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नमस्कार दोस्तो, कामुक्ताज डॉट कॉम पर यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है। अगर कोई ग़लती हो तो माफ कर दीजियेगा।
सबसे पहले दोस्तो, मैं अपना परिचय देना चाहूँगा। मेरा नाम राहुल है, मैं रांची में रहता हूँ और एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ, यह कहानी तीन महीने पुरानी है। जब मैं जॉब की तलाश में था और घर पर ही रहता था। मैं घर पर बैठे-बैठे बोर हो रहा था. तब मेरे एक दोस्त ने बताया कि मैं खाली टाइम पर ट्यूशन पढ़ाया करूं जिससे मेरा टाइम पास भी हो जाएगा और कुछ पैसे भी आ जाएंगे।
उसके दूसरे दिन मेरे दोस्त ने बताया कि उसके एक जान-पहचान वाले को होम ट्यूटर की जरूरत है और मुझे वहां जाने के लिए बोला और वहाँ का पता दे दिया. उसने मुझसे अगले दिन पहुंचने के लिए बोल दिया।
अगले दिन मैं शाम 5 बजे उनके यहाँ पहुंच गया, घर दिखने में बहुत अच्छा था। दरवाज़े पर पहुंच कर मैंने डोर बेल बजाई और कुछ देर में दरवाजा खुला. दरवाजा खुलते ही एक 26-27 साल की बहुत ही खूबसूरत औरत मेरे सामने खड़ी थी जिसको देख कर मैं कहीं खो सा गया.
तभी एक सुरीली आवाज मेरे कानों में पड़ी- क्या काम है?
मैंने अपना परिचय दिया तो उन्होंने मुझे अंदर आने को बोला और सोफे पर बैठ कर इंतजार करने के लिए कहा. मुझे बैठा कर वह घर में अंदर की तरफ चली गई.
मैं यहाँ-वहाँ उनके घर को देखने लगा. काफी आलीशान घर था और घर में काफी अच्छा साज-ओ-सामान था. वह शायद पानी लाने के लिए किचन की ओर गई हुई थी। उसको देख कर मेरा दिमाग कहीं खो सा गया था. उसने साड़ी पहनी हुई थी. वो साड़ी में बहुत हॉट लग रही थी. उसका साइज़ 34-28-36 होगा। उसको देख कर ही चोदने का मन करने लगा। मगर आज तो मेरा पहला ही दिन था. मैं इस तरह की कोई हरकत उसको नहीं दिखाना चाह रहा था कि जिससे उससे शक हो जाये कि मेरी नजर उसके बदन पर है.
वो पानी ले कर आई और मेरे सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी और मेरे बारे में पूछने लगी. हम दोनों में कुछ बातें हुईं. उसके बाद उसने अपने बेटे अंकित के बारे में बताया जिसको मुझे पढ़ाना था. वो पहली क्लास में पढ़ता था। मैंने उनको अपनी फीस बताई और यह भी बता दिया कि मैं किस समय उसके बेटे को ट्यूशन पढ़ाने के लिए आया करूंगा. अपनी फीस और टाइमिंग बता कर वहाँ से मैं वापस अपने रूम पर आ गया.
उस रात मैं उस भाभी के बारे में ही सोचता रहा. बार-बार उसके बारे में सोच कर मेरा लंड खड़ा हो जा रहा था और मैंने अपने लंड को शांत करने की कोशिश की. मगर मेरा लंड नीचे बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था. मैंने उसको हिलाया, सहलाया और फिर अपने हाथ में लेकर मुट्ठ मारनी शुरू कर दी. मैंने कुछ देर तक अपने लंड को हिलाया और फिर जोर से मुट्ठ मारते हुए वीर्य निकाल दिया. उसके बाद कहीं जाकर मेरा लंड नीचे बैठा. फिर मुझे कब नींद लग गयी पता ही नहीं चला।
अगले दिन मैं बताये हुए टाइम पर वहां पहुच गया. जब मैं अंदर गया तो सेक्सी भाभी ने नाइटी पहन रखी थी जो हल्की पारदर्शी थी जिससे कि ब्रा उसके अंदर दिखाई पड़ रही थी। फिर मैं अंकित को सोफे पर ही बैठा कर पढ़ाने लगा और भाभी भी पांच मिनट के बाद हम दोनों के सामने ही आकर बैठ गई. मैं अंकित को पढ़ा रहा था और भाभी मोबाइल पर कुछ देखने लगी। वो नाइटी में और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी क्योंकि नाइटी डीप गले वाली थी.
