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माँ बेटी की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरे अपाहिज दोस्त की जवान बेटी को दौरे पड़ते थे. डॉक्टर को दिखाया तो उसने कहा कि इसकी शादी कर दो. इसके बाद क्या हुआ?
गोपाल मेरा सिर्फ पड़ोसी ही नहीं बल्कि अच्छा दोस्त भी है. हम दोनों एक साथ पढ़े हैं और खेले कूदे हैं.
हम लोगों की शादी भी एक ही साल में कुछ दिनों के अन्तराल पर हुई थी.
चूंकि गोपाल की शादी मेरी शादी से पहले हुई थी इसलिये मैं उसकी पत्नी मीरा को भाभी कहता हूँ.
हम लोगों का जीवन बड़ा सुखमय व्यतीत हो रहा था लेकिन चार साल पहले कुछ ही दिनों के अन्तराल पर हम दोनों के साथ अचानक घटी घटनाओं ने हम दोनों का जीवन छिन्न भिन्न कर दिया.
हुआ यूँ कि हार्ट अटैक से मेरी पत्नी की मृत्यु हो गई.
और इसके कुछ दिन बाद एक मार्ग दुर्घटना में गोपाल की छोटी बेटी की मृत्यु हो गई, बड़ी बेटी की एक टाँग में गम्भीर चोट आई और टाँग आधा इंच छोटी हो गई.
इस सबसे ज्यादा बुरा यह हुआ कि रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण गोपाल का कमर से नीचे का शरीर निष्क्रिय हो गया.
मेरे दोनों बेटे शादी करके विदेश में सेटल हो चुके हैं, इसलिये मैं अकेला रहता हूँ और मैंने खुद को इसी रंग में ढाल लिया है.
लेकिन गोपाल की स्थिति थोड़ी अलग है क्योंकि उसकी बेटी सीमा करीब 28 साल की हो गई है.
प्रीति जिंटा जैसी खूबसूरत कद काठी होने के बावजूद उसकी शादी नहीं हो पा रही है क्योंकि एक तो वो हल्का सा लंगड़ा कर चलती है, दूसरे गोपाल की शारीरिक स्थिति को देखकर लोग मना कर देते हैं.
ऐसे में हम कर भी क्या सकते हैं, जैसी ईश्वर की इच्छा.
अभी तक तो गनीमत थी, इधर पिछले चार पाँच महीनो से एक नई समस्या हो गई.
मीरा भाभी ने बताया कि सीमा अचानक हाथ पैर मारती है और बेहोश हो जाती है. कई डाक्टर व ओझा देख चुके हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा.
मैंने अपने एक परिचित डाक्टर से बात की तो उन्होंने कहा- डाक्टर दीपाली को दिखाओ, नामी गिरामी मनोचिकित्सक हैं.
यह बात मैंने भाभी को बताई तो बोलीं, विजय तुम हमारे साथ चल सकते हो?
कैसी बात करती हो, भाभी? क्यों नहीं चल सकता? गोपाल अस्वस्थ है तो क्या हुआ, सीमा मेरी भी तो बेटी है.
निर्धारित समय पर हम लोग डॉक्टर दीपाली के पास पहुंचे.
करीब एक घंटे तक चले डिस्कशन के बाद डॉक्टर दीपाली ने सीमा को बाहर भेज दिया.
फिर मुझे व मीरा को सीमा का माता पिता समझकर बताने लगीं कि सीमा को निम्फोमेनिया नामक रोग है, यह रोग हजारों में से किसी एक लड़की को होता है. इसमें किसी भी समय रोगी में सेक्स करने की इच्छा जागृत होती है और सेक्स न होने पर हाथ पैर मारना या बेहोश हो जाना आम बात है. इसकी कोई दवा नहीं है, शादी के बाद यह रोग अपने आप खत्म हो जाता है.
हम लोग घर वापस लौट आये.
सीमा के पूछने पर मैंने बताया- कोई दिक्कत नहीं है तुम ठीक हो जाओगी.
