ट्रेन में सहकर्मी लड़की की चुत चुदाई

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रेल सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि बैंक ट्रेनिंग में मेरी दोस्ती एक नवविवाहिता सहकर्मी से हुई. हम काफी समय साथ साथ रहे. वापिसी की ट्रेन में हमारे बीच क्या हुआ?

यह सेक्स कहानी मेरी जिंदगी की एक सत्य घटना पर आधारित रेल सेक्स स्टोरी है.

मेरा नाम (परिवर्तित नाम) देव है और मैं बैंक में काम करता हूं. मेरी एक गर्लफ्रेंड भी है.

लेकिन यह रेल सेक्स स्टोरी मेरी गर्लफ्रेंड के साथ ना होकर, मेरे सच्चे प्यार के साथ की है.
वो मेरे साथ बैंक में ही काम करती है. उसका परिवर्तित नाम में वंदना रखता हूँ.

वंदना की अभी हाल ही में शादी हुई थी. उनके पति बाहर जॉब करते हैं. शायद मुझे इसी का फायदा मिला था.

यह कहानी एक तरफा प्यार की सेक्स कहानी है. मगर यह कैसे दो तरफा वाले प्यार की कहानी में बदल गई, उसी को लेकर इसे लिखा गया है.

मैं फेसबुक पर वंदना को काफी समय से फॉलो करता आया था. फिर किसी तरह हमारे संबंध नजदीक होते चले गए.
इसका अर्थ ये ही था कि कहीं ना कहीं भगवान भी मुझे उससे मिलवा ना चाहते थे.

हुआ यूं कि हमारी बैंक की ट्रेनिंग एक साथ आ गई थी और हम पहली बार ट्रेनिंग सेंटर पर मिले थे.
वह मुझे हमेशा से ही बहुत प्यारी और क्यूट लगती आई थी.

लेकिन उस दिन उसका मेरी तरफ पहली बार में देखकर आंखें मिलाना, मेरे दिल में घर कर गया था.

फिर हम दोनों ट्रेनिंग पर काफी समय साथ साथ रहे.
हम दोनों वहां फुर्सत के पलों में साथ में पार्क वगैरह घूमने गए. उधर के कई मॉल आदि में जाकर हम दोनों ने मिल कर बहुत सारी शॉपिंग भी की.

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हम दोनों क्लास में भी काफी समय तक साथ साथ ही बैठते रहे थे.
मैं उसे चोरी छुपे देखता रहता था और वह भी मुझे कमोवेश कुछ इसी तरह से छुपी हुई नजरों से देखती रहती थी.

मैं अब आपको उसके बारे में बता देता हूँ.
वन्दना दिखने में बहुत ही सुंदर और हॉट माल थी. उसको देखकर किसी को भी उससे प्यार हो जाना सामान्य सी बात थी.
उसकी उम्र 27 साल थी और कद 5 फुट 4 इंच का था.
जबकि मेरी लंबाई 6 फीट है. मैं भी देखने में काफी गोरा और हैंडसम हूं.

ट्रेनिंग सेंटर के प्रवास के दौरान मॉल और पार्क आदि जहां भी हम दोनों घूमने गए.
वहां पर ऐसी कई सारी बातें हुईं जिससे मुझे लगा कि वंदना भी मेरी तरफ आकर्षित हो रही है.
वह बात बात में मुझे हर बात में अपने पति से कंपेयर करने लगती थी.

तब मुझे समझ आ गया था कि शायद वंदना मुझमें अपना पति ढूंढ रही है.
इतने दिनों की संगत में मैं भी उससे यही चाहता था कि मुझे उसका प्यार मिल जाए.
हमने साथ में कई फोटो खिंचवाए.

लेकिन कभी भी मैंने उसे अभी तक एक बार भी गलत नजर से नहीं देखा था.
फिर भी हां, जैसे ही मैं कभी उसका फोटो लेता था, तो मैं उसके हाथ को स्पर्श कर लेता था.
यह देखकर वह भी बहुत खुश हुआ करती थी.

