गेस्ट हाउस की मालकिन- 2

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अकेली लड़की की सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैं हिमाचल में अपने गेस्ट हाउस में अकेली थी और दो अफ्रीकी लड़के रुके हुए थे. बाहर बर्फ पड़ रही थी. फिर क्या हुआ?

अकेली लड़की की सेक्स स्टोरी के पिछले भाग
अफ्रीकी लड़के से सेक्स का ख्याल
में आपने मेरे बारे में सब कुछ जाना और मैंने आप लोगों को बताया कि कैसे मेरे गेस्ट हाउस में 2 अफ्रीकी पर्यटक आकर रुके।
किस तरह से मेरी जॉन्सन के साथ जान पहचान हुई।

अब आगे की अकेली लड़की की सेक्स स्टोरी:

पिछली रात मेरे लिए बहुत मुश्किल रही; काफी देर तक मैं जागती रही और जॉन्सन के साथ हुई बातचीत को याद करती रही।

उस रात हमारे यहां एक बर्फीला तूफान आया और सुबह तक मौसम और भी ज्यादा खराब हो गया था।

सुबह जब मैं उठी तो बाहर चारों तरफ बर्फ की मोटी चादर बिछ गई थी।
हालात इतने खराब हो गए थे कि कोई भी कहीं नहीं जा सकता था।
बर्फबारी अभी भी लगातार जारी थी।

सुबह 8 बजे जॉन्सन मेरे पास आया और पूछा- क्या अब हम लोग कहीं जा सकते हैं या नहीं?
मैंने उन्हें कही जाने से मना कर दिया क्योंकि मौसम काफी खराब हो गया था।

वो दोनों ही बस अपने कमरे में ही पड़े रहे।

मैं समय समय पर उनके खाने पीने का इतंजाम करती रही।

ठंड काफी बढ़ गई थी और वो दोनों दिन भर बस अपने अपने कमरों में ही रहे।
फिर रात में खाना खाने के बाद दोनों अपने कमरों में चले गए।

  बीवी के सारे छेदों की चुदाई का मजा-1

मैं रोज की तरह ऑफिस में टीवी देख रही थी।
रात 9 बजे जॉन्सन ने अपने कमरे से मुझे फोन किया और बोला- क्या आप एक वाइन की बोतल मेरे कमरे में पहुँचा सकती हैं?
मैं एक वाइन की बोतल लेकर उसके कमरे में गई।

वह उस वक्त अकेला ही था शायद उसका साथी अपने कमरे में चला गया था।

मैं उसे बोतल देकर वापस आने लगी.
तो उसने कहा- क्या आप कुछ समय मेरे साथ बातचीत करेंगी? मुझे अच्छा लगेगा।

मैं रुक गई और पलंग के सामने रखे हुए लंबे सोफे पर बैठ गई।
उस वक्त जॉन्सन ने ठंड से बचने के लिए एक लंबा सा गाउन पहना हुआ था जो एक डोरी से सामने बंधा हुआ था।
औऱ मैंने भी ठंड से बचने के लिए नाइट गाउन के ऊपर जैकेट पहन रखी थी।

जॉन्सन ने मुझसे पूछा- क्या आप भी वाइन का सेवन करना पसंद करती हैं?
मैंने कहा- कभी कभी!

“तो क्या आप मेरे साथ पीना पसंद करेंगी?”
“नहीं, आप अकेले कहाँ हो … आपके दोस्त भी तो हैं!”

“नहीं, वो सोने चला गया. अब नहीं आएगा।”

फिर उसने 2 ग्लास निकाले और मेरे लिए भी वाइन बनाई।
मैं अकेली रहती थी और कभी कभी वाइन पिया करती थी।

उसने मुझे मेरा ग्लास दिया और जाम से जाम टकराने के बाद हम दोनों ने अपना ग्लास खत्म किया।

वो मुझसे लगातार बात करता जा रहा था.

