ओल्ड लेडी हॉट सेक्स मतलब पुरानी शराब का नशा. ऑनलाइन मैट्रीमोनी साइट पर मेरी दोस्ती एक 58 साल की लेडी से हुई. इस उम्र में भी वह सेक्स की इच्छा रखती थी.
दोस्तो, मेरा नाम दीपक है और मैं चौंतीस वर्ष का हूँ, इस वक्त मैं अहमदाबाद में रहता हूँ.
मेरी लम्बाई पाँच फुट दस इंच है।
मैं दिखने मैं दुबला हूँ पर अच्छा दीखता हूँ और अच्छे परिवार से ताल्लुक रखता हूँ।
वैसे मेरा मानना है कि यदि पुरुष सेक्स के सारे तरीके जानता है तो लिंग बड़ा हो या मध्यम आकार का कोई फर्क नहीं पड़ता. फिर भी मेरे लिंग की लम्बाई औसत से अधिक है और वो सही अनुपात में उतना ही मोटा है।
दोस्तो, यह कहानी जो मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ यह मेरे जीवन की हाल ही में घटी Old Lady Hot Sex एक सच्ची घटना पर आधारित है जिसमे मैंने बस जगह और पात्रों के नाम बदले हैं।
मैं एक वर्ष पूर्व दिल्ली से अहमदाबाद आ गया था.
शुरुआत के दिनों में मेरी गर्लफ्रेंड भी मेरे साथ आयी पर वह दो महीने बाद उसके घर की ज्यादा दूरी की वजह से वापिस दिल्ली चली गयी।
मैं यहाँ अकेला रहता था.
गर्लफ्रेंड के जाने के बाद मुझे रोज मिलने वाला सेक्स ख़त्म हो चुका था और मेरी परेशानी यह है कि करियर के उतार चढ़ाव के बीच मैं शादी नहीं कर सकता और यूं ही किसी के साथ भी सेक्स नहीं करना चाहता.
इसका कारण आप कहानी पढ़ते पढ़ते समझ जायेंगे.
मेरी कहानी की नायिका है देविका जो रहती तो अपने बच्चों के साथ सूरत में है पर यहाँ उसका आना जाना है।
देविका को पहली बार मैंने एक ऑनलाइन मैट्रीमोनी साइट पर देखा.
उसकी उम्र 58 वर्ष की थी. वह गोरी थी और उसके चेहरे से उसकी उम्र का अनुमान भी लगाया जा सकता था।
देविका की लम्बाई मुझसे पाँच इंच कम थी।
जिस वक्त मैं उसकी प्रोफाइल देख रहा था, उस वक्त रात के साढ़े बारह बज रहे थे और उसकी तस्वीर देखते ही मन में एक सवाल हुआ कि क्या इस उम्र में सेक्स की इच्छा होती है.
जिसका जवाब मुझे मिल गया और कहानी के अंत होते होते आपको भी मिल जाएगा.
मैंने देविका को साइट पर मैसेज किया और मात्र दस मिनट के भीतर ही उसका रिप्लाई भी आया।
जिस वक्त उसका रिप्लाई आया उस वक्त मैं उसकी ही फोटो देख कर लंड सहला रहा था।
जब मैंने उससे बात शुरू की तो मैंने सीधे कहा- शायद आपकी और मेरी उम्र में इतना फर्क है कि हम शादी तो नहीं कर पाएंगे, और शायद हमबिस्तर होने के लिए आपके अंदर इतनी इच्छा बची न हो।
पर बड़े नाटकीय ढंग से हम दोनों के बीच धीरे धीरे सेक्स की बाते होने लगी।
मैं अलग अलग तरीके बताने लगा कि मैं किस प्रकार सेक्स करना चाहता हूँ, उसको मैंने अपने लिंग की तस्वीर भेजी।
वह देख कर दंग हो गयी और जबसे उसने मेरा लिंग देखा, वह हर बार मिलने की इच्छा जाहिर करने लगी.
इच्छा तो मेरी भी उफान मार रही थी पर इतना बजट नहीं था कि सूरत जाकर वहां अच्छे होटल में रूम ले पाऊं क्योंकि वह छोटे मोटे होटल में रहने को तैयार नहीं थी।
एक बार मैं बाथरूम में नहाने गया.
उस वक्त मैंने उसको वीडियो कॉल किया.
और जैसे ही वह सामने आयी, मेरा लंड धीरे धीरे अपने सुन्दर रूप की तरफ बढ़ता जा रहा था.
