गैर मर्दों ने दीदी की गांड फाड़ दी

Xxx बहन की गांड चुदाई का नजारा मैंने अपनी आँखों से देखा भीड़ भरी चलती बस में! मेरी सेक्सी दीदी ने खचाखच भरी बस में 3 अनजान आदमियों से अपनी गांड मरवा ली.

दोस्तो, मैं फिर से एक नई सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.

मैं आप सभी अपनी पहले वाली सेक्स कहानी
गैर मर्दों ने दीदी की चूत फाड़ दी
में अपनी दीदी के बारे में बता चुका हूँ कि वे कैसी हैं और किस तरह की खूबसूरत माल सी दिखती हैं.

सच में मेरी दीदी अब बहुत कमाल की लगने लगी हैं.
उनकी गांड अब पहले से और ज्यादा फैल गई है क्योंकि वे अब और ज्यादा ज्यादा चुदवाने लगी हैं.

वे अभी भी पहले की तरह ही एकदम चुस्त और छोटे कपड़े पहनती हैं.
टाइट कपड़ों में दीदी की गांड और भी उठी हुई दिखती है.

अब मेरी Xxx Bahan Ki Gand Chudai का मजा लीजिये.

एक दिन की बात है, मैं अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था.
खेलते वक्त मैं गिर गया और मेरे पैर में चोट लग गई.
चोट लगने की वजह से मेरे पैर में बहुत तेज दर्द होने लगा था.

इस दर्द की वजह से पापा ने गांव के डॉक्टर को बुलाया लेकिन उन डॉक्टर को भी पता नहीं चल पाया कि मेरे पैर में दर्द कैसा था.

गांव वाले डॉक्टर ने कहा- शहर जाकर दिखाना पड़ेगा. मुझे पता नहीं लग पा रहा है कि इसे क्या हुआ है.
माँ पापा से बोलीं- इसे शहर ले जाकर दिखा दीजिए.

पापा बोले- मुझे कुछ जरूरी काम है, शालू ले जाकर दिखा देगी.
दीदी बोलीं- हां ठीक है, मैं ले जाकर इसे डॉक्टर को दिखा दूंगी.

उसके अगले दिन मैं और दीदी शहर के लिए निकल गए.
निकलने से पहले दीदी ने गजब के कपड़े पहने थे स्कर्ट और टॉप, दीदी का स्कर्ट बहुत छोटा सा था और टॉप काफी टाइट था.

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इन कपड़ों में दीदी की चूची देख कर लग रहा था कि अभी टॉप को फाड़कर बाहर आ जाएंगी.
उनका स्कर्ट भी घुटनों से थोड़ा ही नीचे तक का था.

फिर हम दोनों घर से शहर के लिए निकल गए.

उस समय हमारे गांव से शहर के लिए बहुत कम बसें चलती थीं.

जब हम बस स्टेंड पहुंचे तो एक बस जाने को रेडी खड़ी थी और उसमें काफी भीड़ थी.
लगभग पूरी बस पहले से ही सवारियों से भरी पड़ी थी.

किसी तरह से मैं और दीदी बस में चढ़ गए.
बस के बीच में लगे एक लोहे खम्बे के पास दीदी और मैं खड़े हो गए थे.
उसके बाजू की सीट पर बैठा एक आदमी ने मेरी दीदी को ऊपर से नीचे तक देखा और दीदी से पूछा- कहां जाना है?

दीदी बोली- शहर जाना है.
उसने पूछा- क्यों?
दीदी बोली- मेरे भाई के पैर में दर्द है.
उसने मुझे देखा.

दीदी उससे बोलीं- इसको बैठा लेते, इसे दर्द है.
उसने कहा- मेरी गोद में पहले से एक छोटा बच्चा है.

दीदी चुप हो गईं.

फिर कुछ देर सोचने के बाद उस आदमी ने कहा- मेरे पास एक उपाय है. मैं आपके पीछे खड़ा हो जाता हूँ और इसको यहां बैठा देता हूँ.
दीदी मान गईं.

उसने देरी नहीं की और फट से उठ गया.
उसने मुझे सीट पर बैठा दिया और खुद मेरी दीदी के पीछे खड़ा हो गया.
मैंने उसके गोद वाले बच्चे को अपनी गोदी में ले लिया.

उस आदमी ने मेरी दीदी से कहा- मेरा नाम पिंटू है … और आपका नाम?
दीदी बोली- शालू.

