हैलो दोस्तो.. मेरा नाम सौमिल है. मैं गुजरात के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में फाइनल ईयर में पढ़ रहा हूँ और हॉस्टल में रहता हूँ.
मैं दिखने में थोड़ा स्मार्ट हूँ.. ऐसा लोग बोलते हैं और मैं मजबूत कदकाठी वाला हूँ.
इस साईट की शायद कुछ ही कहानी ऐसी रह गई होंगी.. जो मैंने पढ़ी न हों. यह मेरी आज यहाँ पर पहली कहानी है.. जो आपको बहुत पसंद आने वाली है.
Bahen ki Dost ki Chudai Kahani में आगे:
कुछ टाइम पहले नवरात्रि से पहले मैं घर गया था और उसी टाइम पर मेरी एक मौसी की लड़की की सहेली रिया, जो पास के गाँव में रहती है और कुछ काम के लिए मेरे घर पर आई थी.
मैं अपने घर गया.. रात को सबने खाना खाया और बाद में सब बैठे थे.. तो माँ ने बताया कि रिया की सगाई टूट गई है.. और उसकी शादी जो दीवाली के कुछ दिन बाद होनी थी.. वो खत्म हो गई है.
मुझे भी थोड़ा दुःख लगा.
थोड़ी देर टीवी देखने के बाद सब सोने लगे.
मम्मी-पापा अपने कमरे में चले गए.
मैं.. रिया और मेरे दोनों भाई-बहन जाग रहे थे.
धीरे-धीरे भाई भी सो गया.. सिर्फ हम तीनों ही जग रहे थे.
दीदी ने रिया की सगाई की बात छेड़ी.. तो फिर मैंने रिया को बहुत समझाया.
उसने बताया- मैं किसी और से प्यार करती हूँ.
तो मैंने उसे बहुत बातें कहीं और अफेयर के बारे में भी बताया कि लड़के बहुत कमीने होते हैं. वो सिर्फ मौज-मस्ती के लिए लड़कियों के साथ खेलते हैं और बाद में सिर्फ कष्ट ही मिलता है.
कुछ इसी तरह की बातों में एक बज गया.. तो हम तीनों भी सोने लगे.
अभी तक मेरे मन में कोई भी ऐसी-वैसी बात नहीं थी. लेकिन ये सब बातें करने से हम सभी में सेक्स के प्रति एक जैसा भाव दिखने लगा.
चूंकि जवानी में सभी चूत-लण्ड से सम्बंधित बातों में खूब रस आता है पर किसी न किसी वजह से पूरी तरह से जल्दी खुलना संभव नहीं हो पाता है.
खैर इसके थोड़ी देर बाद जब सब चुप हो गए.. तो मैं सोने का नाटक करने लगा.
हम सब ड्राइंगरूम में ही सोए हुए थे. वहाँ पहले मैं, रिया उसके बाद मेरी बहन और आखिर में भाई सोया हुआ था.
थोड़ी देर में मैंने अपना हाथ जैसे भूल से लग गया हो.. ऐसे अपना हाथ रिया को लगाया.
जब कुछ नहीं हुआ तो उसके बाद धीरे से मैंने अपने सर को उसकी पीठ से इस तरह लगाया कि मैं उसके बहुत नजदीक हो गया.
ऐसा करते-करते मैंने उसके दिमाग में भी थोड़ा रोमांस डाल दिया और कब मुझे नींद लग गई.. ये पता ही नहीं चला और मैं सो गया.
कुछ समय के बाद मुझे कुछ पता नहीं था.. पर ऐसा लगा कि मेरा हाथ रिया की कमर पर पड़ा हुआ है और मेरी आंख खुल गई.
सच में मेरा हाथ उसकी पीठ पर ही था.
मैंने थोड़ी देर यूं ही रहने दिया और सोचने लगा कि क्या करूँ.. कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हाथ हटा लूँ या आगे कुछ करूँ.. मेरा हाथ भी शायद उसी ने ही अपने ऊपर रखा था.
बहुत सोचने के बाद आखिर सेक्स की कहानियों के अनुभव से मैंने हाथ वहीं रखा रहने दिया और कुछ देर बाद उसकी कमर पर अपना हाथ फिराने लगा. उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
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मैंने धीरे से हाथ को उसके एक दूध पर रख दिया. क्या मस्त और ठोस चूचा था.. ऐसा लग रहा था.. जैसे कोई गोला मेरे हाथ में आ गया हो.
