Xxx हाफ सेक्स विद गर्ल का मजा मैंने अपने कॉलेज टाइम की दोस्त लड़की के साथ लिया. वह मेरी गर्लफ्रेंड नहीं थी पर मुझे पसंद करती थी. एक बार उससे मुलाक़ात हुई तो …
मेरा नाम रोहित, उम्र 24 साल, कद 5’7″, रंग गेहुंआ है.
मैं भोपाल का रहने वाला हूं.
पर अभी पुणे में एक कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ।
मैं पुणे में अकेले रहता हूँ.
मेरा परिवार जिसमें मुझे मिलाकर कुल 7 लोग हैं, मेरे माता (47) पिता (50) एक छोटी बहन निधि (18) और ताऊजी (54) ताईजी (50) उनकी एक लड़की यानि के मेरी चचेरी बहन ज्योति (27) भोपाल में रहते हैं।
ताऊजी और पिताजी का एक कपड़ों का शोरूम है जबकि ताईजी और मम्मी गृहिणी हैं।
छोटी बहन निधि स्नातक के पहले वर्ष में है और चचेरी बहन ज्योति दीदी तलाकशुदा हैं, वे भी हमारे साथ घर पर ही रहती हैं।
ज्योति दीदी संतान को जन्म नहीं दे सकती इस कारण से 1 साल पहले उनका तलाक हो गया था।
अब आते हैं मेरी Xxx Half Sex With Girl kahani पर…
एक दिन पुणे में मेरी मुलाकात मेरी कॉलेज के दिनों की एक बहुत अच्छी मित्र संध्या से हुई।
उसका रंग सांवला, कद 5’3″ और वह चंडीगढ़ की रहने वाली है.
उसने मुझे बताया कि वह भी पुणे में ही किसी सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करती है।
हम काफी समय के बाद मिले थे तो हमने साथ में लंच किया और खूब बातें की, अपने कॉलेज के दिनों को याद किया।
संध्या की सहेलियों से मुझे पता चला था कि वह कॉलेज के दिनों से मुझे पसंद करती है लेकिन उसने कभी इस बारे में मुझसे कुछ नहीं कहा।
काफी समय साथ बिताने के बाद हम वहां से अपने अपने रूम जाने के लिए निकले.
हम कुछ दूर पैदल चले ही थे कि बारिश होने लगी।
आस पास रुकने के लिए भी कुछ नहीं था फिर हम सड़क किनारे एक पेड़ के नीचे रुके।
हम काफी भीग चुके थे और बारिश भी तेज हो रही थी.
मेरा कमरा वहां से कुछ 5 मिनट की दूरी पर था तो मैंने उसे बारिश रुकने तक मेरे साथ चलने को कहा।
शुरू में वह थोड़ा हिचकिचाई लेकिन बाद में तैयार हो गयी और हम दोनों मेरे कमरे पर आ गए.
क्योंकि हम पूरी तरह भीग चुके थे तो मैंने उसे तौलिया दिया और अपनी टीशर्ट, शॉर्ट्स देकर चेंज करने को कहा।
वह चेंज करने बाथरूम में चली गयी और मैंने भी जल्दी से रूम में कपड़े चेंज कर के हम दोनों के लिए चाय बनाई।
काफी देर तक जब संध्या नहीं आई तो मैं उसको बुलाने के लिए गया, मैंने देखा कि उससे दरवाजा सही से लॉक नहीं हुआ था, अंदर से शावर चलने की और संध्या के गुनगुनाने की आवाज़ आ रही थी।
मुझे अचानक से शैतानी सूझी तो मैंने हल्का सा दरवाजा खोल कर देखा.
मैं दंग होकर देखता ही रह गया।
अंदर संध्या पूर्णतः नग्न अवस्था में शावर के नीचे खड़ी होकर गुनगुनाती हुई नहा रही थी.
उसका मुंह दूसरी ओर था तो मुझे उसकी नंगी पीठ और गोल नितम्ब दिखाई दे रहे थे.
मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी लड़की को नग्न देखा था।
मेरा लिंग भी थोड़ा सा तन गया था.