नाइटी के अंदर उसके चूचों की दरार मेरा ध्यान भटकाने लगी थी. मेरा ध्यान उसके बेटे को पढ़ाने में कम और उसके मम्मों पर ज्यादा था. ऐसे ही नजरों के खेल में देखते ही देखते मेरा लंड खड़ा हो गया था। मेरा मन कर रहा था कि अभी उठ कर जाऊं और उसकी चूचियों को दबा दूं।
तभी उसने मुझे मेरी हरकत के साथ पकड़ लिया कि मैं उसकी चूचियों को देख रहा हूँ. मगर उसने एक हल्की सी स्माइल दी और फिर से मोबाइल में देखने लगी. अब तो हर दिन यही हो रहा था. मैं उनको जब भी देखता वो स्माइल कर देती और कभी-कभी पानी का गिलास या चाय का कप लेते टाइम मैं उनको छू भी लेता था। उस सेक्सी भाभी को छूते ही मेरी पूरी बॉडी में करंट सा दौड़ जाता था।
एक दिन ऐसे ही मैं पढ़ाने के लिए गया और वहाँ जा कर डोर बेल बजाई तो काफी देर तक किसी ने दरवाजा नहीं खोला. मैंने फिर से तीन-चार बार बेल बजाई मगर दरवाजा कोई खोल ही नहीं रहा था. मैं बार-बार मैं बेल बजा रहा था मगर अभी तक दरवाजा नहीं खुला था. मैं पांच मिनट ऐसे ही खड़ा रहा उसके घर के बाहर. अचानक भाभी ने दरवाजा खोला. मैंने देखा तो उनकी तबियत ठीक नहीं लग रही थी.
घर के अंदर जाकर मैंने उनकी तबियत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उनकी कमर में मोच आ गयी है जिससे वो चल नहीं पा रही है। उस टाइम अंकित बाहर खेलने गया हुआ था।
मैंने उनसे पूछा- भाभी, आपने कोई दवाई ली या नहीं?
तो भाभी कहने लगी- पेन किलर गोली तो मैंने ले ली है.
भाभी बोली- आप मेरी इतनी फिक्र क्यों कर रहे हो, मैं ठीक हो जाऊंगी.
मैंने कहा- आप को इस हालत में देख कर अच्छा नहीं लग रहा.
वह बोली- आप परेशान मत होइये, मैं ठीक हो जाऊंगी.
कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे. अंकित तो घर में था नहीं और भाभी शायद सोच रही थी मैं अब वापस चला जाऊंगा. मगर मैं वहीं पर बैठा रहा.
भाभी बोली- कुछ और बात करना चाहते हो क्या आप?
मैंने कहा- नहीं, कोई बात नहीं है.
भाभी बोली- नहीं कुछ तो बात है आपके मन में.
मैंने कहा- कुछ नहीं है.
वह बोली- आप ज्यादा भोले न बनिए मैं सब जानती हूँ क्या बात है.
मैंने कहा- तो आप ही बता दो कि क्या बात है?
भाभी बोली- आप मुझे पसंद करते हो न?
मैं भाभी की इस पहल पर थोड़ा घबरा सा गया मगर फिर सोचा कि इससे अच्छा मौका फिर दोबारा नहीं मिलेगा अपने दिल की बात कहने का.
मैंने कहा- जी, मैं करता तो हूँ. मगर आप का तो पता नहीं.
भाभी बोली- मैं भी आपको पसंद करती हूँ.
भाभी के यह बोलते ही मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई. मुझे क्लीयर लाइन मिल गई.