उस आदमी की उम्र 45 साल के आस पास की रही होगी.
उसने गर्मी की वजह से टी-शर्ट और लोअर पहना हुआ था.

बस आधा घंटा में चलने वाली थी.
उस आधा घंटा में और आदमी भरते चले गए जिससे बस खचाखच भर गई थी.

बस में आदमियों के भर जाने से पिंटू जी दीदी के पीछे एकदम से चिपक गए.

उनके चिपक जाने की वजह से पिंटू जी का लंड दीदी का गांड में सटने के कारण एकदम खड़ा हो गया था और उनके लोअर में से अलग उठा हुआ दिख रहा था.

पिंटू जी ने भीड़ का फायदा उठाकर अपना लंड लोअर से निकाला और दीदी की गांड पर, कपड़ों के ऊपर से ही घिसने और रगड़ने लगे.

दीदी ने उनका विरोध नहीं किया और वे पीछे मुड़ कर देखकर मुस्कुरा दीं.

और दीदी की इस मुस्कान से तो पिंटूजी का डर पूरा खत्म ही हो गया.
अब पिंटूजी इधर उधर देखकर धीरे धीरे दीदी की स्कर्ट को ऊपर उठाने लगे.

कुछ देर बाद उन्होंने पीछे से पूरा स्कर्ट ऊपर कर दिया और दीदी की पैंटी को खिसका कर दीदी की गांड से नीचे कर दिया.

दीदी की गांड खुल गई थी तो पिंटूजी ने पीछे से अपना लंड दीदी की गांड में सटाया और सहलाने लगे.
इससे दीदी को भी मजा आने लगा था.

उधर बस न चलने की वजह से आदमी अभी भी आते जा रहे थे.

दीदी ने पिंटूजी को पीछे करके अपना स्कर्ट नीचे कर दिया.
लेकिन पिंटूजी ने अपना लंड दीदी की गांड पर कपड़े के ऊपर से ही सहलाना जारी रखा था.

थोड़ी देर बाद बस ने सरकना शुरू कर दिया.
धीरे धीरे बस ने रफ्तार पकड़ ली.

शहर पहुंचने में डेढ़ दो घंटे का समय लगता था.
बस के चलते ही पिंटूजी ने दीदी का स्कर्ट फिर से उठाया और अपना लंड पहले की तरह दीदी की गांड में लगा कर सहलाने लगे.

दीदी को ये सब अच्छा लग रहा था और उनकी चूत से पानी भी निकल रहा था.

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अब पिंटूजी ने एक हाथ आगे किया और दीदी की चूत को सहलाने लगे.
उन्होंने चूत का पानी निकाल कर अपने लंड में लगाना शुरू कर दिया था.

ये सब करवा कर दीदी को भी अच्छा लग रहा था.
कभी कभी दीदी अपने हाथ से पिंटूजी का लंड पकड़कर जोर से अपनी गांड में रगड़ लेती थीं.

दीदी की अकुलाहट बता रही थी, जैसे उन्हें भी पिंटू जी के लंड से अब चुदने का मन होने लगा था.
पिंटूजी भी अब ये बात समझ रहे थे कि इनको अब अपने छेद में मेरा लंड पिलवाने का मन है.

पिंटू जी ने ये देखते ही एक पल की भी देर नहीं की और तुरंत दीदी की चूत से ज्यादा सा पानी लेकर अपने लंड में लगाया और उनकी चूत में डालने की कोशिश करने लगे.
लेकिन दीदी के सीधी खड़ी होने की वजह से पिंटूजी का लंड दीदी की चूत में नहीं जा रहा था.

यदि मेरी दीदी घोड़ी सी बन जातीं, तो शायद लंड उनकी चूत में भी चला जाता.
लेकिन आगे भीड़ के कारण वो सब संभव नहीं था.

फिर पिंटूजी ने छेद बदलने का निर्णय किया.
अब उन्होंने अपने लंड में … और दीदी की गांड के छेद में अपना थूक लगाया और लंड पर जोर लगाकर उसे दीदी की गांड में डालने लगे.

लंड का मुखड़ा गांड में सरक गया.
लंड का सुपारा अन्दर घुस जाने की वजह से दीदी को दर्द होने लगा.

अब दीदी ने अपने सामने लगे लोहे के खम्भे को कस कर पकड़ लिया और मुँह नीचे करके अपनी आंखें बंद कर लीं.