अचानक मुझमें थोड़ी हिम्मत आई और मैंने चुपके से बाथरूम में घुसकर दरवाजा अंदर से लॉक कर दिया।
मैंने अंडरवियर के अलावा अपने सारे वस्त्र उतार दिए.
बेचारी संध्या मेरी उपस्थिति से अनजान गुनगुना रही थी और शावर का आनन्द ले रही थी।
मैंने पीछे से जाकर उसके स्तनों को अपने कांपते हुए हाथों में भर लिया.
वह घबरा कर चिल्लाई और झट से शावर बन्द कर के तौलिया लपेट कर मेरी ओर मुड़ी।
उसने मुझे चिल्लाते हुए कहा- यह तुम क्या कर रहे हो, मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी!
ऐसा कहते हुए वह रोने लगी।
मैंने उसको कहा- मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं.
मेरी बात सुनकर वह कुछ नहीं बोली और गर्दन नीचे कर के वहां से जाने लगी.
तभी मैंने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया और कहा- मैं जानता हूँ कि तुम भी मुझे पसंद करती हो।
मेरी बात सुनकर वह वहीं रुक गयी.
मैंने उसके करीब जाकर उसके मुंह को ऊपर किया और उसके आंसू पौंछते हुए उसके माथे पर एक चुम्बन अंकित किया।
वह शर्माती हुई हल्की सी मुस्कुराई.
अब मैंने अपने होठ उसके गीले होठों पर रख दिये और चूमना शुरू किया.
मेरे पूरे शरीर में एक उत्तेजना की लहर दौड़ गई।
उसके गुलाब जैसे नर्म मुलायम होंठ, खुशबूदार तेज़ गर्म सांसें मेरे जीवन के पहले चुम्बन को बहुत ही आनन्दमयी बना रही थीं।
मैं उसको कस के अपनी बाहों में भरकर बारी बारी से उसके ऊपर व नीचे वाले होंठ को अपने मुंह में भरकर चूम रहा था.
वह भी पूरा सहयोग कर रही थी और भरपूर आनन्द ले रही थी।
करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को चूमने के बाद हम अलग हुए, हम दोनों के होंठ लाल हो चुके थे।
मैंने उसका तौलिया हटाकर एक तरफ फेंक दिया.
उसने एक हाथ से अपने स्तनों को और दूसरे हाथ से योनि को ढक लिया।
मैंने उसके दोनों हाथों को हटाया और उसके नग्न शरीर के दर्शन किये.
उसके स्तन एक दम गोल कसे हुए और संतरे के आकार के थे जो उसकी तेज़ साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे.
उत्तेजना के कारण उसके निप्पल भी सख्त हो गए थे।
मैं उसके स्तनों को अपने हाथों में भर कर हल्के से दबाते हुए उसके गालों, गर्दन और कंधों को चूमने लगा.
वह भी मादक सिसकारियां ले रही थी।
थोड़ा नीचे होकर मैं बारी बारी से उसके स्तनों को चूसने लगा जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ गयी वह मेरे सर को पकड़ कर अपने स्तनों पर दबाने लगी।
मैं उस क्षण का भरपूर आनन्द लेते हुए उसके स्तनों से खेल रहा था.
थोड़ा और नीचे आकर मैंने उसकी नाभि को चूमा और चाटने लगा।
अब बारी थी योनि दर्शन की … मैं नीचे बैठ गया और उसकी कसी हुई गुलाबी योनि को निहारने लगा.
उस पर बहुत हल्के बाल थे.
उत्तेजना के कारण उसकी योनि से थोड़ा रस भी निकल चुका था जिससे संध्या की योनि चिकनी हो गयी थी।
उसकी योनि को चूमते हुए मैंने अपनी नाक उसकी योनि की दरार में रखी और उससे खेलने लगा.
संध्या उत्तेजना के कारण मादक सिसकारियां लेते हुए अपनी योनि को उठा उठा कर आनन्द ले रही थी।
मैंने फिर उसकी योनि के होंठो को खोलकर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया.