मैं उठ कर उनके पास गया और उनकी बगल में बैठ गया. मैंने पहले उनका हाथ पकड़ा और उनको देखने लगा. देखते-देखते मैंने उनके होंठों पर किस कर दिया. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी सुंदर भाभी के इतने करीब कभी आ भी पाऊंगा। दो मिनट तक किस करने के बाद मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया और उनके गले पर चूमने लगा.
भाभी भी मेरा साथ देने लगी और मैंने उनके गले को चूमते हुए अपने हाथों को पीछे ले जाकर उनकी गांड को दबाना शुरू कर दिया. उनके चूतड़ों को हाथ में लेकर भींचने लगा. भाभी अब और ज्यादा गर्म होने लगी थी. वह भी मुझे जोर से किस करने लगी.
उसके बाद मैंने हाथों को आगे लाकर उनकी एक चूची को एक हाथ से दबाना शुरू कर दिया और दूसरा हाथ उनके सिर के पीछे ले जाकर उनको अपनी तरफ खींचते हुए किस करने लगा. उनकी चूची पर मेरे हाथ को ऐसा लग रहा था कि मैं रूई का गोला दबा रहा हूँ. उसके बाद मैंने उनको सोफे पर पीछे की तरफ आराम से लेटा दिया और भाभी की नाइटी को ऊपर कर दिया.
मैं भाभी के पेट पर किस करने लगा. भाभी मेरे होंठों की छुअन से तड़पने लगी. मेरे हाथ उनकी ब्रा पर पहुंच चुके थे और भाभी अजीब सी आह्ह … ऊह्ह की गर्म आवाजें निकालने लगी थी.
कुछ देर तक हम दोनों वहीं सोफे पर लेट कर एक दूसरे के बदन को छूते रहे और चूमते रहे. फिर भाभी ने मुझे अंदर बेडरूम में चलने के लिए बोला. मैं भाभी को गोद में उठा कर बेडरूम में ले गया. मैंने बेड पर लेटा कर भाभी की नाइटी को ऊपर कर दिया और भाभी के सेक्सी जिस्म पर टूट पड़ा. भाभी ने कुछ ही पल में नाइटी उतार फेंकी. पैंटी के नीचे भाभी ने गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी और उसका दूध सा गोरा बदन ऐसे लग रहा था जैसे पानी में कमल खिला हुआ है.
उसके बाद मैंने अपना हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा को खोल दिया. ब्रा खुलते ही उसकी चूचियां उछल कर बाहर आ गईं. मैं उसकी एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा. दूसरी चूची को दूसरे हाथ से दबाने लगा. वह मेरी हर हरकत पर और ज्यादा गर्म होती जा रही थी. उसने कुछ देर के बाद मेरे सिर के बालों में हाथ फिराना शुरू कर दिया और मेरे बालों को सहलाते हुए मेरा सिर अपनी चूचियों पर दबाने लगी- आह्ह … राहुल, मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ. ओह्ह … करते रहो.
भाभी अपने मुंह से कुछ इस तरह से बड़बड़ाने लगी.
मैं धीरे-धीरे उसके पेट को चूमते हुए उसकी पैंटी तक पहुंच गया. पैंटी के ऊपर से ही चूत को किस कर दिया और साथ ही उसकी जांघों पर भी किस करता रहा. पूरी पैंटी गीली सी लग रही थी. भाभी की चूत ने शायद रस निकालना शुरू कर दिया था. वह बिन पानी की मछली की तरह छटपटा कर तड़पने लगी थी.
जब मैंने धीरे से उसकी पैंटी को उतारा तो उसकी चूत मेरी आंखों के सामने आ गई. उसने अपनी चूत अच्छी तरह से शेव करके बिल्कुल साफ की हुई थी. उसकी चूत को देख कर ऐसा लग रहा था कि यह किसी कम उम्र की लड़की की चूत है. कहीं से भी नहीं लग रहा था कि उसने इस चूत से एक बच्चे को निकाला हुआ है.