अभी तो सिर्फ लंड का टोपा ही अन्दर गया था.
इतने में ही दीदी की गांड फटने लगी थी.
अभी तो पिंटू जी का पूरा लंड अन्दर जाना बाकी था.

पिंटू जी भी पूरे जिद्दी थे; उन्होंने धीरे धीरे करके अपना पूरा लंड अन्दर कर दिया.
दीदी को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था.
बस में होने की वजह से दीदी चिल्ला भी नहीं सकती थीं तो वे अपना मुँह नीचे करके अपने होंठों को दांतों से दबाये हुई थीं.

पिंटू जी ने धीरे धीरे करके दीदी की गांड में अपना लंड अन्दर बाहर करना चालू कर दिया.
वे बड़ी बेदर्दी से दीदी की गांड को गड्डा बनाने की स्कीम के तहत गांड की चुदाई कर रहे थे.

कुछ देर में दीदी की गांड ने लंड को आत्मसात कर लिया था और अब दीदी को भी गांड मरवाने में मज़ा आने लगा था.

दीदी का मुँह अभी भी नीचे ही था लेकिन उनके मुँह पर दर्द वाला भाव नहीं था.
अब जोश वाली बात दिख रही थी.

दीदी को भी मज़ा आने लगा था, वे भी अपनी गांड हिलाने लगी और हिला हिलाकर गांड चुदवाने का मज़ा लेने लगीं.

जैसे जैसे बस चल रही थी, वैसे वैसे दीदी मज़े में चुदती जा रही थीं.

शहर जाने का रास्ता बहुत खराब था, गड्डे और ऊंचे नीचे टीलों से रास्ता भरा हुआ था.
कभी कभी बस गड्डे में जाती तो पिंटूजी का लंड दीदी की गांड के गहराई तक चला जाता.
अगले ही पल जब बस उठती तो पिंटूजी का लंड भी बाहर आ जाता.

ऐसे चोदते हुए पिंटूजी को करीब 20 से 25 मिनट हो गया था.

इतनी देर में पिंटूजी के पीछे वाले एक आदमी ने उनको दीदी की गांड चोदते हुए देख लिया.
उसने कहा- यह क्या कर रहे हो?
पिंटूजी बोले- तुम भी कर लेना.

वह- ये कौन है?
पिंटूजी- नहीं मालूम.
बातें करते करते पिंटूजी दीदी की गांड में ही झड़ गए.

अब पिंटूजी दीदी के पीछे से हट गए और वह आदमी, जिसका नाम रौशन था, वह दीदी के पीछे आ गया.

रौशन पिंटूजी से ज्यादा जवान था.
उसने भी देर नहीं की, उसने तुरंत दीदी का स्कर्ट उठाया और थूक लगाकर चूत में लंड डालने लगा.

लेकिन पोजीशन कुछ ऐसी थी कि लंड चुत में जा ही नहीं पा रहा था.

उस आदमी ने पिंटू जी से पूछा- तू कैसे चोद रहा था?
उसने कहा- चूत नहीं चोद पाओगे, गांड चोद दो … मैंने भी गांड ही चोदी है.

उस आदमी ने दीदी की गांड में अपना लंड डाल दिया.

चूंकि गांड अभी ही चुद चुकी थी तो लौड़े को पेलने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.

इस आदमी का लंड थोड़ा मोटा था.
दीदी को लगा कि ये पहले वाला लंड नहीं है, ये दूसरा लंड है.

अब दीदी ने पीछे मुड़कर देखा तो समझ में आ गया कि सही में ये तो कोई दूसरा आदमी ही मुझे चोद रहा है.
तब भी दीदी कुछ नहीं बोलीं और आगे मुँह करके मजा लेने लगीं.

रौशन ने बस उछलने का भरपूर फायदा उठाया.
जैसे जैसे बस उछलती रही, वैसे वैसे वह दीदी की गांड को बेदर्दी से चोदता रहा.

दीदी कभी कभी ‘उफ़ … आह …’ की आवाज भी निकाल रही थीं.

रौशन भी इतना बेरहम दिल निकला कि उसने दीदी की चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया था और उसे पूरा मसल कर गांड चोद रहा था.
इससे दीदी को दर्द हो रहा था.