इस प्रकार मेरे जीवन का पहला मुखमैथुन करते हुए मैंने संध्या को आनन्द प्रदान किया।
उसने मेरा सिर पकड़ लिया और अपनी योनि को मेरे मुंह पर दबाने लगी.
मैं भी उसकी योनि के लबों को मुख में भर कर चूमने लगा.
कुछ क्षण के पश्चात उसने जोर से सिसकारियों के साथ मेरे मुंह पर अपना ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया।
उधर मेरा लिंग भी पूरी तरह तना हुआ अपनी संतुष्टि की प्रतीक्षा कर रहा था।
मैं खड़ा हो गया और संध्या ने नीचे झुककर मेरा अंडरवीयर उतार दिया.
मेरा उत्तेजित लिंग उसके मुंह के समक्ष तन गया।
वह मेरे लिंग को अपने हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी.
उसके कोमल हाथों के स्पर्श से मेरी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई और मेरा लिंग एक दम कड़क हो गया.
फिर उसने मेरा लिंग जीभ से चाटते हुए अपने कोमल नर्म मुँह में ले लिया।
मैं आंखें बंद कर के उस मुखमैथुन का आनन्द ले रहा था.
उसने धीरे धीरे मेरे लिंग को चूसना शुरू किया.
यह हम दोनों का पहला ही अनुभव था इसलिए हम जैसा भी कर रहे थे एक दूसरे को संतुष्ट करने के लिए काफी था।
थोड़ी देर बाद मैंने उसके सिर को पकड़ा और जोर जोर से उसके मुंह में अपने लिंग को अंदर बाहर करने लगा.
कुछ क्षण के बाद मैंने पूरे वेग से सारा वीर्य उसके मुंह में छोड़ दिया।
उसके पश्चात हम दोनों ने स्नान किया.
स्नान करते हुए हम बीच बीच में एक दूसरे के होठों को चूम रहे थे, हम दोनों पूरी तरह वस्त्रहीन थे।
शावर बन्द कर के उसको गोद में उठाकर मैं बिस्तर पर ले गया, उसके ऊपर लेटकर उसके जिस्म से खेलने लगा, उसके माथे से लेकर होंठों, गर्दन, स्तनों, नाभि को चूमते हुए उसकी योनि तक पहुंचा।
उसकी योनि में एक उंगली डालना शरू किया, धीरे धीरे दो उंगलियां डालने लगा, इन सब में उसको हल्का दर्द का अनुभव हो रहा था किंतु उत्तेजना और आनन्द के कारण वह दर्द सहनीय था।
संध्या अपने स्तनों से खेलती हुई मादक सिसकारियों के साथ मेरी उंगलियों द्वारा योनि भेदन का आनन्द ले रही थी।
जब मेरी दो उंगलियां आसानी से उसकी योनि में जाने लगी तो मैं और मेरा लिंग योनि भेदन के लिए तैयार थे।
मैंने उसकी टांगों को फ़ैलाया और अपना लिंग उसकी योनि के मुख पर रख कर मसलने लगा तभी उसने मुझे रोक दिया.
संध्या बोली- हम ये नहीं कर सकते. मुझे डर लगता है. बहुत दर्द होगा और कंडोम के बिना तो बिल्कुल नहीं।
उसकी ये बातें सुनकर मेरी सारी उत्तेजना हवा हो गयी.
उस समय मेरे पास कंडोम भी नहीं था.
मैं निराश होकर उसके ऊपर से हट गया और बराबर में लेट गया।
मेरे जीवन का पहला संभोग होते होते रह गया।
काफी देर तक कमरे में सन्नाटा रहा.
हमने एक दूसरे से कुछ नहीं बोला.