मैं बिना देरी किये उसकी चूत पर टूट पड़ा और तेजी के साथ उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा. मेरी जीभ पूरी कोशिश कर रही थी कि उसकी चूत की भट्टी में अंदर तक जाकर उसको और ज्यादा गर्म कर दे. वह पागल होने लगी और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी. दो मिनट बाद ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. वह झड़ गयी थी.
वह कुछ देर के बाद शांत हुई और बोली- राहुल, इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया. मेरे पति तो मुझे बिना गर्म किये हुए ही लंड अंदर डाल देते हैं. उनका लंड भी ज्यादा बड़ा नहीं है. तीन या चार मिनट में ही उनका वीर्य निकल जाता है. मैं तो उनसे कभी भी इतनी संतुष्ट नहीं हो पाई हूँ जितना तुमने मुझे बिना लंड डाले ही कर दिया.
मैंने कहा- आप चिंता मत करो भाभी, अब मैं हूँ न आपको खुश करने के लिए.
यह कहकर मैंने अपने कपड़े निकाल दिये. जब मैं कपड़े उतार रहा था तो वह मुझे देख रही थी. मैंने अपनी शर्ट उतारी और फिर बनियान. उसके बाद मैंने अपनी पैंट खोली और निकाल कर एक तरफ नीचे फेंक दी. मैंने नीचे देखा तो मेरे लंड ने चिपचिपा पदार्थ छोड़ कर मेरी फ्रेंची को गीला कर दिया था.
वह मेरे अंडरवियर की तरफ देख रही थी. मेरा लंड अभी आधी सोई हुई अवस्था में ही था मगर उसका साइज मेरी फ्रेंची में साफ-साफ पता चल रहा था. वह मेरे लंड की तरफ देख कर मुस्करा रही थी. मैं आकर उसकी बगल में लेट गया.
मैंने दोबारा से उसको चूमना शुरू कर दिया. अब की बार भाभी अपने हाथ को नीचे की तरफ लाकर मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी. कुछ ही देर में वो फिर से गर्म हो गई और मेरा लंड भी मेरी फ्रेंची में पूरी तरह से तन गया था. मैंने उसको 69 की पोजीशन में आने के लिए कहा.
उठ कर मैं उसके मुंह की तरफ अपनी गांड को ले गया और खुद नीचे उसकी चूत की तरफ आ गया. उसने मेरे खड़े हुए लंड पर से मेरे अंडरवियर को अलग कर दिया और उसको निकाल कर एक तरफ डाल दिया. मैंने उसकी चूत पर होंठ रख दिये तो मेरे लंड ने एक जोर का झटका दे दिया. झटका देने के तुरंत बाद भाभी ने मेरे गीले टोपे वाले लंड को अपने मुंह में भर लिया और अपनी जीभ लगाकर लंड का स्वाद लेते हुए चूसने लगी. मैं तो जन्नत में पहुंच गया.
एक तरफ भाभी की चूत मेरे होंठों पर थी और दूसरी तरफ भाभी मेरे लंड को चूस कर मुझे मजा दे रही थी. मैंने धीरे-धीरे भाभी के मुंह की तरफ गांड को धकेलते हुए उसके मुंह की चुदाई करनी शुरू कर दी. कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मैंने भाभी को लंड बाहर निकालने का इशारा कर दिया. भाभी के मुंह की चुसाई से मैं जल्दी ही झड़ जाता अगर लंड को बाहर नहीं निकालता. इसलिए मैंने मौके की नजाकत को देखते हुए अपना लंड उनके मुंह से बाहर निकलवा दिया. मेरा लंड भाभी के थूक की वजह से पूरा का पूरा ऊपर से नीचे तक गीला हो चुका था.
उसके बाद मैंने भाभी को पीठ के बल लेटा दिया और उसकी चूत पर किस करते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर रख दिया. मैं भाभी के होंठों को चूसने लगा और साथ में उसके चूचों को भी हाथों से दबाने लगा. मेरा लंड भाभी की चूत में घुसने के लिए तैयार था. चूत भी चिकनी थी और भाभी ने अपने मुंह में लेकर मेरे लंड को भी पूरी तरह से चिकना और गीला कर दिया था.