फिर मैंने फ़ोन में कॉल चालू रखकर अपने लंड में साबुन लगाना शुरू किया।
यह देखते ही उसे पता नहीं क्या हुआ, उसने फ़ोन काट दिया।
घबराहट में मैंने अपने शरीर पर बिना पानी डाले साबुन को तौलिये से साफ़ किया और हाथ सुखा कर फ़ोन उठाया और उसको फ़ोन किया.
देविका ने फ़ोन उठाया और जो कहा, उसने मुझे सातवें आसमान पर चढ़ा दिया.
उसने कहा- दीपक, तुम जिस तरह से मुझे पागल कर रहे हो, मैं नहीं रह पा रही. मैं आज रात को अहमदाबाद के लिए निकल रही हूँ. कल हम साथ वक्त बिता सकते हैं?
“क्यों नहीं देविका, मैं भी पागल हुआ जा रहा हूँ. कल आ जाओ. पर अभी तुम वीडियो पर आओ मुझे ठंडा करो!”
उसके आने की खबर पाकर मेरा लंड और ज्यादा उफान मारने लगा.
और फिर वीडियो काल पर आकर उसका चेहरा देख देख कर मैंने मुट्ठ मारी।
वह रात को बस में बैठी तो मुझे कॉल किया, देर रात तक हमारी बातें हुईं.
उसने मुझे कहा कि उसने होटल बुक करवा दिया है ऑनलाइन!
बात करते करते पता नहीं कब मुझे नींद आ गयी और मैं फ़ोन ऑन करके ही सो गया.
अगली सुबह मैं उसकी बताई हुई जगह पर उसे लेने पंहुचा।
सुबह छह बजे के आस पास उसकी बस आयी और मैं दरवाजे के पास उतरने वाले लोगों को गौर से देखते हुआ अपनी देविका को ढूंढ़ने लगा।
वह जैसे ही बस से बाहर आयी, मैंने उसे पहचान लिया.
देविका बला की खूबसूरत लग रही थी.
या यूं कहो कि मेरी भावनाओं को वह बला कि खूबसूरत लग रही थी.
सुबह के वक्त शायद अपने डार्क सर्कल्स को छुपाने के लिए उसने गॉगल्स पहने थे.
पर गोरी सूरत पर हल्का नीला चश्मा सच में बहुत अच्छा लग रहा था।
उसकी टीशर्ट से बाहर झांकते उसके बूब्स 34 के होंगे और लोवर से लिपटी उसकी चूत और गांड कमाल कर रही थी।
उसने शालीनता के साथ मुझसे हाथ मिलाया और मुझे एक पाँच सितारा होटल का नाम लेकर उसमें चलने के लिए कहा।
दोस्तो, मेरी सालों की चाहत थी पाँच सितारा होटल में किसी के साथ सेक्स करना जो सिर्फ मेरी हो और हर किसी से न चुदवाती हो।
भले ही देविका उम्र में अधिक थी, पर उस वक्त वह सिर्फ मेरी थी और मैं उसका।
मैंने ऑनलाइन टैक्सी बुलाई और होटल की तरफ चल पड़ा।
मुझे पता था कि आज हॉस्टल नहीं होटल में रुकना है तो मैं अपने साथ एक बैग और उसमें अपना सामान ले आया था।
हम जैस ही होटल के कमरे में पहुंचे, मैंने बिना देर किये देविका को अपनी बाहों में भर लिया.
पर उसने मुझे रोक दिया और कहा- दीपक, उतावले मत हो. आज मैं तुम्हारी ही हूँ. जी भर के प्यार करना मुझे! पर पहले मैं फ्रेश हो जाऊं!
“यार मैं भी … चलो न साथ फ्रेश होते हैं!”
हम में यह तो पहले से ही तय था कि हमने सेक्स करना है.
बस कैसे करना है, यह तय करना था.
इसलिए वह भी मान गयी।
फिर हमने पहले चाय का आर्डर दिया और एक दूसरे से बातें करने लगे.
चाय आने तक बस हम दोनों अपनी अपनी ज़िन्दगी की बात करने लगे।
शायद सिर्फ शरीर ही नहीं, भावनात्मक रूप से भी हम दोनों एक दूसरे से जुड़ते जा रहे थे।
हम दोनों ने चाय ख़त्म की तो मैं बाथरूम में चला गया और अपनी काली बनियान और फ्रेंची में तैयार था।
देविका उन्हीं कपड़ों में आयी और आते ही मुझे देखने लगी.
मैं बंद शावर के नीचे खड़ा था और देविका मुझसे एक हाथ दूर थी.
मैंने हाथ बढ़ा कर देविका को अपनी तरफ खींच लिया.
उसके बूब्स मेरी छाती से लगे थे और सर मेरे कंधे पर था.