मैं जानता था कि उनके पति बाहर जॉब करते हैं.
शायद यही वजह थी कि वंदना मुझमें अपना पति खोजने की कोशिश कर रही थी.

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मैं इतना तो नहीं जानता था कि उसके मन में क्या बात चल रही थी … लेकिन इतना बता सकता हूं कि वंदना की मनोदशा देख कर मुझे लगने लगा था कि उन दोनों के बीच में आज तक कभी सेक्स नहीं हुआ होगा.

हमारे साथ एक और बैंक कर्मी भी था, वह भी शायद वंदना को पसंद करता था. लेकिन वो मेरे सामने कुछ नहीं लगता था.
शायद वंदना भी मुझे पसंद करती थी.

यह बात उस दूसरे आदमी को पता थी, तो वह हम दोनों के बीच में आने की कोशिश करता था.

पर मुझे जब भी समय मिलता, मैं वंदना से बातें करता उसे हंसाता और उसका मन बहलाने लगता.
यह सब वंदना को भी पसंद आने लगा था.

फिर एक दिन ऐसा हुआ कि मुझे पूरी तरह से पक्का हो गया कि वह भी मुझे प्यार करती है.

उस दिन हम दोनों ट्रेन से लौट रहे थे. हम शाम के 5:00 बजे ट्रेन में बैठे और हम दोनों ने सेकंड एसी में टिकट बुक की थी.
आपको मालूम ही होगा कि इसमें आमने-सामने दो-दो सीटें होती हैं.

जिस बर्थ पर वंदना की सीट थी, उसके ऊपर वाली सीट खाली थी. लेकिन उसके सामने एक बुजुर्ग दंपत्ति थे और मेरी सीट कहीं और थी.

लेकिन मैं बार-बार फोन करके और व्हाट्सएप पर मैसेज करके उससे पूछता कि आपको खाने के लिए कुछ चाहिए तो नहीं … या पीने के लिए.
तो वह हर बार मुझे मना कर देती.

मगर जब मैं बार-बार पूछने लगा, तो उसने एक बार कह ही दिया कि मुझे खाने को तो कुछ नहीं चाहिए लेकिन तुम्हें यहां आना है, तो तुम आ सकते हो.

मुझे बस इसी बात का इंतजार था.
मैं झट से वंदना की बर्थ पर जा पहुंचा.

मैं उधर उसे देख कर एकदम हक्का बक्का रह गया. क्योंकि जब सामने उन बुजुर्ग दंपत्ति को मैंने खुद को घूरते हुए देखा, तो पहली बार तो मैं डर सा गया था कि कहीं यह कुछ गलत तो नहीं समझेंगे.

तभी वंदना ने मुझसे कहा- आओ, यहां आकर बैठ जाओ.
तब मैं थोड़ा रिलैक्स हुआ और हम बातें करने लगे.

पहले हमारे बीच में एक बैग रखा हुआ था.
लेकिन जब वंदना को महसूस हुआ कि मैं यहां बात करने नहीं, कुछ और करने आया हूं. तब उसने वह बैग हम दोनों के बीच में से हटा कर साइड में रख दिया.
अब हम हमारी खींची हुई फोटो मोबाइल में देखने लगे.

उस समय वंदना की लटें और गाल ..मेरे गाल और कंधे से टच होने लगे और हमारी टांगें एक दूसरे से टच करने लगीं.

उस समय हम दोनों बिल्कुल चिपक कर यह सब कर रहे थे.
इससे एक बार को तो मुझे लगा कि मेरा पैंट में ही निकल जाएगा.

मेरे पैंट में फूले हुए डिक की तरफ वंदना का भी ध्यान था.
और यह सब देखकर वंदना मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा रही थी.

इस दौरान मैंने कई बार उसकी जांघों पर हाथ रखा था. यह सब उसको पसंद आने लगा था.