वो मेरे सामने पलंग पर बैठा हुआ था।
दूसरा ग्लास खत्म होने के बाद वो उठा और मेरे बगल में आकर बैठ गया।

उसने फिर तीसरा ग्लास बनाया और हमने उसे भी खत्म किया।
अब मेरी लिमिट पूरी हो चुकी थी और मुझे काफी नशा हो गया था।
इसलिए मैंने अब मना कर दिया।

मगर उसने काफी जोर दिया तो मैं एक पेग के लिए तैयार हो गई।
इस बार उसने मेरा ग्लास अपने हाथों में लिया और मुझे अपने हाथों से पिलाने लगा।

जब वो मुझे पिला रहा था तो उसने अपना एक हाथ मेरी जांघों पर रख लिया था।
मुझे पिलाने के बाद भी उसने हाथ नहीं हटाया और अपना ग्लास खत्म किया।
इस तरह से पूरी बोतल अब खत्म हो चुकी थी।

अब उसने अपना सर मेरे करीब लाकर सोफे पर टिका लिया. वो अब मुझसे बात कर रहा था और उसका हाथ मेरी जाँघों पर ही था।
वो मेरी आँखों में आँखें डालकर बात कर रहा था।

हम दोनों ही वाइन के नशे में थे।

अब वो अपने हाथ को मेरी जांघ पर चलाने लगा।
मुझे समझ आ गया था कि वो कुछ करने के विचार में है। मगर इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

गर्म तो मैं भी हो गई थी इसलिए मैं आगे बढ़ कर उसको थोड़ी हिम्मत देनी चाही क्योंकि मन तो मेरा भी हो रहा था कि कुछ हो जाये!

और मैंने भी उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया और उसके साथ साथ अपना हाथ भी चलाने लगी।
इतना इशारा उसके लिए काफी था।

और उसने मेरा हाथ थाम कर मुझे हल्के से अपनी तरफ खींच लिया।

मैं उसके बिल्कुल करीब जा पहुँची, हम दोनों के चेहरे बिल्कुल पास पास थे। हम एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे।
अब हम दोनों ही शांत हो गए थे।

मैं तो सोच चुकी थी कि इसको कुछ भी करने से नहीं रोकूँगी; जो भी होगा होने दूँगी।
उसने आहिस्ते से अपना एक हाथ मेरे सर के पीछे लगाया और मेरे सर को अपनी तरफ लाते हुए अपने होंठ मेरे होंठ पर लगा दिए।

उसने अपने मोटे मोटे होंठों से मेरे मुलायम होंठों को चुमना शुरू कर दिया।
मैं भी उसका साथ देने लगी, उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डालनी शुरू कर दी और मैं भी अपनी जीभ को उसकी जीभ से लड़ाने लगी।

उसने अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ पर लेजाकर मुझे बांहों में भर लिया।
मेरे भी हाथ उसके घुंगराले बालों पर चलने लगे।

मेरा किसी प्रकार का कोई विरोध नहीं करने से उसके हौसले बुलंद हो गए थे।

कुछ ही देर में उसने मुझे वहीं पर खड़ा किया और जल्दी से मेरी जैकेट और अंदर पहना हुआ गाउन उतार दिया।
अब मैं ब्रा पेंटी में उसके सामने थी।
उसने भी अपना गाउन उतार फेंका। उसने अंदर केवल चड्डी बस पहन रखी थी।

उसकी चड्डी इतनी ही थी कि किसी तरह उसका लंड और अंडकोष छुप रहा था।

मैं उसके सामने खड़ी हुई थी मगर मेरा चेहरा उसके सीने तक ही जा रहा था।
मैं एक लंबी कद काठी की औरत हूँ मेरी लंबाई 5 फीट 7 इंच है मगर वो 6 फीट से ज्यादा लंबा था।

वो एक हट्टा कट्टा मर्द था दूधिया रोशनी में उसका काला बदन चमक रहा था।

उसके मसल्स शरीर के सामने तो मेरा नाजुक बदन कुछ भी नहीं था।
उसका वजन भी 100 किलो से ज्यादा ही रहा होगा और मेरा वजन उस समय 65 किलो के आसपास था।