मैंने आँखें बंद कर ली थी और पहली बार हमारा शरीर एक दूसरे को महसूस कर रहा था.
कुछ देर बाद मैंने शावर चला दिया.
देविका बिलकुल भी इसके लिए तैयार नहीं थी, उसने छूटना चाहा पर मैंने उसको खुद में समाये रखा।
हम दोनों कपड़ों में गीले हो चुके थे और वैसे ही भीगते भीगते एक दूसरे से लिपटे हुए थे।
मैं सुबह से इलाइची खा रहा था … शायद इस पल के लिए तैयारी कर रहा था.
मैंने देविका का चेहरा अपने एक हाथ से ऊपर किया उसके चेहरे से चलते फव्वारे का पानी टपक रहा था.
उसके होंठ भी भीगे थे.
मैं जब उसके होंठों की तरफ अपने होंठ ले जा रहा था तो मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं.
अचानक से उसके होंठों के पास होने का अहसास हुआ तो पहले मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली.
मुझे इलाइची की खुशबू महसूस हो रही थी।
मैंने धीरे से अपनी जीभ उसके होंठों में लगाई.
वह हल्का सा काँप रही थी.
मुझे लगा कि शायद ठन्डे पानी की वजह से!
पर मैंने शावर चालू ही रखा और धीरे धीरे उसके होंठों से अपने होंठ छुये.
उधर मेरा हाथ उसकी गीली टीशर्ट के अंदर उसके बूब्स को ढूंढ रहा था.
बूब्स का निचला हिस्सा मेरे हाथ से छुआ.
यह अनुभव ही अलग था.
उसके होंठ अब पूरी तरह मेरे होंठों को चूस रहे थे.
अब उसकी कम्पकपाहट खत्म हो चुकी थी.
मैंने उससे खुद को धीरे से अलग किया.
उसकी सफ़ेद टीशर्ट पानी से पारदर्शी हो गयी थी जिससे देविका के सुडौल स्तन साफ़ साफ़ दिख रहे थे.
मैंने देविका की टीशर्ट उतारने की कोशिश की तो देविका ने दोनों हाथ ऊपर करके मेरा साथ दिया।
अब उसके दोनों गोरे और भारी भरकम स्तन और उन पर गहरे रंग के गोल निप्पल देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
और स्तनों के ऊपर फव्वारे का बहता पानी मुझे मेरा होश खोने पर मजबूर कर रहा था.
मैंने खुद को भी गीली बनियान से आजाद किया और फिर देविका को खुद में समेट लिया.
हम दोनों ऊपर से पूरे नंगे थे.
मेरी छाती पर उसके पानी से भीगते बूब्स का अहसास बहुत ख़ास था।
मैंने अपना बायां हाथ उसके एक स्तन पर रखा और उसके कान पर अपने होंठ रखे और एक तरफ उसके स्तन को दबाना शुरू किया और दूसरी तरफ उसके कान को धीरे धीरे चूसना शुरू किया।
मेरा हाथ भी अलग अलग तरह से उसके स्तन को दबा रहा था.
उसके निप्पलों को भी बीच बीच में मैं मसल रहा था।
दूसरी तरफ देविका की साँसें तेज़ होती जा रही थीं।
जैसे ही मैंने उसके कान से होते हुए अपनी जीभ को उसकी गर्दन पर रखा उसने मुझे कस कर पकड़ लिया.
उसकी गर्दन के हर हिस्से को मैं चूम रहा था, चूस रहा था.
उसका आधा शरीर मुझसे सटा था और एक हाथ उसके स्तन से खेल रहा था।
मैंने आंखें खोलकर देखा, देविका की दोनों आँखें बंद थीं और वह मुझमें खोयी हुई थी।
उसके चेहरे का सकून देख कर मेरे अंदर और ज्यादा ललक बढ़ गयी थी.
मैंने शावर बंद किया और उसके दोनों हाथों को ऊपर उठा कर उसकी बगल को चाटना शुरू किया.
मेरे अंतर्मन से आवाज निकली- आह!
कितनी मदहोश करने वाली खुशबू थी उसके पसीने और डिओडरंट की!
मैं उसकी बगल चूसते चूसते जीभ को उसके बूब्स की तरफ ले जा रहा था.
और जब मैं ऐसा कर रहा था तो देविका की संतुष्टि उसके भावों और मुँह से निकलती आवाजें मुझे और ज्यादा पागल कर रही थीं.
उसकी बगल अच्छी तरह चूसने के बाद मैंने उसके बूब्स चूसने शुरू किये.
