोर्ट से बाहर निकलने से पहले ही उसने शर्माकर मुझसे बोला- एक बार फोन कर लीजिए ना पंकज को, कहीं उसे होटल ढूंढने में परेशानी तो नहीं हुई?

कसम से मेरा एकदम से मन किया कि जोर जोर चिल्लाकर उस समय सामने खड़े हर आदमी को बताऊं कि देखो … मेरी बीवी अपने यार से चुदवाने के लिए कितनी बेचैन है.

मुझे अपनी बीवी पर हैरानी हो रही थी कि ये वही सुमन है जो शादी करके आयी थी तब तो मेरे साथ सम्भोग करते वक़्त भी अपनी उत्तेजना शर्म से छिपा जाती थी.

हमारे समाज में स्त्रियों का यौन आग्रह या यौन उत्तेजना प्रदर्शित करना वर्जित ही है और ऐसा करने वाली औरतों को कुचरित्र औरत की संज्ञा से नवाजने में हमारा समाज गर्व समझता है.

मगर आज बेशर्मी से वही सुमन ऐयरपोर्ट जैसी सार्वजनिक जगह पर अपने यार के बारे में पूछ रही थी. जहां कई जोड़ी आँखें उसके सेक्सी गदराए बदन पर टिकी हुई थीं और कई ठरकी तो उसकी ड्रेस के खुलेपन में झांक कर नज़रों से ही उसे अपने ख़्यालों में चोद रहे थे.

दूसरे शब्दों में कहें तो वो उत्तेजना में घिरी हुई डर रही थी कि कहीं किसी भी वजह से खड़े लंड की जगह गर्म चूत पर धोखा तो नहीं हो जाएगा.

खैर मैं तो खुद ही काफ़ी उत्तेजित और नर्वस था. पहली बार अपनी बीवी को गैर मर्द से चुदवाने जा रहा था.

हम जल्दी से ओला कैब में बैठकर होटल पहुँच गए.

होटल काफ़ी महँगा था और सुरक्षा की दृष्टि से ठीक था.

पंकज तो काफ़ी पहले ही पहुँच चुका था और अपने रूम में शायद सुमन की चुदाई के ख़्यालों में गुम था।

हमने भी अपने रूम में चेकइन किया और रूम में जाते ही अभी पोर्टर बाहर निकल ही रहा था कि तभी मेरी सेक्सी बीवी मुझसे लिपट गयी और मुझे डीप किस करने लगी.

मैंने अपनी उत्तेजना और ख़ुशी को छिपाते हुए पूछा- अब क्या करना है … बुला लूँ पंकज को?
सुमन ने निर्लज्ज तरीक़े से पूरी रंडियों वाली मुद्रा में जवाब दिया- और क्या … इसीलिए तो आयी हूँ. जल्दी बुलाइए अब.

इतना कहकर एकाएक वो शर्मा गयी और बाथरूम में घुस गयी।
पीछे से मैंने कहा- हाँ बढ़िया से धो-पौंछ कर साफ़ कर लो और इसी ड्रेस को बिना ब्रा और पैंटी के पहन कर वापस आ जाओ।

ये वन पीस ड्रेस जो सुमन पहनकर आयी थी दरअसल उसने इसे ख़रीदते समय ये बोला था कि पहली बार यही पहनकर पंकज से चुदवाऊँगी।

खैर मैंने पंकज को फ़ोन किया और उसे तुरंत ही आने को बोल दिया।
उसका रूम बग़ल वाला ही था और मैंने रूम सर्विस को ये बता दिया था कि अभी हमें कुछ नहीं चाहिए और हमें डिस्टर्ब ना करे।

फ़ोन करते ही पंकज आ गया.
उसके आने से पहले ही मैंने अपने फ़ोन में वीडियो रिकॉर्डिंग चालू करके उसे ऐसी जगह पर इस तरह से रख दिया था कि कमरे में जो भी बात हो या काम हो, सब चुपचाप रिकॉर्ड होता रहे।

पंकज के रूम में आने के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को हाय बोला और दोनों अपनी ख़ुशी या झेंप छुपाते हुए बैठ गए।

मैं अपनी ख़ुशी छिपा रहा था और पंकज बेचारा इस झेंप में था कि खुश होने से कहीं मैं अपनी बीवी को उससे चुदवाने से मना न कर दूं.

ये सब मैं समझ ही रहा था तो मैं उठा और बाथरूम के दरवाज़े को नॉक करके सुमन को बाहर आने के लिए बोला।
उसने एक बार बोला- नहाकर आती हूँ.
तो मैंने कहा- बाद में नहा लेना. अभी मुझे ज़ोर से लगी है इसलिए निकलो बाहर!

वैसे मेरी सुमन भी तो अंदर से पूरी तरह पिछले एक सप्ताह से पनियायी हुई थी. वो तुरंत ही बाहर निकल गयी और मैं जल्दी से दोनों को अकेले कमरे में छोड़कर बाथरूम में घुस गया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया ताकि दोनों उन्मुक्त होकर और शर्म-झिझक त्याग कर चूमा-चाटी शुरू कर सकें।

बाद में सब नजारा देखने के लिए अपना फ़ोन तो था ही जिसमें सब कुछ रिकॉर्ड होने वाला था.
अब सुमन के शब्दों में सुनिए जो मैंने बाद में अपने फ़ोन में भी देखा था.