अगले दिन दोपहर को मीरा मेरे घर आई और बोली- विजय, मैं सारी रात सो नहीं पाई हूँ. सीमा के बारे में सोच सोचकर परेशान हूँ, गोपाल से कुछ कह भी नहीं सकती, बेचारा परेशान होगा. और शादी कोई खिलौना तो है नहीं कि बाजार से दिला दूँ. कुछ समझ नहीं आ रहा.
जब से गोपाल बिस्तर पर पड़ा था, मीरा अक्सर अपनी समस्या लेकर आया करती थी लेकिन यह समस्या तो बड़ी विकट थी.
“मैं खुद कुछ नहीं सोच पा रहा हूँ.” मैंने कहा.
“मेरे मन में एक समाधान तो है लेकिन तुमसे कैसे कहूँ?”
“बेझिझक कहो, भाभी. सीमा के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ.”
“अब तुमको ही करना पड़ेगा, विजय.”
“क्या करना है, भाभी बताओ. मैं तैयार हूँ.”
“वही, जो सीमा की जरूरत है.”
“भाभी, आप क्या कह रही हैं कि मैं? मेरा मतलब मैं सीमा के साथ?”
“हाँ, विजय. इसके अलावा कोई चारा नहीं.”
अपने मन में फूट रहे लड्डुओं को सम्भालते हुए मैं मासूम बनकर बोला- ऐसा कैसे हो सकता है भाभी?
“हो सकता है, विजय. बड़ा कठिन फैसला है लेकिन करना यही पड़ेगा और गोपाल को इसकी भनक भी नहीं लगनी चाहिए.”
“लेकिन भाभी, इसमें आपकी मदद चाहिए होगी.”
“तुम जैसे चाहोगे मैं मदद करूंगी, मुझसे तड़पती हुई सीमा देखी नहीं जाती. जब हाथ पैर चलाती है तो मेरी रूह कांप जाती है और जब बेहोश हो जाती है तो डरती हूँ कि पता नहीं अब उठेगी भी या नहीं.”
“ऐसे न बोलो, भाभी. सब ठीक हो जायेगा.”
इसके बाद मीरा अपने घर चली गई.
मैं सीधा बाथरूम गया और अपनी झाँटें साफ कीं, अपने लण्ड को सहलाते हुए कहा- मुन्ना चार साल से खाली बैठे हो, चलो कुँवारी चूत चोदने का काम मिल गया है.
शाम को बाजार जाकर शिलाजीत कैप्सूल और वियाग्रा टेबलेट ले आया.
रोज सुबह शाम दूध के साथ शिलाजीत कैप्सूल खाते हुए मैं इन्तजार करने लगा कि कब सीमा को निम्फोमेनिया का दौरा पड़े और मीरा मुझे बुलाये.
हर दूसरे तीसरे दिन अपनी झाँटें साफ करके मैं अपना लण्ड और गोटियां चमकाये रखता था.
एक दिन दोपहर का खाना खाकर मैं लेटा ही था कि मीरा का फोन आ गया- जल्दी आओ, बहुत तड़प रही है.
मैंने जल्दी से वियाग्रा की टेबलेट खाई और मीरा के घर पहुंच गया.
गोपाल ग्राउंड फ्लोर पर अपने कमरे में सो रहा था. सीमा और मीरा फर्स्ट फ्लोर पर बने बेडरूम में थीं.
मैं पहुंचा तो सीमा बेहोश हो चुकी थी और घबराई हुई मीरा पास में बेबस खड़ी थी.
मैंने मीरा से कहा- इसके सारे कपड़े उतार दो.
मीरा ने झट से सीमा की सलवार और पैन्टी उतार दी और फिर कुर्ता व ब्रा उसके शरीर से अलग करके उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया.
बड़े बडे संतरे जैसी चूचियां देखकर मैं जन्नत में पहुंच गया.
सीमा की चूत पर हाथ फेरकर मैं उसकी चूची चूसने लगा और मीरा से कहा कि सीमा की चूत चाटकर गीली करे.
मीरा सीमा की टाँगें फैला कर उसकी चूत चाटने लगी.
मैंने अपनी टीशर्ट व लोअर उतार दिया और सीमा के बगल में अधलेटा होकर उसकी चूचियों से खेलने लगा.
