मेरे बेटे की नयी हिंदी अध्यापिका

सेक्सी स्कूल टीचर की चुदाई का मौक़ा मिला मुझे. वो मेरे बेटे की हिंदी अध्यापिका थी. मैंने उसे स्कूल में देखा तो उसका भरा पूरा जिस्म देख मेरे बदन में कुछ हुआ.

लेखक की पिछली कहानी: सेक्सी मामी और उनकी बेटी की चुदाई

मैं कानपुर में होम्योपैथिक डॉक्टर हूँ और मेरी पत्नी विनीता एक प्रतिष्ठित स्कूल में टीचर है.
मेरा बेटा विशाल उसी स्कूल में कक्षा तीन का छात्र है.

एक दिन मेरी पत्नी ने बताया कि उसके स्कूल में एक नई टीचर आई है सितारा.
सितारा हिन्दी पढ़ायेगी और उसको विशाल का क्लास टीचर बनाया गया है.

अगले हफ्ते दस दिन में धीरे धीरे यह जानकारी हो गई कि सितारा राम नगर में रहने वाले इंजीनियर कुलदीप राय की बेटी है.
इंजीनियर साहब की पिछले साल मृत्यु हो गई है. मृत्यु से करीब दो साल पहले उन्होंने सितारा की शादी बड़ी धूमधाम से की थी.

शादी के एक साल बाद सितारा की बेटी पूर्वा का जन्म हुआ था.
अभी 6 महीने पहले सितारा अपने पति से झगड़ा करके वापस आ गई है और तलाक का मुकदमा कर दिया है.

सितारा के घर में उसकी माँ, एक बड़ा भाई और भाभी हैं. भाई मर्चेन्ट नेवी में कैप्टन है, काफी कमाता है. इंजीनियर साहब की कमाई हुई अकूत दौलत भी है.

अब सितारा अपने भाई, भाभी पर आश्रित होकर नहीं रहना चाहती इसलिए जॉब कर रही है.
सितारा की माँ और भाभी मिलकर पूर्वा को सम्भालती हैं.

मेरे लिए इस सारी जानकारी का कोई मतलब नहीं था, सिवाय इसके कि मेरी पत्नी को स्कूल की एक एक बात बताने की आदत है और मुझे सुनना पड़ता है.

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सितारा से सम्बंधित इस सारी जानकारी को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया था.
लेकिन उस दिन जब पीटीएम में स्कूल गया और सितारा से मुलाकात हुई तो दिल दिमाग में कुछ चलने लगा.

सेक्सी स्कूल टीचर सितारा को देखा तो ऐसा लगा कि यही मेरी पसंद की औरत है.
दरअसल मुझे मोटी औरतें पसंद हैं जबकि मेरी पत्नी बहुत दुबली पतली है.

सितारा की उम्र करीब 32-34 साल, कद 5 फीट 6 इंच, चूचियां 40 इंच और चूतड़ 48 इंच, रंग गोरा, तीखे नैन नक्श, नशीली आँखें.

पहली ही नजर में उस पर दिल आ गया और मैं उसे पाने की योजना बनाने लगा.

इतवार का दिन था, मैंने सितारा को फोन किया और ट्यूशन के लिए पूछा.

“लेकिन सर, विशाल को ट्यूशन क्यों चाहिए, वो तो 98 मार्क्स आये हैं.”
“मैं विशाल के लिए नहीं … अपने लिए बात कर रहा हूँ, दरअसल मेरी हिन्दी बहुत कमजोर है.”

“आप मजाक अच्छा कर लेते हैं, विनीता मैम अक्सर बताती हैं कि डॉक्टर साहब बहुत जॉली आदमी हैं.”
“सितारा जी, मैं बहुत सीरियस हूँ, अगर आप एक बार मिलने का मौका दीजिये तो मैं अपने दिल की बात कह दूँ. मेरी क्लीनिक मेडिकल कॉलेज चौराहे पर है, आपके घर से ज्यादा दूर नहीं है, कभी भी फोन करके आ जाइये.”

“ठीक है, मैं देखती हूँ.”

मेरा निशाना सटीक लगा था.