भाभी बोली- आराम से करना राहुल, मैंने एक महीने से सेक्स नहीं किया है. मेरे पति का लंड तो तुम्हारे लंड से बहुत छोटा है.
मैंने कहा- चिंता मत करो जान, मैं तुमको थोड़ा सा भी दर्द नहीं होने दूंगा.
मैंने लंड को चूत पर अच्छी तरह से सेट कर दिया और भाभी की चूत में एक धक्का लगाते हुए भाभी के ऊपर लेट गया. लंड दो इंच ही अंदर गया होगा कि उम्म्ह… अहह… हय… याह… भाभी दर्द से कराहने लगी. मैंने लंड को वहीं पर रोक दिया और भाभी के होंठों को चूसने लगा. एक मिनट के बाद भाभी जब नॉर्मल हुई तो मैंने दूसरा धक्का दिया और पूरा का पूरा लंड भाभी की चूत में उतार दिया.
भाभी के नाखून मेरी पीठ को आकर खरोंचने लगे तो मैंने तुरंत उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये. कुछ देर के बाद भाभी खुद ही अपनी गांड को नीचे से उठा कर मेरे लंड की तरफ धकेलने लगी.
मैं समझ गया कि भाभी अब चुदाई करवाने के लिए तैयार है. मैंने धीरे से भाभी की चूत में अपने लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.
अब मैं उसको जोर-जोर से चोदने लगा और वो भी अजीब-अजीब आवाजें अपने मुंह से निकालने लगी, बोलने लगी- बहुत अच्छा लग रहा है जान … मुझे ऐसे ही चोदते रहो … मैं तुम्हारी रानी हूं।
फिर मैंने उसको उठा दिया और घोड़ी बनने के लिए कहा. मैंने उसकी गांड पर हाथ फेरा और पीछे से लंड को उसकी चूत पर लगा दिया. उसकी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और लंड को अंदर धकेल दिया. मैं सेक्सी गांड वाली भाभी को पीछे से चोदने लगा. कुछ देर के बाद मैंने हाथों को उसकी गांड से हटा लिया और आगे से उसकी चूचियों को पकड़ लिया और उसकी जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी.
भाभी इस बीच में झड़ चुकी थी. मैं भी कुछ ही पल के बाद झड़ने वाला था इसलिए मैंने उसकी चूत में धक्कों की स्पीड और ज्यादा तेज कर दी. वह दर्द से चिल्लाने लगी. उसकी दर्द भरी सिसकारियों के कारण मैं भी तीन-चार धक्कों के बाद ही उसकी चूत में झड़ने लगा. कुछ देर तक हम दोनों पड़े रहे वहीं बेड पर और एक-दूसरे को किस करते रहे.
उसके बाद दरवाजे की बेल बजी तो भाभी ने उठ कर तुरंत नाइटी पहन ली और अपने बालों को ठीक करती हुई बेडरूम से बाहर निकल गई. मैंने भी जल्दी से अपने अंडरवियर को पहना और फिर पैंट शर्ट डालकर कमरे से बाहर निकल कर आ गया. मेरे बाहर आने तक उनका बेटा अंकित घर में दाखिल हो चुका था.
उसके बाद दो महीने तक सेक्सी भाभी के साथ मेरा चुदाई का खेल चलता रहा.
कुछ ही दिन के बाद मेरी जॉब लग गई और मेरा उससे मिलना भी बंद हो गया. एक दिन जब छुट्टी वाले दिन भाभी के घर पर उनसे मिलने के लिये गया तो पता लगा कि वह उस घर को छोड़कर चले गये हैं. पूछने पर पता चला कि उसके पति का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया था. मैं थोड़ा सा उदास हुआ मगर फिर वापस आ गया. मुझे आज भी उस सुंदर और सेक्सी भाभी की बहुत याद आती है. इसीलिए मैं आपको यह कहानी बताई है.
दोस्तो, यह थी मेरी आपबीती सच्ची घटना. आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी आप मुझे बताना जरूर.