मेरा लण्ड कड़क होने लगा तो मैं उस पर हाथ फेरने लगा.
मैंने देखा कि सीमा की चूत चाटते समय मीरा की नजर मेरे लण्ड पर टिक गई.
सोच रही होगी कि अभी यह लण्ड सीमा की चूत में जायेगा.
तभी मीरा ने मेरा हाथ हटा दिया और मेरे लण्ड को सहलाने लगी.
मैंने मीरा से कहा- भाभी, इसे मुँह में लेकर गीला कर दो.
मीरा ने मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ा और खाल को नीचे करके मेरे लण्ड का सुपारा अपने मुँह में ले लिया.
मैं आँखें बंद करके जन्नत के नजारे लेने लगा.
पत्नी के देहांत के बाद चार साल से चूत के दर्शन तो छोड़िये, इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था लेकिन आज ऊपर वाले ने छप्पर फाड़ दिया था.
सीमा की चूचियां मेरे हाथों में थीं और उसकी माँ मीरा मेरे लण्ड को गीला करके सीमा की चूत में जाने के लिए तैयार कर रही थी.
तभी मैं मीरा के बारे में सोचने लगा कि 50 साल की उम्र में भी ठसकदार माल है. 5 फीट 5 इंच कद, गोरा चिट्टा रंग, तीखे नयन नक्श, बलखाती कमर, 38 इंच की चूचियां और गांड के छेद को छिपाने वाले 42 इंच के मोटे मोटे चूतड़.
मैं ऐसा सोच ही रहा था कि मीरा ने मेरा लण्ड चूसना छोड़ दिया और पलक झपकते ही अपना गाऊन कमर तक उठाकर मेरी जाँघों पर सवार हो गई.
अपनी चूत के लबों को फैला कर मीरा मेरे लण्ड पर बैठ गई, देखते देखते मेरा पूरा लण्ड मीरा की चूत में समा गया.
मैंने सीमा की चूचियां छोड़ दीं और हाथ बढ़ाकर मीरा का गाऊन व ब्रा निकाल दी.
मीरा की बड़ी बड़ी चूचियां, यूँ कहिये कि मीरा के चूचे, चूसने लगा.
मीरा उछल उछल मुझे चोदने लगी.
दो ही मिनट में मीरा की चूत ने पानी छोड़ दिया. मीरा ने अपने कपड़े उठाये और बाथरूम में चली गई.
मैं सीमा की टाँगों के बीच आ गया और अपने लण्ड का सुपारा सीमा की चूत के लबों पर रगड़ने लगा.
कुछ ही देर में सीमा को होश आने लगा तो मैं उसकी ओर झुककर उसकी चूचियों के निप्पल्स से खेलने लगा और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगा.
तभी सीमा ने आँखें खोलीं.
इससे पहले कि वो कुछ बोले, मैंने उसके लिप्स लॉक कर दिये और नीचे से धक्का मारकर अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत में ठोक दिया.
सुपारा अन्दर जाते ही वो मेरी पीठ पर नाखून चलाने लगी जिससे उत्तेजित होकर मैंने दो धक्के मारकर पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया.
“अभी तक कहाँ थे, अंकल? पहले क्यों नहीं आये? उंगली, खीरा, गाजर, मूली क्या क्या नहीं डाला मैंने इसमें … लेकिन कोई भला नहीं हुआ, इसे तो लण्ड चाहिए था. चलाओ अंकल, अपना लण्ड चलाओ, मेरी चूत की प्यास बुझा दो.”
“बुझा दूँगा, सीमा. बस एक बात बताओ कि तुम इतनी प्यासी थी तो मुझे बुलाया क्यों नहीं?”
“कैसे बुलाती अंकल? मुझे क्या पता था कि आप इस उम्र में भी इतना दम रखते हैं.”
“अब दम देख लिया है तो रफ्तार भी देख लो!”
इतना कहकर मैंने फुल स्पीड से बीस पच्चीस शॉट मारे तो आह आह अंकल करने लगी.
मैंने कहा- मजा लेना है तो अंकल नहीं विजय कहो.