दो दिन बाद उसका फोन आया- सर, मैं आज स्कूल नहीं गई हूँ, फ्री हूँ, कितने बजे आ सकती हूँ?

मैंने घड़ी की ओर देखा, 11 बजे थे, मेरा क्लीनिक पर समय समाप्त हो रहा था.

तो मैंने पूछा- आप अभी कहाँ हैं?

“अपने घर पर, अशोक नगर में.”
“आप कोकाकोला चौराहे तक आइये, मैं वहीं पहुँचता हूँ.”

मैंने गाड़ी निकाली और कोकाकोला चौराहे पर पहुँचा, सामने से छाता लिए सितारा चली आ रही थी.
नीले रंग की सिल्क की साड़ी में कहर ढा रही थी.

वो सेक्सी स्कूल टीचर आकर गाड़ी में बैठी और कातिल मुस्कान दी.
मैंने पूछा- हम लोगों के पास दो तीन घंटे का समय है ना?

“मैं अपनी किसी सहेली के यहाँ जा रही हूँ, यह कहकर आई हूँ. चार पाँच बजे तक भी वापस पहुँच जाऊँ तो चलेगा.”

गजब का ग्रीन सिग्नल मिल रहा था.
हम लोग मॉल गये और एक रोमांटिक फिल्म देखने लगे.
उसी दौरान उसने बात शुरू की- आप शादीशुदा हैं, आपकी इतनी अच्छी पत्नी है, आप मुझसे क्या चाहते हैं?

कुछ दूर हमारे साथ चलो
हम दिल की कहानी कह देंगे
समझे न जिसे तुम आँखों से
वो बात जबानी कह देंगे.

फिल्म खत्म हुई, हमने रेस्टोरेंट में खाया पिया और मैंने उसको चौराहे पर ड्राप करने को कहा.
तो बोली- मेरे घर पर ड्राप कीजिये. मैंने बता रखा है कि आप मेरी सहेली के पति हैं, आपके साथ आने जाने में किसे आपत्ति हो सकती है.

रात भर मैं सपने संजोता रहा.

दो दिन बाद मैंने फोन किया और अगले दिन के लिए कहा तो वो राजी हो गई.

मैंने उसको लिया और हम लोग राधा कृष्ण मंदिर पहुंचे.
मैंने भगवान की प्रतिमा के सामने कहा- सितारा, मैं यहाँ इसलिए आया हूँ कि मैं भगवान के सामने कह सकूँ कि मैं तुमसे अपना रिश्ता पूरी ईमानदारी से निभाऊंगा.

तभी पंडित जी आये, हमें पति पत्नी समझकर जोड़ी सलामत रहे का आशीर्वाद दिया.
पंडित जी ने मुझे तिलक लगाया और सितारा को लगाने के लिए तिलक की कटोरी मेरे आगे कर दी.

मैंने सितारा के माथे पर तिलक लगाया और उसी उंगली को सितारा की मांग में फेरकर उसकी मांग भर दी.
वहां से निकल कर मैं सितारा को लेकर अपने फ्लैट पर ले आया.

वहाँ पहुंच कर चौंकी- आप अपने घर ले आये?
“एक भगवान के सामने वादा किया था, अब एक और भगवान के सामने वादा करना चाहता हूँ. मैं अपने घर में बने मंदिर में रखे अपनी स्वर्गीय माँ के चित्र के सामने ले आया और माँ को सम्बोधित करते हुए कहा- माँ, यह सितारा है, मेरी दोस्त है, आशीर्वाद दो कि हमारी दोस्ती, हमारा प्यार और विश्वास बना रहे.

सितारा ने माँ को प्रणाम किया तो मैंने मंदिर में रखे सिन्दूर से सितारा की मांग भर दी.
तो सितारा भावुक हो गई तो मैंने उसे गले लगा लिया, उसके मस्तक पर चुम्बन किया, फिर गाल पर किया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये.

कुछ पल बाद उसके होंठों का रसपान करने लगा.