मैं इतना जान चुकी थी कि आज की चुदाई मेरे लिए यादगार होने वाली है।
पहली बार किसी विदेशी मर्द के साथ मेरा संभोग होने वाला था।

मैं उसके सामने खड़ी उसके मसल्स शरीर को देख रही थी और उसने अपने दोनों हाथ मेरी चूतड़ पर रख कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और फिर से मेरे होंठों पर टूट पड़ा।

उसने अपने दोनों हाथ पीछे से मेरी पैंटी के अंदर डाल दिया और मेरे चूतड़ों को दबाए जा रहा था।

मेरे चूतड़ काफी बड़े आकार के हैं इसलिए उसे मजा भी आ रहा था।
मुझे इतना नशा छा गया था कि अच्छे से खड़े हो पाना मुश्किल हो रहा था।
मगर उसने बड़ी मजबूती से मुझे थाम रखा था।

कुछ देर मेरी गांड से खेलने के बाद उसने हाथ बाहर निकाल कर मेरी ब्रा निकाल दी और झुक कर मेरे तने हुए बड़े बड़े दूध को चूसना शुरू कर दिया।
वो काफी माहिर खिलाड़ी लग रहा था.

उसके चूसने से ही मैं आहें भरने लगी- ऊऊऊ ऊऊफ़्फ़ आआआ आह आआआ आआ अह अईईई ऊऊईई ईईईई ऊफ़्फ़!
उसने कुछ ही देर में मेरे दोनों गोरे गोरे स्तनों को लाल कर दिया।

उसके दोनों हाथ बराबर मेरे जिस्म को सहलाते जा रहे थे और वो झुका हुआ मेरे उरोजों को चूसता जा रहा था।

कुछ देर में उसने मेरी पैंटी को जांघ के नीचे तक सरका दिया जिसे मैंने खुद अपने पैर चला कर उतार दिया।

अब मैं बिल्कुल ही नंगी हो गई थी।
वो किसी दानव की तरह मुझसे लिपटा हुआ था।

फिर उसने भी अपना हाथ नीचे करते हुए अपनी पैंटी निकाल दी।

उसके लंड के दर्शन करके मेरी गांड फट गई?
कसम से इतना बड़ा लंड … मैं सोच भी नहीं सकती थी।

आज तक मैंने 6 इंच के लंड तक के दर्शन किये थे और चुदी थी।
मगर उसका लंड 9 से 10 इंच से कम तो बिल्कुल भी नहीं था। किसी घोड़े जैसा लंबा और इतना काला लंड की लग रहा था कि अभी अभी तेल से मालिश की गई हो।

वैसे तो मैं एक हृष्ट पुष्ट शरीर की औरत थी मगर मेरे लिए भी वो लंड काफी बड़ा था।

उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.

मेरे एक हाथ मे अच्छे से उसका लंड पकड़ में भी नहीं आ रहा था.
इतना मोटा लंड था उसका।

किसी तरह मैं उसके लंड को पकड़ कर आगे पीछे कर रही थी।
उसने मेरे दूध को चूस चूस कर मुझे काफी गर्म कर दिया था।

अब उसने मुझे बिस्तर पर ले जाने की सोची.
उसने मेरे चूत के पास से दोनों पैरों के बीच से अपना एक हाथ डाला और पीछे गांड तक ले गया और मुझे हवा में उठा लिया।

मैंने जल्दी से उसके गले को पकड़ लिया और उसने मुझे वैसे ही उठा कर बिस्तर पर पटक दिया।

बिस्तर पर जाने के बाद उसने मेरे दोनों पैरों को पकड़ कर बिस्तर के बाहर लटका दिया और मेरी जाँघों को फैलाकर चूत के पास बैठ गया।
अपने अंगूठे को मेरी चूत पर ऊपर नीचे रगड़ने लगा।

मेरी हल्की गुलाबी रंग की चूत लबालब पानी से भर चुकी थी।

उसने अपने होंठों से अब मेरी चूत को चूमना शुरू कर दिया।

मेरे अंदर की चुदासी औरत अब जाग उठी थी मेरी सिसकारियां कमरे में गूंज उठी- ओह हहह आआआ आह आआ आअह ऊफ़्फ़ आआ आह मम्मीईईई आआ!