“विजय माई लव … तुम मेरा पहला प्यार हो! मेरा शरीर छूने वाले पहले मर्द हो और मैं चाहती हूँ कि तुम्हारे सिवा मुझे और कोई न छूए. मैं सारी उम्र तुमसे, सिर्फ तुमसे चुदवाऊंगी.”
“चलो इसी बात पर पलटो और घोड़ी बन जाओ.”
“घोड़ी बनाओ चाहे कुतिया बनाओ … मैं तुम्हारी हूँ.”
इतना कहकर सीमा घोड़ी बन गई.
सीमा के पीछे घुटनों के बल खड़े होकर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया और आगे की ओर झुककर उसकी चूचियां दबोच लीं.
तभी मीरा आ गई और मेरे पीछे बैठकर मेरी गोटियां चाटने लगी जिससे मैं अति उत्तेजित होने लगा.
मैंने उसे जाने का इशारा किया तो वो मेरी गांड का छेद चाटने लगी.
मेरे कई बार इशारा करने पर वो गई.
मैं नहीं चाहता था कि सीमा को यह पता लगे कि उसकी माँ भी इस खेल में पार्टनर है.
घोड़ी बनकर लण्ड की ठोकरें खा खाकर सीमा थक गई तो पीठ के बल लेट गई.
सीमा की टाँगें अपने कंधों पर रखकर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में पेला तो उसकी बच्चेदानी के मुँह तक पहुंच गया.
धकाधक ठोकरें और सीमा के चूतड़ों के जवाबी उछाल ने मुझे मंजिल पर पहुंचा दिया.
मेरे लण्ड से निकले वीर्य ने सीमा की चूत ही नहीं बल्कि बच्चेदानी में भी जगह बना ली.
अपना लण्ड सीमा की चूत से निकाल कर मैं बाथरूम की जाने लगा तो सीमा ने मुझे पकड़ लिया और मेरा लण्ड चाटकर साफ कर दिया. इसके बाद मैं अपने घर चला गया.
इस तरह से मैंने माँ बेटी की चुदाई की.
करीब दो घंटे बाद मीरा मेरे लिए चाय पकौड़े लेकर आई.
चाय पीने के बाद मीरा ने खाली बर्तन उठाये और जाते समय मेरे लण्ड पर हाथ फेरकर बोली- अभी थोड़ी देर में आऊँगी राजा!
और मुझे आँख मारकर चली गई.
मीरा के जाने के बाद मैंने अपने लण्ड पर हाथ फेरा और उसे तैयार करने लगा.
करीब एक घंटे बाद मीरा आई और आते ही मेरा लोअर नीचे खिसकाकर मेरा लण्ड चूसने लगी.
जब लण्ड टनटना गया तो मीरा उठी और किचन में जाकर कुछ ढूँढने लगी.
मैंने पूछा कि क्या खोज रही हो?
तो बोली- तेल.
“तेल क्या करोगी?”
“तुम्हारे लण्ड और अपनी गांड में लगाऊंगी.”
“गांड मराने का इरादा है क्या?”
“हाँ, विजय. जब पढ़ती थी तब मराती थी. फिर शादी हो गई तो बंद हो गई. आज सोई इच्छा जाग गई है, प्लीज इन्कार न करना.”
मैं किचन में गया और तेल का डिब्बा मीरा के हाथ में दे दिया.
मेरे लण्ड पर तेल लगाने के बाद मीरा किचन स्लैब पर कुहनियां टिकाकर घोड़ी बन गई.
मीरा की साड़ी पेटीकोट ऊपर उठाकर उसकी गांड के चुन्नटों पर मैंने तेल टपकाया और अपने लण्ड का सुपारा ठोक दिया.
“ऊई माँ, याल्ला … मर गई, मेरी गांड फट गई … तुम्हारा लण्ड है या मूसल!”
जाने क्या क्या चिल्ला रही थी लेकिन मेरा लण्ड रूका नहीं और उसकी गांड में वीर्यपात करने के बाद ही निकला.
सीमा मेरे लड़के की माँ बन गई है. सीमा और मीरा दोनों मेरे लण्ड की दीवानी हैं और मौका देखकर मजा लेती रहती हैं.
माँ बेटी की चुदाई कहानी में आपको मजा आया?