सितारा के होंठ चूसते चूसते मैं उसके चूतड़ सहलाने लगा.
अपनी पत्नी के खरबूजे के आकार के छोटे छोटे चूतड़ों के मुकाबले सितारा के बड़े तरबूज के साइज के भारीभरकम चूतड़ मेरे लिए नया अनुभव था.

मैंने आज तक अपनी पत्नी के अलावा किसी औरत को नहीं चोदा था.
हालांकि दिल तो कइयों पर आया लेकिन कभी संयोग नहीं बना.

खैर आज सितारा के चूतड़ सहलाते हुए उसे चोदने की तैयारी हो रही थी.

सितारा के चूतड़ों को सहलाते, दबाते मैं उसकी साड़ी खोलने लगा.
साड़ी खोलने के बाद मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया तो पेटीकोट नीचे सरक गया.

सितारा के शरीर पर अब मैरून कलर की पैन्टी और ब्लाउज था.

हम दोनों के होंठ अभी भी लॉक थे.

अब मैंने सितारा के ब्लाउज़ और ब्रा के हुक खोल दिये तो सितारा के बड़े बड़े कबूतर आजाद हो गये.

जितने बड़े सितारा के चूचे दिखे उतने बड़े तो मेरी पत्नी के चूतड़ थे.
अपने दोनों हाथों से मैं सितारा के चूचे मसलने लगा.

तभी सितारा ने मेरे लण्ड पर हाथ फेरा और मेरी पैन्ट की चेन खोल दी और अन्दर हाथ डालकर मेरा लण्ड पकड़ना चाहा.
लेकिन मेरी छोटी सी फ्रेंची में तना हुआ लण्ड बाहर निकालना आसान नहीं था.

इसलिए सितारा ने मेरी बेल्ट और बटन खोलकर मेरी पैन्ट नीचे खिसका दी.

सितारा ने जैसे ही मेरी फ्रेंची नीचे खिसकाई काले नाग सा फुफकारता मेरा लण्ड बाहर आ गया.
मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में दबोचकर अपनी चूत पर रगड़ते हुए सितारा ने बड़ी मादक आवाज में कहा- तुम अब तक कहाँ थे?

सितारा ने अपनी पैन्टी खुद ही उतार दी और ताजा ताजा शेव की हुई अपनी चूत के लबों पर मेरा लण्ड रगड़ने लगी.
वह अच्छी खासी लम्बी थी, हाई हील के सैण्डल पहने हुए थी इसलिए थोड़ा सा उचककर वो करीब करीब मेरी हाइट के बराबर हो जाती थी.

सितारा ने अपने होंठों से मेरे होंठ पकड़े और पंजों के बल उचककर मेरे लण्ड का सुपारा अपनी चूत के होठों में फँसा लिया.

उसके चूतड़ पकड़कर मैंने उसे उचकाया तो उछलकर मेरी गोद में चढ़ गई.
उसने अपनी बाँहों से मेरे गले में घेरा बनाया और टाँगों से मेरी कमर जकड़ ली, कमर हिला डुला कर मेरा आधा लण्ड उसने अपनी चूत में ले लिया और आगे पीछे खिसककर पूरा लण्ड लेने की कोशिश करने लगी.

तभी अचानक मेरे कान में फुसफुसाई- मुझे शर्म आ रही है, विजय. माँ जी देख रही हैं.

मैं उसी पोजीशन में उसे बेडरूम में ले आया, उसे बेड पर लिटाया और पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया.
“आह विजय, थोड़ा प्यार से करो, इतने जालिम न बनो.”

मैंने अपनी शर्ट व बनियान उतारी और मैं भी पूरी तरह से नंगा हो गया.
सितारा के बड़े बड़े चूचे चूसते हुए मैं उसे चोदने लगा.
हर धक्के के साथ आह विजय कहकर सितारा सिसकारी भरती.

जब मेरे डिस्चार्ज का समय करीब आया तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और अल्मारी में से कॉण्डोम निकालकर अपने लण्ड पर चढ़ा लिया.

बेड पर आया तो सितारा खिसक गई.

“क्या हुआ?”
“अब मैं करूँगी, तुम लेटो.”