मैं जितना बड़ा मुँह खोल कर उनको चूस सकता था, मुँह को उतना बड़ा फैलाया और कभी छोटा करके निप्पल को चूस रहा था.
उस वक्त मुझे बहुत आनंद आ रहा था और मैं जीवन में चल रही हर परेशानी को भूलकर देविका में खोता जा रहा था.
अब मैंने देविका को लेटने का इशारा किया.
वह बिना विरोध करे बाथरूम के फर्श में लेट गयी.
उसके लेटते ही मैंने उसको लोअर से जुदा कर दिया और अपने लंड को भी फ्रेंची से आज़ाद कर दिया.
मेरा लंड बहुत ही गज़ब तना हुआ था और जुबान भी चोदने के मामले में लंड को पूरी टक्कर देना चाहती थी।
मैंने देविका को गीले फर्श में लेटा दिया.
वह भी गीले फर्श पर मेरे सामने मानो नयी नयी जवान हुई लड़की बन गयी थी!
बिस्तर पर जाने की जल्दी न उसे थी न मुझे!
शब्दों का कोई आदान प्रदान नहीं था.
हम दोनों एक दूसरे में बस इतना खो गए थे।
मैं और मेरे सामने आँखें बंद कर अपनी टांगों को फैलाये देविका … उसकी गोरी जाँघों के बीच बिना बालों वाली भूरी चूत!
अपने सर को मैं उसकी जाँघों से होता हुआ ले जा रहा था.
मेरी आंखें अपने आप बंद हो गयी थीं और मैं देविका की खुशबू को महसूस करते उसकी चूत की तरफ जा रहा था।
जैसे ही मैं घुटनों के ऊपर अपने सर को ले जा रहा था, देविका ने दोनों टांगों के बीच मेरा सर दबा दिया.
उस वक्त मैं उसमें इतना खो गया था कि मेरे होंठ खुलकर उसकी जाँघों को चूमने लगे.
वह चुम्बन जल्द ही गर्म साँसों से भरा चूषण बन गया.
अब जहाँ जहाँ मैं चूसना चाहता, वहां वहां से वह टांगें खोल देती और फिर जकड़ लेती.
ऐसा धीरे धीरे तब तक चलता रहा जब तक मैं उसकी चूत के पास अपनी जीभ न ले आया.
पर जीभ लगाने से पहले मैंने उसकी चूत की वो भीनी भीनी खुशबू सूंघी.
आह!
मैंने सोचा था कि मैं धीरे धीरे उसकी चूत चाटकर उसको दीवाना बनाऊंगा.
पर मैं हार गया.
अब मुझसे कुछ भी धीरे धीरे नहीं हो पा रहा था, मेरी जुबान लंड से भी ज्यादा बेचैन हो रही थी.
मेरे हाथों ने जुबान का साथ दिया, मैंने जैसे ही उसकी चूत के दोनों बाहरी हिस्सों मैं पूरा अंगूठा रखा मेरी छुअन से वह बहुत गर्म हो गयी थी.
जैसे ही मैंने जीभ हल्की सी अंदर डाली उसने मेरे सर को जकड़ लिया।
मेरे दोनों हाथ उसकी गांड के नीचे थे, मैं पागलों की तरह उसकी चूत चाट रहा था, जीभ को वाइपर की तरह ऊपर से नीचे चला रहा था.
जीभ को जितना अंदर तक ले जा सकता था, मैं ले जा रहा था.
पर मुझे और ज्यादा अच्छी तरह चाटने का मन करता जा रहा था।
चूत चाटते चाटते मैं उसके बूब्स को भी मसल रहा था.
जो चीज़ें मैंने बिस्तर में करने की सोची थी, मैं बाथरूम में कर रहा था।
मैं उसकी चूत को और अच्छी तरह चाटना चाहता था तो मैंने सोचा कि देविका को अपने मुँह के ऊपर बैठा लूं.
यही सोचकर उसकी चूत चाटते चाटते मैं अलग होने की कोशिश कर रहा था.
पर देविका गर्दन से मुझे पकड़ कर प्यार भरी कराहों के साथ मुझे अपनी चूत की तरफ धकेल रही थी.
और जैसे वह चाहती थी, मैं वैसे ही उसे चूस रहा था।
मैंने उसे जबरन हटाया तो वह होश में आयी और बोली- दीपक, जन्नत में ले गए तुम मुझे!
मैं बोला- देविका तुम ले गयी मुझे जन्नत में … तुम्हारी चूत की खुशबू!
हम बाथ टब की तरफ गए, उसे भरने के लिए पानी खोला.
मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ था पर मैं देविका को और जंगलियों की तरह से चूसना चाहता था.