सच में वो बहुत ही माहिर खिलाड़ी था; बड़े ही मस्ती भरे अंदाज में वो मेरी चूत पर अपने होंठ चला रहा था।

मेरी चूत के दानों के ऊपर अपनी जीभ ऐसे चला रहा था जैसे कोई कुत्ता अपनी जीभ से जल्दी जल्दी दूध पी रहा हो।

उसकी इस अदा को मैं ज्यादा समय तक नहीं झेल पाई और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मगर फिर भी वो चूत चाटता रहा।

मुझे गर्म होने में ज्यादा समय नहीं लगा और जल्द ही मैं एक बार फिर गर्म हो गई।
वो चूत चाटने के साथ साथ अपने अंगूठे से मेरी गांड के छेद को भी रगड़ता जा रहा था।

उस वक्त तो मैं जैसे सातवें आसमान में गोता लगा रही थी; इतना मजा शायद मुझे कभी मिला नहीं था।

कुछ ही समय बाद उसने मेरी चूत को आजाद किया और मेरे सामने खड़े होकर मुझे बिस्तर पर बैठा दिया।

उसका लंड मेरे चेहरे के बिल्कुल सामने था।
उसने अपना लंड पकड़ा और मेरे होंठों पर अपना बड़ा सा सुपारा रगड़ने लगा।

मैं जान गई कि ये लंड चूसने के लिए ही कह रहा है।
मैंने भी उसका साथ देते हुए दोनों हाथों से उसके विशाल लंड को पकड़ा और उसके सुपारे को मुँह में भर लिया।

उसने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और धीरे धीरे अपना आधा लंड मेरे मुँह में भर कर मेरे मुँह की चुदाई शुरू कर दी।

लंड इतना मोटा था कि मेरा मुँह दर्द करने लगा।
अच्छा हुआ कि उसने पूरा लंड मुँह में नहीं डाला नहीं तो लंड मेरे गले मे उतर गया होता।

मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ कर वो मेरे मुँह को जोर जोर से चोदने लगा।
मुझे ऐसा लग रहा था कहीं वो मेरे मुँह में ही अपना माल न निकाल दे।
क्योंकि मुझे लग ही रहा था कि वो भी झड़ने वाला था।

मैं सोच ही रही थी कि उसने अपना लंड जल्दी से मुँह से निकाल लिया और हाथों से जोर जोर हिलाते हुए मेरे दूध पर अपना माल निकाल दिया।
उसके गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी से मेरा पूरा सीना गीला हो गया।

उसने मुझे खींच कर फिर से खड़ा किया और मेरे होंठों को चूमने लगा।
मैं भी उसके लंड को सहलाती रही।

उसका लंड का माल निकलने के बाद भी लंड बिल्कुल भी ढीला नहीं हुआ।

करीब पांच मिनट के बाद उसने फिर से मुझे बिस्तर पर धक्का दिया और मैं बिस्तर पर लेट गई।

अब वो मेरे ऊपर आ गया और मेरे होंठ और दूध को जोरों से चूसना शुरू कर दिया।

अब मेरे लिए बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो रहा था। चूत में ऐसा लग रहा था जैसे हजारों चीटियां काट रही हों।

वो भी मेरी चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार था और मैं भी चुदाई के लिए आतुर हो गई थी।

अकेली लड़की की सेक्स स्टोरी के अगले भाग में पढ़ें कि किस तरह से मेरी जिंदगी की यादगार चुदाई हुई जो मुझे कभी भूल नहीं सकती।
उस विशाल लंड के साथ कैसे जॉन्सन ने मेरी चूत का भोसड़ा बना डाला।

अकेली लड़की की सेक्स स्टोरी का अगला भाग: गेस्ट हाउस की मालकिन- 3