मैं लेट गया तो सितारा आई और मेरे लण्ड व गोटियों पर हाथ फेरने लगी, फिर मेरी गोटियों पर जीभ फेरी और मेरा लण्ड चूसने लगी.

सितारा के चूसने से लण्ड मूसल की तरह कड़क हो गया तो सितारा मेरी जाँघों पर ऐसे चढ़ी जैसे घुड़सवारी कर रही हो.

उसने अपनी चूत के लब खोले और मेरे लण्ड पर बैठ गई. पूरा लण्ड अपनी चूत में लेकर सितारा ने घोड़ा दौड़ा दिया.
वो उचकती तो उसके चूचे उछलते.

मैंने कहा- एक पर्सनल सवाल पूछूँ?
“हाँ, पूछो?”
“तुम अपने पति को क्यों छोड़ आई?”
“वो मेरे मतलब का नहीं था.”

“मतलब का नहीं था. मतलब?”

“मेरा मतलब … वो कुछ कर नहीं पाता था. हफ्ते दस दिन में एक बार आता था और कुण्डी खटखटाकर चला जाता था. सीधी बात यह है कि उसका छोटा सा लण्ड था, जब तक मेरी चुदास जगे, तब तक वो डिस्चार्ज हो जाता था.
दरअसल शादी से पहले मेरा एक बॉयफ्रेंड था, आकाश. वो मुझे खूब चोदता था. मेरी और भी सहेलियों के पास बॉयफ्रेंड थे, सब चुदवाती थीं.
मैंने अपनी सहेलियों को आकाश के लंड के बारे में बता रखा था और उसकी फोटो भी दिखायी थी.
सब मुझसे अक्सर कहती थीं कि तू बहुत किस्मत वाली है जो तेरा बॉयफ्रेंड का लण्ड बहुत बड़ा है.
इसका यकीन मुझे शादी के बाद हुआ, जब देखा कि संजय का लण्ड आकाश से करीब आधा है.
तुम्हारे निमंत्रण को मैंने इसीलिए स्वीकार किया कि विनीता मैम भी फ्री पीरियड में कई बार जिक्र करती थीं कि हमारे डॉक्टर साहब चढ़ जायें तो फिर उतरते ही नहीं, हफ्ते में चार बार चढ़ने न दो तो मुँह फुला लेंगे और चढ़ा लो तो कमर के बल निकाल देंगे.
मुझे ऐसा ही मजबूत साथी चाहिए था.”

“तुम हफ्ते में कितनी बार चुदवाना चाहती हो?”
“मैं तो दिन में चार बार चुदवा लूँ, मौका तो मिले.”
“मिलेगा, सितारा. मौका मिलेगा.”

उस दिन से जब भी मौका मिलता मैं सितारा को अपने फ्लैट पर ले आता.

एक बार स्कूल में 15 दिन की छुट्टियां हुईं और विनीता अपने मायके चली गई तो सितारा और मेरी मौज हो गई.

उसी दौरान बातों बातों में पता चला कि सितारा के भाई की शादी करीब आठ साल पहले हुई थी और अभी तक कोई बच्चा नहीं है इसलिए सितारा की भाभी कविता काफी परेशान रहती है.

मैंने सेक्सी स्कूल टीचर सितारा से कहा- कविता को क्लीनिक पर लेकर आओ, ईश्वर चाहेंगे तो कृपा जरूर होगी.

मेरे लण्ड पर उछलते उछलते सितारा थक गई तो मैंने उसे घोड़ी बना दिया.
घोड़ी बनी सितारा वास्तव में अरबी घोड़ी की तरह खड़ी थी. सितारा के पीछे आकर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला तो वो अपने चूतड़ आगे पीछे करने लगी.

मेरे लण्ड का सुपारा अब फूलने लगा था जो इस बात का प्रतीक था मेरी पिचकारी छूटने वाली है.
लण्ड से पिचकारी छूटने के बाद सितारा निढाल होकर बेड पर पसर गई.

करीब एक हफ्ते बाद सितारा अपनी भाभी कविता को लेकर मेरे क्लीनिक पर आई. इसकी चर्चा अगली कहानी में करूंगा.

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