इसलिए मैंने बाथटब मैं उसकी चूत और गांड दोनों को अच्छी तरह से साफ़ करने की सोची।
पानी भरते हुए बाथ टब में बैठ गए।
वह पीठ के बल मेरे ऊपर लेट गयी मेरा लंड उसकी गांड को छू रहा था.
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था.
मैंने उसे घोड़ी बनने को बोला और मैं उसकी गांड की तरफ चला गया।
शावर जैल लेकर मैं उसकी गांड और चूत को अच्छी तरह धोने लगा, उसकी चूत और गांड को शावर जेल से मल मल के साफ़ किया।
अब मैं जो करने वाला था वह सिर्फ सपनों में ही संभव था.
अब देविका कामुक आवाजें निकाल रही थी- आह दीपक … आई लव यू! प्लीज फ़क मी!
मैं अपनी नाक और होंठ को उसकी चूत के पास ले गया.
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी गांड पर रखे और घुटनों पर बैठकर अपनी जीभ उसकी चूत से रगड़ते हुए उसकी गांड के छेद पर ले गया.
वह छिटक कर बोली- छी दीपक … वहां नहीं!
मैंने कामुकता भरी आँखों से उसको देखा, उसकी पीठ पर हाथ रखकर उसको झुकाया और उसकी गांड की तरफ सर ले जाते हुए कहा- आज कुछ छी नहीं देविका! मैं ये सब उस लड़की के साथ नहीं कर सकता जो हर दूसरे दिन नया लंड लेती हो. पर तुम्हारी खुशबू और चूत की पवित्रता … मुझे मत रोको!
कहते हुए मैंने फिर उसकी चूत, गांड चाटनी शुरू कर दी।
बाथ टब पानी से भर गया था।
मैं देविका को अपने मुँह और जीभ से झाड़ चुका था.
मेरा लंड भी उफान मार रहा था.
देविका एक बार झड़ चुकी थी इसलिए अब वह मेरे लंड से खेलना चाहती थी.
उसने पानी में समाये मेरे लंड को पकड़ा और उसको पानी के अंदर ही चूसना शुरू कर दिया.
वह साँस लेने ऊपर आती और फिर नीचे चूसती.
थोड़ी देर बाद मैं बाथटब में खड़ा हो गया और वह घुटनों के बल बैठकर मेरा लंड चूसने लगी.
वह कभी मेरे अण्डों से घसीटते हुए लंड के सुपारे तक अपनी जीभ रगड़ती हुई आती और फिर आधा लंड मुँह में लेकर आगे पीछे करती.
मैंने अपनी आंखें बंद की हुई थी.
उसका सर पकड़ कर मैं उसको तेज़ चूसने को कहने लगा.
बीच बीच में मैं उसके बूब्स भी दबा रहा था.
मेरा लंड चूसते चूसते वो तीसरी बार के लिए तैयार हो गयी.
मैंने उसको बैडरूम में चलने को कहा और उसको हग करते हुए आधे गीले पूरे नंगे हम बिस्तर पर पहुँचे.
मैंने उसको 69 में आने के लिए बोला और चेहरा ऊपर करके बिस्तर के उलटी तरफ लेट गया.
देविका बिना झिझके अपनी गांड को मेरे मुँह में रखकर मेरे लंड को चूसने लगी।
मैं देविका की गांड और चूत जमकर चाटने लगा.
मेरा लंड चोदने के लिए तैयार था और देविका भी बेताब थी, उसको भी सालों बाद लंड का सुख चाहिए था।
मैंने देविका को अपने ऊपर आने के लिए कहा.
उसने बिना देर करे ऊपर आते ही पूरा लंड अपने अंदर ले लिया.
वह दर्द से कराह रही थी पर चूत अन्दर तक से तृप्त हो रही थी।
वह चिल्लाते चिल्लाते मेरा नाम ले रही थी और धीरे धीरे उसकी स्पीड भी बढ़ रही थी.
मैं भी ओल्ड सेक्स में उसका साथ दे रहा था.
जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने उसको तेज़ी से पकड़ लिया और उसने भी मुझे तेजी से पकड़ लिया.
लंड चूत में चल रहा था. कमरा देविका की सिसकारियों से भर गया था.
कुछ देर बाद हम दोनों ही एक साथ झड़े और देविका वैसे ही मेरे ऊपर लेट गयी।
दोस्तो, उम्मीद करता हूँ आपको मेरी यह ओल्ड लेडी हॉट सेक्स की सच्ची कहानी पसंद आयी होगी.
मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा.
पर प्लीज कोई भी पाठक मुझसे देविका (बदला हुआ नाम ) के लिए मेल न करे!
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