दीदी बार बार अपने हाथ से उसका हाथ हटा रही थीं लेकिन जब वह चूत को जोर से मसलता या चूची को जोर से मसल देता.
तब दीदी की आह निकल ही जाती.
उसको मेरी दीदी पर कोई दया नहीं आ रही थी.

दीदी की जोर जोर से चूची और चूत मसलने का सिलसिला चलता रहा जिस वजह से दीदी की आंखों में आंसू भी आ रहे थे.
लेकिन रौशन रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.

इतने में बस कंडक्टर सबसे बस भाड़ा लेते हुए करीब आने लगा.

जब वह दीदी के पास आया तो चुदाई होती देख कर हैरान हो गया.

उसने रौशन की तरफ देखा तो रौशन ने आंख दबा कर कहा- काहे घबड़ा रहे हैं … आप भी प्रसाद ले लीजिएगा.
दीदी ने ये सुना तो पीछे मुड़कर देखा.

रौशन दीदी से बोला- जैसे दो, वैसे तीन … क्या फर्क पड़ने वाला है. भाड़ा भी नहीं लगेगा. कंडक्टर साहब भाड़ा मत लीजिएगा, बदले में चूत चोद लीजिएगा.
यह कह कर रौशन हंसने लगा.

दीदी ने रौशन को देख कर मुँह बिचका दिया.
बस के कंडक्टर ने भी छेद का महातम्य समझ लिया था और वह दीदी से पैसा मांगे बिना ही आगे बढ़ गया.

इधर रौशन 15 मिनट तक दीदी की गांड चोदता रहा.
जब वह झड़ने लगा तो उसने दीदी का पर्स नीचे गिरा दिया और जैसे ही दीदी पर्श उठाने के लिए बैठी सी हुईं, वैसे ही रौशन ने दीदी के बाल पकड़ कर अपना लंड दीदी के मुँह में पेल दिया.

एक मिनट तक वह कमीना मुँह की गहराई तक पेलता रहा.
फिर वह मुँह में ही झड़ गया और साइड में हो गया.

दीदी मुँह में आया सब माल पी गईं और अपने कपड़े ठीक करके उसी खम्भे के पास खड़ी हो गईं.

कुछ देर में कंडक्टर सबसे पैसा लेकर आया और वह भी दोनों की तरह ही दीदी की गांड मारने लगा.

कंडक्टर को और भी काम था.
इस वजह से वह दीदी की गांड को जल्दी जल्दी चोद रहा था.

साथ ही वह दीदी की चूत में हाथ लगाकर मसल रहा था और चूची को भी ऊपर से ही मसल रहा था.

रौशन ने दीदी के चूत इतना ज्यादा कस कर मसला था कि दीदी की चूत लाल हो गई थी.
अब कंडक्टर का लंड जलन भी दे रहा था.

कुछ देर तक चुदाई करने के बाद कंडक्टर ने दीदी की गांड में माल गिरा दिया और आगे चला गया.

Xxx बहन की गांड चुदाई की वजह से दीदी गांड लाल तो हो ही गई थी, साथ में सुरंग जैसी भी हो गई थी.

थोड़ी देर बाद शहर आया, दीदी और मैं नीचे उतर गए.

उतरने के बाद दीदी एक चबूतरे पर बैठ गईं.
वे उधर आधा घंटा तक बैठी रहीं.
दीदी कभी एक टांग उठातीं तो कभी दूसरी टांग को उठातीं.

उसके बाद हम दोनों डॉक्टर के पास गए.
दीदी ने डॉक्टर से अपने लिए भी दर्द की दवा ले ली.

उन्होंने एक गोली वहीं खायी और बाकी खुराक अपने पर्स में रख ली ताकि जाते समय फिर कोई उनकी चूत या गांड को चोदने वाला मिल गया तो खाने के लिए दवा सही रहेगी.

तो दोस्तो, आज मेरी बहन भीड़ में चुद गईं, वह भी एक से नहीं, तीन तीन लंड से चुदी थीं.

इस तरह से दीदी ने बस में अपनी गांड की सुरंग बनवा ली थी.

इस तरह मैंने भी बस और ट्रेन में भीड़ का फायदा उठाकर न जाने कितनी लड़कियों के कपड़ों पर अपना माल गिराया है.

अब तो मैं बस में भीड़ देखकर ही चढ़ता हूँ और लड़कियों के बीच खड़ा हो जाता हूँ जिससे उनकी गांड की दरार का मजा ले सकूं.

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