लेकिन जो सामने बुजुर्गवार थे, वो हमें बार-बार बीच में टोक देते और बातें करने की कोशिश करने लगते.

पर इस दौरान उस बुजुर्ग व्यक्ति ने एक काम बढ़िया किया; उन्होंने हमसे पूछा- बेटा क्या आप ऊपर वाली सीट पर चले जाएंगे!
तो इस पर वंदना ने झट से कह दिया- हां अंकल ठीक है. आप लोग नीचे आराम से बैठिए.

इसके बाद हम दोनों ऊपर चले गए और हमने फिर से फोटो देखने के बहाने अपने पैरों पर कंबल रख लिया.

अब मैं अन्दर ही अन्दर उसकी जांघों पर हाथ चलाने लगा. यह सब देखकर वंदना की मादक सिसकारियां निकलने लगीं.

मैंने एक दो बार अपनी कोहनी से उसके बूब्स को भी टच किया, तो वह मेरे और नजदीक आ गई. यह सब हमने करीब एक घंटे तक किया.

अब तक मैं पूरी तरह से खुल चुका था और बुजुर्ग दंपत्ति ने भी नीचे से लाइट बंद कर दी थी.

पूरे कूपे में अंधेरा ही अंधेरा था. हम दोनों अब खुलकर एक दूसरे से चिपक गए थे और मैंने उसके गालों पर किस कर दिया था.
उसने किस पाकर मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा दिए और हम दोनों बड़ी बेताबी से एक दूसरे को किस करने लगे थे.

हम दोनों करीब 15 मिनट तक किस करते रहे. इस बीच अब मैं खुलकर उसके बूब्स को दबाने लगा था.

कुछ ही देर बाद हम कुछ इस तरह एडजस्ट हो गए थे कि उसका सिर मेरी गोदी में आ गया था.
अब हम दोनों ने मोबाइल को बंद करके फोटो देखने का नाटक बंद दिया था और मैं खुल कर उसके बूब्स को दबाने लगा था, उसके बालों को सहलाने लगा था.

फिर हम दोनों ही सीट पर लेट गए और चादर ओढ़ कर एक दूसरे को किस करने लगे.
तब मैंने पहली बार किसी लड़की के बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसा था.
उसके बूब्स अंधेरे में भी दूध की तरह चमक रहे थे.

मैंने करीब 5 मिनट तक उसके बूब्स को चूसना चालू रखा और उसके बाद वह मेरे अपॉजिट लेट गई.

अब मैंने उसे पीछे से पूरी तरह से पकड़ लिया. उसे अपनी बांहों में लेकर उसके बूब्स को दबाता रहा और उसकी गर्दन पर किस करता रहा.

इसी बीच उसने पीछे हाथ करके मेरे डिक को पकड़कर सहलाना चालू कर दिया.
तब मैंने अपना पैंट खोल कर उसे नीचे करके उसके हाथ में अपना लंड दे दिया.
वो मेरे लंबे लंड को सहलाने लगी.

मैंने भी उसकी जींस के पैंट को खोलकर उसकी पैंटी को नीचे कर दिया.
फिर वह मेरा लंड पकड़कर अपने बट बड्स बट्स के ऊपर सहलाने लगी और हाथ से मेरी डिक को ऊपर से सहलाने लगी.

मैंने अपना लंड पकड़कर उसकी जांघों के बीच में होते हुए उसकी चुत पर रगड़ना चालू कर दिया.

कुछ ही देर के बाद उसकी चुत से पानी निकलने लगा.
मैंने उसी पोजीशन में अपना लंड उसकी चुत में डालने की बहुत कोशिश की लेकिन लंड चुत के अन्दर नहीं गया.

फिर वंदना ने अपने बैग से एक क्रीम की डिब्बी निकाली और मुझे दे दी.
मैंने अपने लंड पर क्रीम लगाई और उसकी चुत की फांकों में उंगली से अन्दर तक क्रीम लगाई.

वो इस दौरान सनसनी से पागल हो गई थी तथा उसने अपनी एक टांग हवा में उठाने की कोशिश भी की थी.