अचानक वह मेरे पैरों के बीच में आई और मेरे लिंग को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी।
कुछ ही क्षण में मेरा लिंग पहले की भांति कठोर और संभोग के लिए तैयार हो गया।
वह मेरे उपर बैठ गयी उसने मेरे लिंग को अपनी योनि की दरार में फंसाया और आगे पीछे करते हुए अपनी योनि को मेरे लिंग पर मसलने लगी।
मुझे भी बहुत आनन्द आ रहा था, मेरा लिंग उसकी योनि में तो नहीं जा रहा था किंतु उसकी गर्म योनि के मुख से मिलन कर के उसका आनन्द ले रहा था।
कुछ देर धीमी गति से करने के बाद उसने अपनी गति बढ़ा दी और तेज़ आनन्दमयी आवाजें करने लगी.
मैं भी इस क्रिया का आनन्द लेते हुए उसके स्तनों को मसलने और दबाने लगा।
कुछ देर के पश्चात तेज़ सिसकारियाँ लेते हुए उसने अपना वीर्य मेरे लिंग पर छोड़ दिया.
उसके गर्म वीर्य के स्पर्श से मेरे लिंग से भी वीर्य का वेग फूट पड़ा।
वह निढाल होकर मेरे ऊपर गिर गयी, उसकी योनि मेरे लिंग से और स्तन मेरी छाती से स्पर्श हो रहे थे.
हम इसी अवस्था में एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे.
फिर संध्या ने अपनी जगह बदली और अपना मुंह मेरे लिंग की तरफ़ कर के अपनी योनि को मेरे मुँह के सामने किया और 69 अवस्था में आ गई।
उसने धीरे धीरे मेरे लिंग को अपने नर्म और कोमल होठों से चूमते हुए अपने मुंह में अंदर बाहर करना शुरू किया.
उसके मुख के अंदर की नरमाहट और गर्म साँसों से मेरा लिंग फिर से उत्तेजित होकर तन गया।
मैंने भी उसकी योनि को अपने मुंह में भर लिया और जोर से चूसने और चूमने लगा.
वह भी आनन्द से कराहने लगी और मेरे लिंग को अपने मुँह में अंदर बाहर करती रही।
पूरा कमरा हमारी चूमने चाटने और आनन्दमयी कराहने की आवाज़ से गूंज रहा था।
थोड़ी देर के पश्चात हम दोनों ने अपना वीर्य छोड़ दिया और थककर एक दूसरे की बाहों में लिपटकर सो गए।
मेरे यौन जीवन की शुरुआत बहुत ही आनन्द मय रही.
इससे पहले मैं केवल हस्तमैथुन कर के अपनी उत्तेजना शांत किया करता था।
संध्या के कौमार्य भंग में होने वाले दर्द के भय और कंडोम की अनुपलब्धता के कारण मेरे लिंग को योनि में प्रवेश नहीं मिल पाया था.
लेकिन हम दोनों ने मुखमैथुन से एक दूसरे को पूरी तरह संतुष्ट कर दिया था।
अगली सुबह मैंने संध्या के होठों को चूमकर उसको विदा किया।
अब हम मित्र नहीं अपितु प्रेमी प्रेमिका बन चुके थे हाफ सेक्स करके!
उसने भी मुस्कराते हुए इसन हसीन पलों के लिए धन्यवाद कहा और चली गयी.
संध्या के जाते ही मैं कुछ कंडोम के पैकेट खरीद लाया और अपने बैग में रख लिए।
मुझे उम्मीद थी कि जल्द ही वह दिन भी आएगा जब मेरा लिंग संध्या की योनि में प्रवेश करेगा और अपने जीवन के पहले संभोग के आनन्द लेगा। मुझे भी सेक्स विद गर्ल का अनुभव मिलेगा.
हम रोज़ एक दूसरे से फोन पर प्रेम भरी बातें करने लगे जिससे हमारा प्रेम और बढ़ता चला गया.
छुट्टी के दिन हम साथ में समय व्यतीत करते और एक दूसरे को अच्छे से समझने लगे।
मुझे एक सप्ताह के लिये किसी पारिवारिक कार्यक्रम के लिए भोपाल आना पड़ा, सभी लोग पापा मम्मी ताऊजी ताईजी निधि और ज्योति दीदी मुझसे मिलकर बहुत खुश हुए।
इससे आगे की घटना फिर कभी किसी कहानी में!
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