बाद में मैंने उसके दोनों मम्मों को दबाया और हाथ फिराने लगा. अब वो भी जाग गई थी और धीरे-धीरे ‘अआह..’ कर रही थी.
कुछ मिनट के बाद वो बहुत गर्म हो गई और मेरा हाथ थाम कर नीचे चूत की तरफ करने लगी.. पर मुझे तो अभी अपनी तरस को छिपानी थी.
मेरा लौड़ा भी सुपरमैन की तरह उड़ने लगा था.
अब तक मैंने उसको चूमा नहीं था.. तो मैंने उसके सर को पकड़कर उसके होंठों पर अपने होंठों को रखा.. लेकिन उसने नहीं रखने दिया.
दोनों का पहली ही बार का मामला था तो वो शर्मा रही थी.
पर थोड़ा और हाथ फिराने के बाद जब दूसरी बार मैंने उसको किस किया.. तो वो कुछ न बोली.
ओह्ह्ह्हह्ह.. क्या होंठों का स्वाद था.. मैंने उसके रसभरे होंठों को खूब चूसा.. वो भी साथ देने लगी.
लेकिन उसे तो बहुत जल्दी थी.. उसकी चूत में बहुत खुजली हो चली थी. मैं उसे और तड़पाना चाहता था. मैंने होंठों को चूमना चालू रखा और एक हाथ से उसके मम्मों को दबाता रहा.
वो मदहोश होती जा रही थी और जोर-जोर से आहें ले रही थी.
आखिर वो घड़ी आ गई.. जिसके लिए हर कोई इतने साल तक इंतजार करता है. उसकी फुद्दी को छूने के लिए मैंने हाथ नीचे डाला और कपड़े के ऊपर से ही सहलाने लगा.
वो मुझे कसके पकड़ने लगी और उसकी ‘आहें’ बढ़ने लगीं.
कुछ ही पलों में वो एक बार झड़ गई.
मेरे लंड की हालत भी ख़राब हो रही थी.
फिर मैंने हाथ उसकी चड्डी में डाला और क्या कहूँ दोस्त.. जैसे मेरे हाथ में पूरी दुनिया आ गई हो, मुझे इतनी ख़ुशी हो रही थी.
मेरा हाथ गीली चूत पर लगते ही उसके मुँह से ‘अह्ह्ह्हह्ह..’ निकल गया.
उसके बगल में ही मेरी बहन सो रही थी, मुझे उसके जाग जाने का डर लग रहा था.
मैंने उससे कहा- धीरे से आवाज़ कर.
फिर मैंने चूत को सहलाया.. छोटे-छोटे से बालों के बीच एकदम फिट और कसी हुई नर्म-नर्म मखमल जैसी कोमल चूत को पहली ही बार छूकर बहुत मज़ा आया.
वो भी ऐसे ही मज़ा ले रही थी.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रखा.. तो उसने वापिस खींच लिया. मुझे गुस्सा आया और मैंने उसकी चूत से हाथ हटा लिया और मुँह फेर कर लेट गया.
दो मिनट में उसने अपना हाथ अपने आप मेरे लंड पर रखा और उसे सहलाने लगी.
दुनिया का सबसे बड़ा सुख मुझे मिल रहा था, मैं ऐसे ही हल्की ‘अह्ह्ह…उह्ह्ह..’ कर रहा था.
उसने जोर से मेरा हाथ पकड़ा और खींच कर अपनी चूत पर रख दिया.
अब वो भी गर्म होती जा रही थी, वो मेरे लण्ड को हाथ में लेकर सहला रही थी और मैं उसकी चूत को.
फिर मैंने उसकी बुर में उंगली डाली.. तो वो चिल्लाई.. जैसे किसी ने उसकी चूत में बेसबॉल का बल्ला घुसा दिया हो.
मैंने झट से हाथ निकाल लिया और सोने लगा.
मुझे डर था कि उसकी चीख सुन कर कोई जाग न जाए.
थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे.. उसने तो हाथ लंड से हटाया ही नहीं.. साली बहुत हिम्मत वाली निकली.
फिर मैंने उसके कान में कहा- हम लोग अन्दर कमरे में चलते हैं.
वो मान गई.
दोस्तों इसके आगे बहुत मज़ा है.. कैसे मैंने उसको चोदा.. पूरे हफ्ते भर हमने मजे लिए. फिर मिलने की सोची और फिर कैसे मेरी मौसी की लड़की भी हमारे खेल में साथ हो गई.. वो सब मैं अगली कहानी में लिखूंगा.