सुमन के शब्दों में:

मैं बाहर निकली और अनिल बाथरूम में घुस गए. मैं खूब समझ रही थी कि वो जानबूझ कर हमें अकेला छोड़ कर गए हैं ताकि मैं और पंकज दोनों बेफ़िक्र होकर एक दूसरे के अंगों को बेशर्मी से सहला और दबा सकें.

मैं सामने खड़ी होकर अपनी बिना ब्रा की 34सी साइज़ की भारी और रसीली चूचियों को और भी तानकर अपनी आँखों में हवस की लालसा लिए पंकज को देख रही थी.

वो अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए अपने लंड को मसलकर छुपाने की कोशिश करते हुए, मेरी तनी हुई चूचियों को देखते हुए वो फोन पर अपनी बीवी मल्लिका से बात करके उसे ठीक से पहुंच जाने की बात कह रहा था।

वहीं मैं एक सप्ताह से उसके लंड से चुदने के इंतज़ार में प्यासी अपनी पनियायी चूत को अपनी उँगलियों से अपनी ड्रेस के ऊपर से ही सहलाकर तसल्ली दे रही थी.

अपनी चूत से मन ही मन कह रही थी कि सहेली अब इंतज़ार ख़त्म हो गया है … और मेरे पिया ने तुम्हारे लिए नए करारे नौ इंच के लंड का इंतज़ाम कर दिया है. कुछ ही समय में पंकज का लंड तुम्हें फाड़ते हुए मेरी आग शांत करेगा।

मैं रंडियों की तरह सोचने लगी थी और आगे जाकर पंकज के बग़ल में बिस्तर पर पनियायी गाँड टिका कर बैठ गयी। मेरी गाँड काफ़ी दर्द कर रही थी.

अनिल ने आज दिन में मुझे दूसरे लंड से चुदवाने के ऐवज़ में मुझे फुसलाकर और फिर रगड़कर मेरी ऐसी गाँड चुदाई की थी कि पीला पीला सब निकलकर बाहर आ गया था और बिस्तर की चादर ख़राब हो गयी थी.

मैं यही सब सोचते हुए अपनी चूत सहला रही थी कि इतने में ही पंकज मेरे पास आकर झुककर अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियाँ दबाते हुए मेरे बेचैन रसीले होंठों को चूसने लगा।

अचानक हुए इस हमले से मेरी चूत ने बेसाख़्ता ही फिर से पानी छोड़ दिया और मैंने भी तुरंत ही एक हाथ से उसकी पीठ सहलाते हुए सीधे हाथ से उसके लंड को टटोलते हुए पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी.

मैं भी उसे पूरी गर्मजोशी से किस करने लगी। थोड़ी देर मुझे किस करने एवं मेरी चूचियाँ मसलने के साथ ही मेरे नर्म हाथों की गर्मी से उसका लंड पैंट को फाड़कर बाहर निकलने को बेताब हो गया.

उसने मेरे कानों में फुसफुसाकर मुझसे कपड़े उतारने को कहा और फिर मुझे बिस्तर पर पीठ के बल लिटाकर मेरे पूरे बदन को अपने सख़्त हाथों से सहलाने लगा।

मैं उस समय सब कुछ भूल गई थी और एक सप्ताह से पाली गई हवस की आग को शांत करने के लिए पंकज की बांहों में झूल कर उसे चूमने लगी.

तभी पंकज ने मुझसे पूछा- कहीं अनिल गुस्सा तो नहीं होगा?
मैंने अपनी टांग उसपर फेंकते हुए कहा- गुस्सा क्यूँ होंगे … वही तो मुझे भी मनाकर ले कर आए हैं और तुम्हें भी बुलाया है मेरी चुदाई करने के लिए.

मेरे ये कहते ही पंकज ने मेरी ड्रेस को नीचे खींच कर मेरी एक चूची को बाहर निकाल लिया और मेरे एकदम टाइट होकर तने हुए निप्पल चुभलाने लगा.

हम दोनों एक दूसरे में डूबते जा रहे थे कि तभी फ्लश चलने की आवाज आयी और तुरंत ही मैंने कपड़े ठीक करके पंकज को सोफ़े पर भेज दिया और खुद बिस्तर पर ही बैठी रही.

कुछ देर बाद बाथरूम का दरवाजा खोलकर अनिल बाहर आ गए और मुझे बोले- अरे … तुम दोनों यहाँ चुपचाप बैठ कर भजन गाने आए हो या चुदवाने और मजे लेने आए हो?

वो बोले- इतनी देर अगर मल्लिका मेरे साथ अकेले रहती तो मैंने तो अब तक एक बार चोदकर उसे शांत कर दिया होता.

फिर वो सीधे मेरे पास आकर बैठ गए और मुझे कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींचते हुए मुझे किस करने लगे.

किस करते हुए ही पंकज को उन्होंने बिस्तर पर इशारे से बुला लिया.

एकाएक मैंने पंकज के हाथों को अपने शरीर पर महसूस किया और अपनी आंखें खोलकर थोड़ा नर्वस होते हुए अनिल को देखने लगी.
अनिल मेरी हिचक को समझ गए और उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर पंकज के लंड पर रख दिया.

ऐसा करते ही मेरे शरीर ने एक जोर का झटका खाया और दोनों मर्द भी इस बार समझ गए कि झटका खाकर मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया है.

आपको मेरी बीबी की चुदाई कहानी कैसी लग रही है, इसके बारे में अपनी राय जरूर देना. मुझे आप लोगों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा.

बीबी की चुदाई कहानी का अगला भाग: बीवी की चुदाई पड़ोसी से होती देखने की ख्वाहिश- 2