मैंने उसके कान में कहा- तुम अपनी जींस से अपना एक पैर बाहर निकाल लो.
उसने ऐसा ही किया.

इस बीच मैंने तो अपनी पूरी पैंट ही नीचे सरका दी थी.

अब हम दोनों चुदाई की फुल मस्ती में आ गए थे.

मैंने फिर से उसकी चुत में लंड पेलने की कोशिश की. कुछ ही पल बाद मेरे लंड का सुपारा चुत की फांकों के अन्दर चला गया.
वो एकदम से सिसक पड़ी. उसे दर्द होने लगा था.

उसने कराहते हुए कहा- तुम्हारा डिक बहुत मोटा है … मुझे दर्द हो रहा है.
मैंने उससे कहा- झेल लो … बाद में मजा आएगा.
वो बोली- ठीक है … तुम धीरे धीरे अन्दर करते रहो.

मैंने उसे अपनी नीचे ले लिया और उसके ऊपर चढ़ गया. उसके बाद मैं अपने लंड को धीरे-धीरे अन्दर पेलने लगा.

उसे दर्द हो रहा था तो उसकी आवाज निकलने की स्थिति बन रही थी. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जमा दिए और बेदर्दी से उसकी चुत को चीर दिया.

वो बेहद तड़फ रही थी. मगर मैंने अपना पूरा लंड अन्दर कर ही दिया.

फिर मैं रुक गया और कुछ देर इंतजार करने लगा.

कुछ देर बाद वो नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी, तो मैंने उसके होंठ छोड़ दिए और उसके दूध चूसने लगा.

अब वो मस्त हो चली थी, तो मैं धीरे धीरे लंड को चुत में अन्दर-बाहर करने लगा. मेरा पूरा लंड चुत के अन्दर बाहर चलने लगा था.

उसने अपनी टांगें हवा में उठा दी थीं और वो खुल कर चुदाई का मजा ले रही थी.

कोई पांच मिनट बाद वो झड़ गई और मुझसे रुकने के लिए कहने लगी.
मैंने बिना रुके ही उसे चोदना जारी रखा.

वो फिर से चार्ज हो गई थी और हम दोनों ने खुल कर सेक्स का मजा लिया.

कोई सुन ना ले … इसलिए हम आवाज नहीं कर रहे थे.

उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा और हम दोनों सुबह 4:00 बजे तक सेक्स का मजा लेते रहे. इस दौरान बीच में जब हम दोनों थक कर एक दूसरे को प्यार करने लगते थे तब उसने मुझसे अपनी बहुत सारी बातें साझा की थीं.

उसने मुझे बताया था कि उसके पति ने उसके साथ सिर्फ एक बार ही सेक्स किया था. उसके बाद उनको मेरे लिए कभी समय ही नहीं मिला. न ही हम दोनों साथ रह सके.

इस चुदाई की यात्रा के बाद हम दोनों अलग अलग हो गए थे.
मगर हम दोनों अभी भी व्हाट्सएप पर सेक्स चैट करते हैं तथा जब भी समय मिलता है, हम एक दूसरे के फ्लैट पर आकर प्यार और चुदाई कर लेते हैं.

आपको मेरी रेल सेक्स स्टोरी कैसी लगी?
मुझे मालूम है सच्ची कहानियां किसी को भी अच्छी नहीं लगतीं जब तक इसमें मिर्च मसाला न हो.
जिसमें खुल कर चुदाई की बातें लिखी जाती हैं, वही सेक्स कहानी अच्छी लगती है.

लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, जो सच्ची घटना मेरे साथ हुई, वह मेरी जिंदगी का एक ऐसा लम्हा है .. जो मैं कभी नहीं भूल सकता.
उसी लम्हे की वजह से आज मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुश भी हूं.

तब भी आपको मेरी इस रेल सेक्स स्टोरी को लेकर क्या कहना है प्लीज़ कमेंट करके बताएं.

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